Sadhguruप्रसिद्ध बिल्वाष्टकम् में बेल-पत्र के गुणों और उसके प्रति शिव के प्रेम का वर्णन किया गया है। बेलपत्र को इतना आदर क्यों दिया गया है? यह सब लोग जानते हैं कि इस पेड़ को सदियों से पवित्र माना जाता रहा है और शिव को चढ़ाया जाने वाला कोई भी चढ़ावा बेल-पत्र के बिना अधूरा होता है। बेल-पत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं : तीन पत्तों या त्रिपत्र को कहीं त्रिदेवों (सृजन, पालन और विनाश के देव), कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम नामक) तो कहीं तीन आदि ध्वनियों (जिनकी सम्मिलित गूंज ऊँ बनती है) का प्रतीक माना जाता है। तीन पत्तों को महादेव की तीन आंखों या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है। यह सब किंवदंतियां हैं। लेकिन बेल-पत्र को इतना पवित्र क्यों माना जाता है? सद्‌गुरु इसका जवाब दे रहे हैं:

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सद्‌गुरु:

एक पत्ते को दूसरे पत्ते से अधिक पवित्र क्यों माना जाता है? क्या यह एक तरह का पक्षपात है? आखिरकार, हर चीज मिट्टी से ही उत्पन्‍न होती है। नीम का फल और आम का फल एक ही मिट्टी में पैदा होते हैं लेकिन उनका स्वाद कितना अलग होता है? एक जीवन उसी मिट्टी को एक तरह से ढालता है और दूसरा जीवन उसी मिट्टी को दूसरे तरीके से ढालता है। एक कृमि और एक कीड़े में क्या अंतर है? आप दूसरे मनुष्यों से कैसे अलग हैं? यह सब एक ही चीजें हैं लेकिन फिर भी इनमें अंतर है।

आप यह बात आजमा सकते हैं - बेल-पत्र को चढ़ाएं, उसे अपनी कमीज की ऊपरी जेब में  रखकर घूमें, यह आपके लिए स्वास्थ्य, सुख, मानसिक सेहत, हर क्षेत्र में लाभदायक होगा।

जब लोग आध्यात्मिक मार्ग पर होते हैं, तो वे किसी भी रूप में सहायता की संभवना लगातार तलाशते रहते हैं क्योंकि यह एक अनजान डगर है। भारतीय संस्कृति में, आपकी मदद करने वाली हर छोटी से छोटी चीज को गौर से देखकर या फिर ध्यान और साधना की मदद से पहचाना गया। उन्होंने फूलों, फलों और पत्तों तक को नहीं छोड़ा। खास तौर पर बेलपत्र को पवित्र क्यों माना गया है? हमेशा यह कहा गया है कि बेलपत्र शिव को प्रिय है। ऐसा नहीं है कि वह शिव को पसंद है। जब हम कहते हैं कि वह शिव को प्रिय है, तो इसका अर्थ यह है कि किसी न किसी रूप में उसमें वही गूंज है, जो शिव में है।

हमने इस तरह की बहुत सी चीजों की पहचान की है और उन्हीं चीजों को अर्पित किया जाता है। वे चीजें आपके लिए एक साधन बन जाती हैं- उनसे संपर्क में रहने का। जब आप शिव को बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो आप उस पत्ते को उनके पास नहीं छोड़ते। उन्हें भेंट करने के बाद आप उसे अपने साथ ले आते हैं क्योंकि इस पत्र में शिव की गूंज को आत्मसात कर लेने की सबसे अधिक क्षमता होती है। अगर आप उसे शिवलिंग पर रखकर फिर ग्रहण कर लेते हैं, तो उसमें लंबे समय तक उस प्रभाव या गूंज को कायम रखने की क्षमता होती है। वह गूंज आपके साथ रहती है। आप यह बात आजमा सकते हैं - बेल-पत्र को चढ़ाएं, उसे अपनी कमीज की ऊपरी जेब में रखकर घूमें, यह आपके लिए स्वास्थ्य, सुख, मानसिक स्थिति, हर क्षेत्र में लाभदायक होगा।

इस तरह की कई चीजें हैं, जिन्हें पवित्र माध्यम माना गया है और लोग उनका इस्तेमाल करते हैं। यहां पर बात ईश्‍वर की नहीं है, यह संबंधित है आपसे और आपकी क्षमता से- किसी चीज को प्राप्त करने की आपकी क्षमता से।

By Yosarian (Own work) , via Wikimedia Commons