सभी योगासनों में पदमासन शायद सबसे जाना-माना योगासन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पदमासन खतरनाक हो सकता है आपके लिए? कैलेण्डर में दिखाए जाने वाले योगियों को देख कर कहीं आप भी पदमासन में तो नहीं बैठने लगे? तो यह लेख आपके लिए है…

प्रश्न कर्ता: सदगुरु, मैं यह जानना चाहता हूं कि आखिर आप किसी को पद्मासन की शिक्षा क्यों नहीं देते?
सदगुरु: आप पद्मासन के बारे में जानते हैं? यह एक ऐसा आसन है जो कैलेंडर में खूब दिखाई देता है, आप इसे कैलेंडर-आसन भी कह सकते हैं। किसी कैलेण्डर या पोस्टर में हमेशा पद्मासन में बैठे व्यक्ति की ही तस्वीर छपी देखने को मिलती है। पद्म का अर्थ होता है कमल, यानी कमल की मुद्रा में बैठना। योग में इस आसन के कई पहलू हैं। अगर आप पद्मासन की खूब गहराई में जाएं तो आप पायेंगे कि अस्तित्व में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसको यह भीतरी या बाहरी रूप से प्रभावित करने की क्षमता न रखता हो। इसका संबंध केवल आंतरिक पहलुओं से नहीं है, बल्कि बाहरी चीजों पर भी यह असरदार है। हम इससे मात्र अपने भीतरी दुनिया की इंजीनियरिंग नहीं कर सकते, बल्कि हम इससे इस बाहरी दुनिया की भी इंजीनियरिंग कर सकते हैं।

एक इंजीनियरिंग कालेज बनाकर उसके माध्यम से लोगों को किसी भी प्रकार की इंजीनियरिंग की शिक्षा देना आसान है। लेकिन आज जिस तरीके से हमारे विद्यार्थी इंजीनियरिंग सीख रहे हैं उसे देखकर ऐसा लगता है कि उनकी यह शिक्षा कई मायनों में बहुत सीमित है। ऐसी शिक्षा की उपयोगिता केवल एक हद तक ही हो सकती है। योग प्रणाली के माध्यम से भी आप शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। लेकिन यह असाधारण रूप से जटिल होगा। यह एक मनुष्‍य से बहुत ज्यादा समर्पण मांगता है। बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे जो उतना भुगतान करने को राजी होंगे जितने की आवश्यकता होगी। आज का विद्यार्थी चाहता है कि साढ़े चार साल के लिए किसी कॉलेज जाए, वहां से वो डिग्री हासिल करे, फिर अमेरिका जाए, वहां दो साल की डीग्री प्राप्त करे, और बस बात खत्म। बन गया वो इंजीनियर। उसके बाद उसकी दिलचस्पी इस बात में नहीं रह जाती कि वो पूरा जीवन सीखने में व्यतीत करे। जरा सी भी नहीं। वो बस एक खास समय के लिए सीखना या पढ़ना चाहता है। उसके बाद वह चाहता है कि जो कुछ उसने सीखा है उसके बदले में उसे कुछ मिले। वह सोचता है कि शिक्षा का ऐसा उपयोग किया जाए जिससे धन प्राप्ति हो। अगर आप आजीवन सीखने की इच्छा रखते हैं तो आपके लिए यह बात मायने नहीं रखती कि सीखने के बदले आपको कुछ मिलेगा या नहीं। आप बस जीवन भर सीखते रहने का आनंद लेंगे। योग प्रणाली यही सिखाती है। इसी योग प्रणाली के माध्यम से हम इस दुनिया को नये ढंग से गढ़ सकते हैं।

हर किसी के लिए नहीं है पदमासन

मैं बताना चाहता हूं कि मैं कभी भी पद्मासन की शिक्षा किसी को क्यों नहीं देता हूं। किस प्रकार के लोगों को क्या सीखना चाहिए, योग में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। इस दृष्टि से योग के कई पहलू हैं। दर असल लोग कई तरह के होते हैं किन्तु मूल रूप से उनको दो वर्गों में रखा जा सकता है - संन्यासी और गृहस्थ। गृहस्थों के लिए हमारे पास एक प्रकार के योग अभ्यास हैं जबकि योगी व संन्यासियों के लिए दूसरे तरह के अभ्यास हैं। योग अभ्यासों का पूरी तरह से एक अलग पहलू है जो योगी व संन्यासियों के लिए तय किया गया है। इसलिए अगर एक योगी गृहस्थों के लिए तय की गई योग क्रियाओं को करेगा तो वह एक अच्छा योगी नहीं बन पाएगा। इसी प्रकार एक गृहस्थ योगियों के लिए तय की गई क्रियाओं को करेगा तो वह एक अच्छा गृहस्थ नहीं बन पाएगा। मान लीजिए आपकी गाड़ी उत्तर की तरफ मुख करके खड़ी है, अब आपको गाड़ी चलाना है। आपको अगर उत्तर की ओर जाना है तो आप अगला गियर लगाएंगे जिससे गाड़ी उस दिशा में आगे जाए, लेकिन अगर आप दक्षिण की ओर जाना चाहते हैं तो आपको रिवर्स गियर का उपयोग करना होगा। तभी गाड़ी दक्षिण की ओर जाएगी। मान लीजिए कि आप रिवर्स गियर लगाकर उत्तर की दिशा में जाना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आपके साथ कुछ गड़बड़ है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि दक्षिण जाना बुरा है, न मैं यह कह रहा हूं कि उत्तर जाना बुरा है। मैं बस इतना कह रहा हूं आप इस बात का चुनाव कीजिए कि आपको किस दिशा में जाना है और उसके अनुसार अपने मन को तैयार कीजिए। आप यहां जाना चाहते हैं लेकिन आप वह करते हैं, आप वहां जाना चाहते हैं लेकिन आप यह करते हैं, ये मुझे मूर्खता के सिवा कुछ नहीं लगता। मैं नहीं जानता आपको यह कैसा लगता है।

पदमासन का सही उपयोग

जो लोग पद्मासन करते हैं उसके पीछे कारण यह है कि यह आसन आपकी ऊर्जा को एक निश्चित तरीके से बांध देता है जिससे ऊर्जा नीचे की ओर नहीं जाती और सामान्यतः नाभि से ऊपर ही रहती है। पद्मासन के माध्यम से आप जो हासिल करने का इरादा रखते हैं वह यह है कि शरीर का रख- रखाव या संरक्षण एक निश्चित स्तर तक होता रहे। किन्तु इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पद्मासन के माध्यम से आप ऊर्जा को अपनी शारीरिक तंत्र से बलपूर्वक बाहर कर रहे होते हैं। आप ऐसी स्थिति चाहते हैं जिसमें आपकी आधी ऊर्जा शरीर से बाहर रहे, न कि शरीर के अंदर। आप चाहते है कि आपकी जीवन ऊर्जा का कम से कम तीस से चालीस प्रतिशत हिस्सा आपके आस-पास रहे, न कि आपके अंदर। क्यों? ताकि आप महसूस कर सकें कि आपके अंदर भौतिकता बहुत बड़े पैमाने पर कम हो गई है। लेकिन अगर आपकी शादी हो जाती है और आप पद्मासन करना चाहते हैं, फिर ये बात निश्चित है कि ये आपके लिए काम नहीं करेगा। अगर दांपत्य जीवन भी जी रहे हैं और आप पद्मासन भी करते हैं, तो आप न यहां के रह जाएंगे न वहां के। बात केवल इतनी ही है। अगर आप यहां भी नहीं है और वहां भी नहीं है तो आप एक तरह से नपुंसक बन जाएंगे जो कि अच्छा नहीं होगा। अगर आप वहां हैं, अच्छी बात है। अगर आप यहां हैं तो यहीं रहिये। इन दोनों में से एक चीज ही आपको करनी चाहिए। न इधर के, न उधर के, ऐसी स्थिति अच्छी नहीं कही जाएगी।

तो मूलरूप से पद्मासन ऊर्जा को इस प्रकार बांध देने के लिए है जिससे नीचे की ओर कोई गतिविधि न हो। अगर आप पद्मासन कर रहे हैं और आप पारिवारिक जीवन भी जीवन बीता रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप अपने ऊर्जा तंत्र में सघर्ष, विरोध और प्रतिकूलता पैदा कर रहे हैं जो कि एक गैरजरूरी टकराव है। किसी भी टकराव का मतलब है जीवन में तनाव उत्पन्न करना। किसी भी प्रकार के तनाव का मतलब है कि अक्षमता को आमंत्रित करना। ऐसी अक्षमता जो जीवन को बुरी तरह प्रभावित करेगी। जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कार्यों को करने में अक्षम बना देगी। आप आध्यात्मिक रूप से भी अक्षम हो जाएंगे। इसके अलावा आप मानसिक और भावनात्मक रूप से अक्षम बन सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि आप शारीरिक रूप से किसी काम के न रहें। अगर यही आपका चयन है तो ठीक है। लेकिन आप एक चीज को चुनते हैं और दूसरी चीज को करते हैं, यह कोई समझदारी नहीं है।

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