ध्यानलिंग

सद्‌गुरु: आज, आधुनिक विज्ञान आपको किसी भी संदेह से परे बताता है कि सारा अस्तित्व बस ऊर्जा ही है, जो स्वयं को अनेक रूपों में प्रकट करती है। अंतर केवल इतना है कि यह प्रकटीकरण या अभिव्यक्ति के अलग-अलग स्तरों पर है। आप जिसे सृष्टि या सृजन कहते हैं, वह भी वही ऊर्जा है जो स्थूल से सूक्ष्म होती जाती है।

अगर बीते दिनों को देखता हूँ, तो जब मैंने कॉलेज पास किया तो उसके बाद कुछ धन की आवश्यकता थी ताकि अपनी यात्राओं को जारी रख सकूँ, तब मैंने एक पोल्ट्री फार्म खोल लिया। एक दिन, मैंने एक दीवार रंगने का फैसला किया। मैंने ब्रश को पेंट में डुबोया और दीवार पर लगाया। मैं दीवार को पूरी तरह रंगना नहीं चाहता था बस उसका रंग बदलना चाहता था इसलिए मैं ब्रश थाम कर, एक से दूसरे कोने तक फेरता चला गया। पेंट पहले तो गाढ़ा था पर धीरे-धीरे पतला होता चला गया। मैंने उस पेंट के रंग को मोटे धब्बे से पतला, पतला और पतला और फिर ओझल होते देखा और मैं फूट पड़ा। मेरी आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे क्योंकि मेरे सामने पूरी सृष्टि मौजूद थी । यह सारा जीवन भी तो यही है ; बस पेंट का धब्बा ही तो! अस्तित्व शुरुआत में बहुत गूढ़ होता है और फिर पतला होते होते कहीं शून्य में विलीन हो जाता है। सबसे निचले से सबसे ऊंचे तक सब कुछ वहीँ था। मेरे लिए उस पेंट के धब्बे में विश्वरूपदर्शन मौजूद था। मैं वहीं बहुत देर एक गहरे आनंद के बीच बैठा रहा। मैंने तीन दिन तक पेंट नहीं किया और फिर उसके बाद दीवार को रंगा।

सब कुछ वही ऊर्जा ही तो है। चट्टान में भी वही ऊर्जा है। ईश्वर में भी वही ऊर्जा है। एक रूप स्थूल है और एक सूक्ष्म है।

जब आप इसे और अधिक सूक्ष्म कर देते हैं, तो सूक्ष्मता के विशेष स्तर से परे जाने पर इसे दिव्यता का नाम देते हैं। स्थूलता के एक निश्चित स्तर से नीचे, आप इसे पशु कहते हैं। इससे भी नीचे जाने पर आप इसे निर्जीव का नाम देते हैं। यह सब एक ही ऊर्जा का रूप है। मेरे लिए ये पूरी सृष्टि पेंट से खिंची गई रेखा के सामान है। आपके लिए भी तो वही है। आप जिसे ध्यानलिंग कहते हैं, वह ऊर्जाओं को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर और परिष्कृत स्तरों तक ले जाने का परिणाम है।

योग की सारी प्रक्रिया ही इसलिए बनी है कि आपको और अधिक तरल और अधिक सूक्ष्म बनाया जा सके। उदाहरण के लिए, समाधि एक ऐसी अवस्था है, जिसमें शरीर के साथ आपका संपर्क बहुत कम होते हुए, एक बिंदु तक रह जाता है और बाकी सारी ऊर्जा मुक्त हो जाती है, वह शरीर के साथ शामिल नहीं रहती। जब एक बार ऊर्जा इस रूप में आ जाती है, तो इसके साथ बहुत कुछ किया जा सकता है। जब ऊर्जा शरीर में ही उलझ कर, उसके साथ ही अपनी पहचान बनाए रखती है, तो उसके साथ कुछ अधिक नहीं किया जा सकता। बस आप विचार, भाव तथा भौतिक कर्म पैदा कर सकते हैं। जब ऊर्जा इस शारीरिक पहचान से छूट कर तरल हो जाती है, तो इसके साथ बहुत सारे अकल्पनीय कार्य किए जा सकते हैं।

ध्यानलिंग एक चमत्कार है क्योंकि यह जीवन को उसकी अथाह गहराई के साथ जानने की संभावना है, जीवन को उसकी संपूर्णता के साथ अनुभव करने की संभावना।

जब मैं चमत्कार शब्द की बात करता हूँ, तो मैं किसी एक वस्तु को दूसरी वस्तु में बदलने की बात नहीं कर रहा। अगर आप जीवन से अनछुए गुज़र सकते हैं, अगर आप जीवन से मनचाहे तरीके़ से खेल सकते हैं और फिर भी जीवन आप पर अपना कोई प्रभाव नहीं डालता, तो यह एक करिश्मा या चमत्कार है। हम सभी के जीवन में, कई रूपों में, इसे ही सामने लाने का काम कर रहे हैं। यही ईशा के योग कार्यक्रमों का चमत्कार भी है। ध्यानलिंग का मण्डल व ऊर्जा, इसके संपर्क में आने वाले हर मनुष्य के लिए एक संभावना पैदा करेंगे - जो वाकई इसके भौतिक संपर्क में आएगा या अपनी चेतना में इससे जुड़ेगा - बशर्ते वह स्वयं को इसके आगे खोलने के लिए प्रस्तुत हो। ध्यानलिंग उसके लिए उपलब्ध होगा। यह उसके लिए उच्चतम संभावना बन जाएगा।

"मैं चाहता हूँ कि आप इनर साइंस, यौगिक विज्ञान की शक्ति व मुक्ति को पहचानें, जिसके माध्यम से आप स्वयं अपने भाग्य के स्वामी बन सकते हैं।" - सद्गुरु

आपने आधुनिक विज्ञान की सुविधा व आनंद के ज्ञान को पा लिया है, तो ध्यानलिंग ही क्यों? ऐसा इसलिए है, मैं चाहता हूँ कि आप इनर साइंस, यौगिक विज्ञान की शक्ति व मुक्ति को पहचानें, जिसके माध्यम से आप स्वयं अपने भाग्य के स्वामी बन सकते हैं। इसीलिए ध्यानलिंग की स्थापना की गई है।

ये विज्ञान आपको जीवन पर पूरा नियंत्रण दे सकता है। ध्यानलिंग बनाने का उद्देश्य यौगिक विज्ञान को इस तरह साकार करना है कि इसे कभी मिटाया न जा सके; और साथ ही इसे ऐसे रूप में प्रकट करना है, कि हर इच्छुक व्यक्ति, कभी भी इस तक पहुँच सके। आप न केवल अपना मनचाहा जीवन रच सकें बल्कि अपने जीवन, जन्म तथा पुनर्जन्म की प्रक्रिया को भी तय कर सकें। यहाँ तक कि यह भी तय कर सकें कि आप किस गर्भ से जन्म पाना चाहते हैं, और आखिरकार स्वेच्छा से विलीन या मुक्त हो सकें।