सद्गुरुःबहुत से लोग हमेशा भाग्यशाली सितारों, भाग्यशाली ग्रहों, भाग्यशाली संख्याओं, हर तरह की चीजों को खोजते रहते हैं। चीजों को खोजने और उनके घटित होने की प्रतीक्षा करने की इस प्रक्रिया में, जिन चीजों को वे खुद ही साकार कर सकते थे, वो पूरी तरह से खो जाती हैं। जीवन के हर पहलू के साथ, यह आप ही हैं जिसे इसे साकार करना होगा। आपकी शांति और आपकी बेचैनी आपका धंधा है। आपका आनंद और आपकी पीड़ा आपका धंधा है। आपके भीतर मौजूद शैतान और भगवान आपका धंधा है। जब आप संयोग से जीवन जीते हैं, तब आप डर और चिंता में भी जीते हैं। जब आप उद्देश्य और क्षमता से जीवन जीते हैं, तब इससे फर्क नहीं पड़ता कि क्या होता है या क्या नहीं होता है - कम से कम आपका उस पर नियंत्रण है जो आपके साथ हो रहा है। यह एक अधिक स्थिर जीवन होता है।

आपकी शांति और आपकी बेचैनी आपका धंधा है। आपका आनंद और आपकी पीड़ा आपका धंधा है। आपके भीतर मौजूद शैतान और भगवान आपका धंधा है।

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कुछ साल पहले, एक महिला, जिसे मैं जानता था, एक महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए तैयारी कर रही थी। तमिलनाडु में, तमामों लोग मानते हैं कि जब आप अपनी कार सुबह स्टार्ट करें तो उसे रिवर्स गियर में स्टार्ट नहीं करना चाहिए। वरना आपका पूरा जीवन रिवर्स गियर में चला जाएगा। तो, वे सुबह हमेशा उसे थोड़ा सा आगे बढ़ाते हैं। तो, वह महिला कार को, घर के गराज से रिवर्स में बाहर निकालने से पहले, थोड़ा आगे बढ़ाना चहती थी। अपनी पूरी चिंता और डर में, बस कुछ इंच आगे बढ़ाने की कोशिश में, उसने क्लच अचानक झटके से छोड़ दिया और कार दीवार से होकर सीधे बेडरूम में पहुंच गई!

अपने आस-पास जरूरी आंतरिक और बाहरी वातावरण पैदा करके, जहां सही किस्म की स्थित बन सके, इसके बजाय हम हमेशा किसी दूसरी चीज को खोजते हैं जो उसे साकार कर सकती है। आपने अपने भीतर आज को कैसे अनुभव किया है, वह निश्चय ही आपके हाथों में है। आप जिस अंधविश्वास में विश्वास करते हैं, यह उससे तय नहीं होता। यह बस इस पर निर्भर करता है कि आप कितनी समझदारी, बुद्धिमानी, और कितनी जागरूकता के साथ घूमते हैं और अपने आस-पास के जीवन को देखते हैं।

तो क्या इनमें से किसी में कोई सच्चाई नहीं है? जरूरी नहीं है। उनमें से ज्यादातर में कुछ वैज्ञानिक आधार है, लेकिन समय के साथ उन्हें बुरी तरह से विकृत कर दिया गया है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी विज्ञान ने अपना रूप खो दिया है और यह कुछ और बन गया है। इसके अलावा, आज, राजनीतिक और दूसरे किस्म के प्रभुत्व की वजह से, हम इस नतीजे पर पहुंच गए हैं कि अगर कुछ पश्चिम से आता है, तो वह विज्ञान है, अगर यह पूर्व से आता है तो वह अंधविश्वास है।

 

हर चीज को - आपको कैसे बैठना चाहिए, खड़े होना चाहिए, और खाना खाना चाहिए से लेकर - इस बात के अनुसार बनाया गया था जो मानव कल्याण के लिए सर्वश्रेष्ठ हो।

मानव प्रकृति के बारे में तमामों चीजें जो हमने इस संस्कृति में हमेशा से कही हैं, उन्हें आज अरबों डालर के शोध अध्ययन के बाद ‘महान खोज’ के रूप में दिखाया जा रहा है। हम इन चीजों को हमेशा से जानते थे, क्योंकि यह एक ऐसी संस्कृति नहीं है जो जीने की विवशताओं से विकसित हुई हो। यह एक ऐसी संस्कृति है जो ऋषियों और संतों के द्वारा सचेतन रूप से विकसित की गई थी। इसमें जबरदस्त वैज्ञानिक तत्व हैं। हर चीज को - आपको कैसे बैठना चाहिए, खड़े होना चाहिए, और खाना खाना चाहिए से लेकर - इस बात के अनुसार बनाया गया था जो मानव कल्याण के लिए सर्वश्रेष्ठ हो। दुर्भाग्य से, आज हम जिस संस्कृति को देख रहे हैं, वह कई तरीकों से विदेशी आक्रमण से टूट चुकी है और गरीबी के लंबे दौर के कारण विकृत हो गई है। फिर भी, आध्यात्मिक प्रक्रिया का मौलिक चरित्र नष्ट नहीं हुआ है, और न ही इसे नष्ट किया जा सकता है। यही समय है कि हम इस गहन परंपरा के लाभ को इसकी पूरी गरिमा में प्राप्त करें।

Editor’s Note: This article was originally published in The Asian Age