सद्गुरु की कविता - पुरस्कार
A day before being conferred with the Padma Vibhushan award, India’s highest annual civilian award, by President Pranab Mukherjee at the Rashtrapati Bhavan in New Delhi, Sadhguru sends us a poem in which he expresses his perspective on awards. “Will someone award the / lovely blossom that brings / colour and cheer to the spring.”
इस हफ्ते के स्पॉट में सद्गुरु ने हमें एक कविता भेजी है, जिसमें वे अस्तित्व की उन अद्भुत चीज़ों के बारे में बताते हैं जिन्हें कभी कभार ही सराहा जाता है। वे बताते हैं कि कैसे सुन्दरता को सराहने या पुरस्कार देने के बजाये उपयोग पर हमारा ध्यान ज्यादा होता है।
क्या कोई दे पाएगा पुरस्कार
उन खूबसूरत खिले फूलों को
जो ले आते हैं रंग और मुस्कान
वसंत के चेहरे पर।
क्या कोई दे पाएगा पुरस्कार
उस नन्हीं मधुमक्खी को
जो करती है इकट्ठा मिठास
बेहद सावधानी व कठिन परिश्रम से
उन स्रोतों से जो हैं
आपकी कल्पना से परे ।
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बल्कि अधिकतर लोग
कर देते हैं अनदेखा खिले फूलों को
बोल देते हैं धावा सीधी-साधी मधुमक्खियों के
उदार उपहार पर।
सूक्ष्म कृपा और सूक्ष्म मिठास
ही हैं परम स्तर के पुरस्कार।