सभी गुज़र जाएंगे
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु हमें एक नई कविता भेज रहे हैं जिसमें वे हमारे जीवन की नश्वरता और क्षणभंगुरता के बारे में बता रहे हैं। वे बता रहे हैं कि कैसे मृत्यु के बाद हम सभी एक समान हो कर मिट्टी में मिल जाते हैं। हमारे स्लाइडशो में सद्गुरु के पिछले कुछ दिनों के आयोजनों की तस्वीरें हैं
टिक-टिक, टिक-टिक
चलता रहता है - घड़ी का काँटा
और चलती जाती है – मेरी जिंदगी
बिना रुके, बड़ी ही निर्दयता से
और लिए जाती है मुझे
तय लक्ष्य की ओर
लक्ष्य – नहीं है यश या वैभव का
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लक्ष्य है – मृत्यु का।
मृत्यु है लक्ष्य सभी का
चाहे हो कोई महत्वपूर्ण या हो महत्वहीन
चाहे हो कोई सम्मानित या फिर दीन
सब प्राप्त करेंगे एक ही लक्ष्य को
चाहे सीमित हो या असीम,
दुखी हो या आनंदित,
वीर हो या फिर पराजित
सभी समा जाएंगे
धरती माँ की गोद में।
है कुछ ऐसा
इस सृष्टि का आशीर्वाद
कि कोई भी नहीं चुकेगा –
एक प्राणी भी नहीं
सभी सफल होंगे पहुँचने में लक्ष्य
तक।