इनसाइट, ईशा फाउंडेशन के ईशा एजुकेशन पहल का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो उद्योगपतियों को ऐसे व्यावहारिक तरीके सिखाता है, जो बाहरी हालातों के साथ-साथ अंदरूनी विकास के प्रबंधन की उनकी क्षमता को बढ़ाते हैं।

आइये पढ़ते हैं इनसाइट के दूसरे दिन के सत्र के बारे में...

प्रतिभागियों ने आज सुबह अपने पहले योग सत्र में हिस्सा लिया। योग से जो भी मिल सकता है, उसकी गहराई और व्यापकता से वे प्रभावित हुए। सिंगापुर में एक मार्केटिंग और कम्युनिकेशन कंपनी चलाने वाले नीरज के लिए यह योग का पहला अनुभव था।

श्री टाटा ने जवाब दिया कि आप जिन चीजों की हिमायत करते हैं, उन्हें अपने जीवन में भी लागू करना पड़ता है। आप दूसरे लोगों के जीवन मूल्यों के ठेकेदार नहीं हो सकते।
वह योग का असर देखकर हैरान रह गए। ‘यह वाकई एक स्फूर्तिदायक अनुभव है। मैंने पहले कभी योग नहीं किया है। यह मेरे लिए पहला ही मौका है। यह एक शुरुआत है। मैं इसे आगे भी जारी रखूंगा।’

सद्गुरु ने टाटा ग्रुप का एक संक्षिप्त परिचय दिया और बताया कि किस तरह यह ग्रुप आकार और विस्तार में बेमिसाल है। इसे सिर्फ एक कारोबार के रूप में नहीं, बल्कि इस देश के निर्माण में एक बड़े योगदानकर्ता के रूप में देखा जाता है। सद्गुरु ने श्री टाटा को पुष्पहार पहनाया। इसके बाद श्री टाटा ने अपना सत्र शुरू करते हुए बताया कि जेआरडी टाटा उनके लिए आदर्श थे और वह उनके बहुत ही आभारी हैं। श्री टाटा ने कहा, ‘वह जो कहते थे और दूसरों से अपेक्षा करते थे, उसे खुद पर भी लागू करते थे।’ ‘वह कारोबार मुनाफा बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए चलाते थे ताकि समाज को उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले,’ उन्होंने जेआरडी के बारे में कहा। जेआरडी का देहांत 1993 में हुआ, और उन्होंने श्री रतन टाटा को कारोबार की बागडोर थमाने से पहले 1938 से 1991 के बीच करीब-करीब छह दशकों तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया।

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श्री टाटा ने समावेशी अर्थशास्त्र की भी बात की। उन्होंने यह भी बताया, कि एक नेता वही है जो अपने इस भीतरी एहसास पर चले, कि वह उस समाज या भूभाग के लिए सही चीज कर रहा है या नहीं।

एक प्रतिभागी ने पूछा, ‘परिवार और कारोबार में ईमानदारी, देशभक्ति और करुणा जैसे गुण कैसे डाले जा सकते हैं?’ श्री टाटा ने जवाब दिया कि आप जिन चीजों की हिमायत करते हैं, उन्हें अपने जीवन में भी लागू करना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि भारत ने स्पेसक्राफ्ट री-एंट्री टेक्नोलॉजी और सुपरकंप्यूटर इसलिए विकसित किए क्योंकि अमेरिका ने भारत को वह तकनीकी ज्ञान देने से इनकार कर दिया था।
आप दूसरे लोगों के जीवन मूल्यों के ठेकेदार नहीं हो सकते। एक दूसरा प्रश्न खुद से बेहतर लोगों की अगुआई करने के बारे में था। इसे कैसे किया जा सकता है? ‘यह खुलापन जरूर होना चाहिए कि अगर वे आपसे बेहतर हैं, तो आप एक ओर हट जाएं,’ श्री टाटा ने जवाब दिया।

 

 

 

रतन टाटा के बाद डॉ. ए.शिवतनु पिल्लै का सत्र था। उनके बारे में कुछ जानकारी:

 

 

  • जाने-माने वैज्ञानिक और मुख्य नियंत्रक, अनुसंधान व विकास, डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय
  • सीईओ, एमडी, ब्रह्मोस ऐरोस्पेस
  • लॉन्च वेइकल्स और गाइडेड मिसाइलों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी लीडर
  • इसरो के लिए एसएलवी-3 और पीएसएलवी के विकास में कोर टीम के सदस्य
  • सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के जनक माने जाते हैं।

डॉ. पिल्लै ने बताया कि किस तरह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम मुश्किल हालातों में फला-फूला। उन्होंने कहा कि जब कोई तकनीक दी नहीं जाती, तो वह तकनीक हासिल कर ली जाती है। उन्होंने बताया कि भारत ने स्पेसक्राफ्ट री-एंट्री टेक्नोलॉजी और सुपरकंप्यूटर इसलिए विकसित किए क्योंकि अमेरिका ने भारत को वह तकनीकी ज्ञान देने से इनकार कर दिया था।

 

संपादक की टिप्पणी: इनसाइट ईशा में हर वर्ष आयोजित किया जाने वाला 4 दिवसीय कार्यक्रम है। इस वर्ष यह कार्यक्रम 27 से 30 नवंबर तक चलेगा और इसमें भारत के कुछ बेहद मशहूर नाम, जैसे रतन टाटा, जी मल्लिकार्जुन राव और किरण बेदी, शामिल होंगे…