इस बार के स्पॉट में सद्‌गुरु ने हमें एक कविता भेजी है। ये कविता, उन्होंने अपने हाल ही के कैलाश के सफर के दौरान लिखी है। इस कविता में, वे भव्य पर्वत शिखरों और निर्मल घाटियों को, जागरूकता और गुरु-कृपा के समान बता रहे हैं।  इस कैलाश यात्रा की सुंदर तस्वीरें भी इस ब्लॉग का हिस्सा हैं!

कृपा की घाटियां

कहीं हैं जागरूकता की चोटियां
तो कहीं कृपा की घाटियाँ

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चोटियों पर पहुंच पाएंगे आप
दीप्ति ज्ञान की

घाटियों में हो सकते हैं आप
विलीन – एकत्व के घने कोहरे में।

गुरु की गोद है एक बर्तन
जिसमें मिल जाते हैं – कृपा और दिप्ती ज्ञान की
यह गोद है एक स्थान –
प्रार्थना का, क्रीड़ा का और विसर्जन का।

प्रार्थना- देती है आपको बहुत कुछ
क्रीड़ा – देता है आपको अस्तित्व का आनंद
विसर्जन – कर देता है एकाकार आपको उससे

Love & Grace