प्रश्नकर्ता: मैंने देखा है कि यहाँ ज़्यादातर लोग शिव की भक्ति करते हैं, पर मैं अमेरिका के साऊथ मिसिसिप्पी से आई हूँ और ये योग… मेरे लिए नया है – मैंने तीन महीने पहले इसे शुरू किया है, और मेरे मन में आपके लिए बहुत श्रद्धा है क्योंकि मैंने इसे अनुभव किया है, पर मुझे... शिव के लिए भक्ति महसूस नहीं होती। मुझे पता है कि हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं, पर क्या आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए उनके प्रति भक्ति होना जरूरी है?

सद्‌गुरु: शिव को आपकी भक्ति की ज़रूरत नहीं है।

कल ही कोई मुझे... फ्रेडरिक निट्शे की लिखी हुई किताब का एक हिस्सा पढ़ कर सुना रहा था। आपने उनके बारे में सुना है? वे मिसिसिप्पी से नहीं है, जर्मनी से हैं। तो फ्रेडरिक निट्शे कह रहे हैं, या उनका पात्र कह रहा है, “सूरज उगने का आनंद सिर्फ इसलिए ले पाता है क्योंकि प्रकाश को ग्रहण करने के लिए इतने सारे लोग मौजूद हैं।” ये जर्मन बकवास है। अगर आप में से कोई भी यहाँ ना हो, तब भी सूरज उसी तरह उगेगा, उतनी ही चमक के साथ। हाँ या नहीं? वो आपके लिए नहीं निकलता।

ये एक बीमारी है, जो इंसानों को लगी हुई है - उन्हें लगता है कि पूरा ब्रह्माण्ड इंसानों के इर्द-गिर्द बना है। ऐसा नहीं है। यहाँ जो है, वो इंसान नहीं है। एक बहुत ही असाधारण घटना यहाँ हो रही है, उसका इंसानों से कोई लेना-देना नहीं है। वैसे तो इंसानों के साथ इसका बहुत गहरा सम्बन्ध है, पर इसकी प्रकृति इंसानी प्रकृति से अलग है।

एक स्तर पर, भक्ति का मतलब है... आपके दिल की एक तरह की मिठास। ये किसी भी इंसान के लिए होने का सबसे अच्छा तरीका है।

तो शिव को आपकी भक्ति की ज़रूरत नहीं है। बात इतनी सी है, कि अगर आपके दिल में भक्ति हो... पहले ये देखते हैं कि भक्ति क्या है?

 

 

भक्ति क्या है?

एक स्तर पर, भक्ति का मतलब है... आपके दिल की एक तरह की मिठास। ये किसी भी इंसान के लिए होने का सबसे अच्छा तरीका है। अगर आप अपने दिल में ये मिठास नहीं रखते, तो आप... जिंदगी आपके साथ चीज़ें करेगी और आपके अन्दर कड़वाहट आ जाएगी। ऐसा मत सोचिए कि आप ख़ुद को अलग कर सकते हैं। आप घर बना सकते हैं, आप परिवार बना सकते हैं, आप बहुत बड़ा बैंक बैलेंस बना सकते हैं, आप मिसिसिप्पी में पैदा हो सकते हैं, लेकिन.... आप अलग होकर नहीं रह सकते। खुद को अलग कर लेना कुछ देर तक ही काम करता है; उसके बाद, किसी न किसी तरह जिंदगी आपको पकड़ लेगी। अगर आपके दिल में मिठास नहीं है, तो आप कड़वाहट से भर जाएँगे, चिढ़े हुए रहेंगे। ऐसा मानवता के एक बड़े हिस्से के साथ हुआ है।

तो एक स्तर पर, भक्ति का मतलब है... आपके दिल में हमेशा बसने वाली मिठास। ऐसी मिठास जिसे किसी बाहरी मदद की जरूरत नहीं है।

मान लीजिए कि आपको किसी से प्यार हो जाता है - क्या मिसिसिप्पी में ऐसा होता है? मान लीजिए आपको किसी से प्यार हो जाता है, आपका दिल मिठास से भर जाता है। पर ये कब तक टिकेगा – इसकी कोई गारंटी नहीं है। उसी प्यार की वजह से आपका दिल बहुत ज्यादा कडवाहट से भी भर सकता है। है कि नहीं? हम नहीं चाहते कि ऐसा हो, पर ऐसा हो सकता है... परिस्थितियों के कारण, या बीमारी के कारण, या मौत के कारण, या कुछ खोने के कारण, बहुत से कारण हैं... या सिर्फ़ बोरियत की वजह से। वो इंसान जो आपको बहुत ही रोमांच से भरा और बढ़िया लगता था, कुछ साल बाद आप उसे देखते हैं... “क्या मैंने ही ये गलती की है?” (हंसी) आपको यकीन नहीं होता! बहुत सी चीज़ें हो सकती हैं।

 

 

तो भक्ति आपके दिल में हमेशा बसने वाली मिठास है – यह किसी पर भी निर्भर नहीं करती।

तो, एक भक्त बुद्धि का एक अलग ही आयाम है। वो ऐसी चीजें देखेगा जो कोई भी नहीं देख सकता, क्योंकि भक्ति का मतलब है कि आप खुद से आज़ाद हैं। आप के और अंतिम वास्तविकता के बीच सिर्फ़ एक ही बाधा है, वो आप खुद हैं।

 

क्या शिव भक्ति ज़रूरी है?

तो ‘क्या मुझे शिव की भक्ति करनी चाहिए?’

उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर आप एक भक्त हैं... भक्ति एक दूसरी तरह की बुद्धि है, जो साधारण तर्क की समझ में नहीं आती। मौलिक स्तर की बुद्धि का स्वभाव ये है... कि अगर आप किसी चीज़ को जानना चाहते हैं, तो हमें उसकी कांट-छांट करनी होगी। हां? अगर आपकी किसी में दिलचस्पी है, तो उनकी कांट-छांट कर दीजिए। खैर, आप ऐसा शारीरिक रूप से नहीं करते क्योंकि कानून इसकी इजाज़त नहीं देता, लेकिन आप मानसिक रूप से उनकी कांट-छांट कर देते हैं। है कि नहीं? आप मानसिक रूप से उनकी कांट-छांट करते हैं और फिर अपनी सुहूलियत से एक निष्कर्ष निकालते हैं, सच्चाई नहीं, बस अपनी सुहूलियत से निकाला हुआ निष्कर्ष... और एक दिन जब वो निष्कर्ष ढह जाता है, तो आपमें कड़वाहट पैदा हो जाएगी। तार्किक बुद्धि का स्वभाव ही है... चीज़ों को अलग-अलग करना। चीजों को अलग करके... आप उस चीज़ का उपयोग समझ सकते हैं। अगर मैं इस इंसान का विश्लेषण करता हूँ, तो मैं जान जाऊँगा कि इनका उपयोग कैसे करना है... लेकिन मैं ‘उन्हें’ नहीं जान पाऊंगा। जब मैं पूरी तरह से उन्हें अपना एक हिस्सा बना लूं, सिर्फ तभी मैं उन्हें जान पाऊँगा, और कोई रास्ता नहीं है। अगर आप... अगर आप किसी ऐसे इंसान को एक फूल देते हैं जिसमें जबरदस्त तर्क करने वाली बुद्धि है, अगर आप किसी वैज्ञानिक को एक फूल देते हैं, तो सबसे पहले तो वो उसके टुकड़े कर देगा, क्योंकि वो जानना चाहता है कि इसके अंदर क्या है। एक कवि फूल के बारे में गाने गाएगा। वो नहीं जानता कि इसके अंदर क्या है, उसे फ़र्क भी नहीं पड़ता कि अंदर क्या है, पर फूल उसे खुशी देता है।

 

एक दिव्यदर्शी खुद फूल बन जाएगा। अगर वो फूल को देखता है, तो वो खुद फूल बन जाएगा... क्योंकि उसके लिए, वो एक छोटा सा फूल जो घास में खिल रहा है... जो आसानी से नज़र भी नहीं आ रहा... वहाँ पर भी... ईश्वर का हाथ काम कर रहा है, है ना? हम्म? उतना ही सक्रिय है जितना कि यहाँ हमारे अंदर है, कम सक्रिय नहीं है।

अगर आप घास के एक तिनके को भी ध्यान से देखें, तो आप देखेंगे कि उसे ‘बहुत’ ध्यान देकर बनाया है, इसे बहुत ही ज़्यादा ध्यान देकर बनाया गया है। इसे ऐसे ही नहीं बना दिया गया, 'अरे, घास का तिनका ही तो है' - इसे ऐसे नहीं बनाया गया। जिसने भी इसे बनाया है, बहुत ज़्यादा ध्यान देकर बनाया है।

तो... ये शिव के बारे में नहीं है... ये आपके बारे में है। लेकिन आपको भक्ति के साथ चलना होगा। आप किसकी भक्ति करते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

 

बुद्धि का एक अलग आयाम

तो, एक भक्त बुद्धि का एक अलग ही आयाम है। वो ऐसी चीजें देखेगा जो कोई भी नहीं देख सकता, क्योंकि भक्ति का मतलब है कि आप खुद से आज़ाद हैं। आप के और अंतिम वास्तविकता के बीच सिर्फ़ एक ही बाधा है, वो आप खुद हैं। तो भक्ति का मतलब है कि आप खुद से आज़ाद हो जाएँ। अगर ये मुमकिन नहीं है, तो कम से कम आपको इस ढेर को कम कर देना चाहिए। अगर आप कचरे के इस ढेर को कम कर देते हैं, तो अचानक से आप देखेंगे कि ज़िंदगी ऐसे विस्फोट करती है, ऐसे विस्फोट कराती है जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

तो... ये शिव के बारे में नहीं है... ये आपके बारे में है। लेकिन आपको भक्ति के साथ चलना होगा। आप किसकी भक्ति करते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको पूरी तरह भक्ति के साथ चलाना होगा। भक्ति का मतलब है कि आप खुद से खाली हैं। भक्ति का मतलब है ग्रहणशीलता की एक उच्च स्थिति, क्योंकि आप... आप ‘खुद’ से भरे हुए नहीं हैं, आप के अंदर खाली जगह है, इसलिए आपको कोई चीज़ छू सकती है, आप में प्रवेश कर सकती है, आपके अंदर रह सकती है। आप हर चीज़ को अपने मनोवैज्ञानिक कचरे के परदे से देख रहे हैं, और आपको लगता है कि आपका तर्क ही सब कुछ है। ‘तर्क’ बुद्धि का एक बहुत ही मौलिक रूप है। ये सिर्फ़ किसी चीज़ का उपयोग करने के काम आता है। पैसे कमाने के लिए, दुनिया में जीवित रहने के लिए, आपको तर्क की जरूरत होती है। किसी भी दूसरी चीज़ के लिए, अगर आप किसी भी दूसरे आयाम पर पहुँचना चाहते हैं, तो आपका तर्क काफ़ी नहीं है। आपकी बुद्धि के भीतरी आयाम को काम करना होगा। अगर उसे काम करना है, तो ‘भक्ति में होना’ ऐसा करने का सबसे आसान तरीक़ा है।