परिपूर्णता

बैठा हूँ 
अभी जब मैं 
ज़मीन के उस नुक़िले उभार पर 
जो छू रहा है 
अरब सागर को 
जिसके सीने में उफन रहा है 
एक तूफान,
देख रहा हूँ मैं 
सागर का यह मिज़ाज 
जो लुभा रहा है 
सुरक्षित तटीय श्रेष्ठ जीवन को।
 

नाविकों के पास होगी 
सुनाने को एक अलग ही कहानी 
जैसे खिलाड़ियों और दर्शकों के 
होते हैं दो अलग दृष्टिकोण।
लेते हैं रोमांच का जो मज़ा 
उनकी कीमत किसी ने चुकाई होगी,
बाढ़ मे बहने का और डूबने का भी 
ख़तरा मोल लेकर।

आइए देखें
अपने संघर्षों से परे एक बार 
और महसूस करें 
तृप्ति - सूखी और झूलसी ज़मीन की 
और उन दूसरे प्राणियों की  
जिनको मिली है परिपूर्णता 
एक तूफानी और शानदार तरीक़े से। 

Love & Grace

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