लिंग भैरवी

स्त्रीत्व की अग्नि


सद्‌गुरु: किसी भी समाज में स्त्री प्रकृति की ऊर्जा को उसका स्थान देना बहुत महत्व रखता है। यदि केवल पौरुष ऊर्जा को ही प्रकट किया गया, तो हमारे पास पर्याप्त मात्रा में भोजन तो होगा, किंतु हमारे पास जीने के लिए जीवन नहीं होगा। अगर आप उपमा का प्रयोग करना चाहें, तो आप पौरुष ऊर्जा को जड़ और स्त्रैण ऊर्जा को फल तथा फूल कह सकते हैं। जड़ का प्रधान उद्देश्य यही है कि फल तथा फूल को पैदा किया जा सके। यदि ऐसा नहीं होता, तो जड़ का होना किसी काम का नहीं होगा।

विश्व की सभी महान सभ्यताओं में देवियों का पूजन होता आया है। जब घुमंतू कबीलों ने बहुत ही आक्रामक पुरुष प्रधान संस्कृतियाँ और धर्म बनाने आरंभ किए, स्त्रैण पूजा धीरे-धीरे घटने लगी और फिर समाप्त हो गई। भारत आज एक अकेला देश है, जहाँ स्त्रैण ऊर्जा का पूजन अब भी जीवित अवस्था में है। आज भी दक्षिण भारत में, एक भी ऐसा गाँव नहीं मिलेगा, जिसकी अपनी कोई इष्ट देवी न हो। स्त्रैण ऊर्जा की उपासना में ही इस संस्कृति का आधार समाया है, परंतु धीरे-धीरे, इस संस्कृति में स्त्री प्रकृति का शोषण होने लगा। हम उसी स्त्रैण ऊर्जा को शक्तिशाली रूप में सामने लाना चाहते हैं।

लिंगभैरवी एक सशक्त, रौद्र स्त्री प्रकृति से जुड़ा ऊर्जा रूप है। परंतु लिंग के रूप में, स्त्रैण ऊर्जा का पूजन बहुत दुर्लभ है। कुछ रूप पहले से हैं, पर ऐसे रूप सार्वजानिक परिस्थितियों में नहीं पाए जाते। शायद पहली बार जनता के लिए इस तरह के स्थान को सार्वजनिक किया गया है, और बड़े ही अलग तरह से संभाला जा रहा है।

इस दुनिया में यह बात बहुत ही उदास कर देने वाली है, कि स्त्रियाँ या तो बार्बी डॉल बन रही हैं, या पुरुष बनने की कोशिश कर रही हैं। उनके पास ईर्ष्या, पुरुषों की तरह महत्वाकांक्षा व अन्य सारी मूर्खताएँ हैं, किंतु स्त्रैण अग्नि नहीं है। एक नारी इस संसार को यही तो दे सकती है, कि वह एक अग्नि के समान बन कर रहे। लिंग भैरवी छोटी सी अग्नि के तरह नहीं हैं। लिंग-भैरवी एक बड़ी अग्निशिखा के समान है। वह कोई गुड़िया या कोई पुरुष नहीं, अपने भीतर से एक स्त्रैण ऊर्जा है।

ध्यानलिंग आपके परम कल्याण से संबंध रखता है। तत्काल लाभ भी देता है किंतु जो लोग अपने जीवन में स्वास्थ्य, संपन्नता तथा इस प्रकार की वस्तुओं की कामना रखते हैं, लिंग भैरवी उनके लिए अधिक अनुकूल रहेंगी। परंतु उनके साथ आध्यात्मिक आयाम भी जुडे़ हैं। अगर आप स्वयं को बहुत गहराई से इस प्रक्रिया के साथ जोड़ देंगे, भले ही आप अपने लिए भौतिक सुख चाह रहे हों, वे धीरे-धीरे आपको आध्यात्मिक पथ तक भी ले जाएगी।