लगभग आधी रात को टर्बो से चलनेवाले छोटे टैक्सीनुमा हवाई जहाज से मैंने बोस्टन से उड़ान भरी। दरअसल, मैं बोस्टन के मैसाचुसेट्स स्थित एमआईटी ( मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में ‘गियरिंग फॉर सक्सेस’ (सफलता के लिए तैयार होना) विषय पर आयोजित एक सत्र में व्याख्यान देने आया था। फिलहाल बोस्टन अपने एक हफ्ते पुराने विस्फोट के सदमे और घावों से उबरने की कोशिश में है। कल इस हादसे को लेकर मेमारियल सर्विस (मृतकों की याद में चर्च में होने वाली प्रार्थना सभा) आयेजित की गई है। इस भयानक कारनामे को अंजाम देने वाले युवा थे, उन नौजवान भाइयों में से छोटे भाई का मासूम सा दिखने वाला चेहरा दिल को काफी दुखित करने वाला था। 19 साल के इस लड़के को, जो हमारे बच्चों में से ही एक लगता है, जिस तरह से धार्मिंक तंत्र ने भ्रमित करके हैवान बनाया, इसे दुनिया के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता।

दुनिया जीतने की महत्वाकांक्षा रखने वाली धार्मिक विचारधाराओं या दर्शनों में इस दुनिया के सभी लोगों को पीड़ा देने की प्रवृत्ति पाई जाती है। पिछली दो हजार सालों में बिना किसी वजह के काफी हिंसा देखी गई है, इस धरती के विभिन्न धार्मिक समूहों ने दुनिया के लोगों पर हिंसा बरसाया है। जिन लोगों ने हिंसा का यह वातावरण बनाया है, वे ही लोग लगातार शांति, प्रेम और करुणा का राग अलाप रहे हैं। यह न सिर्फ अपने आप में बेहद घिनौने है, ये लोग अपने भीतर एक डरावना चेहरा भी छिपाए हुए हैं।

अब उन मौलिक कारणों पर ध्यान देने का वक्त आ गया है, जो धर्म के नाम पर इस तरह की घिनौनी हिंसा फैलाते हैं।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

अब उन मौलिक कारणों पर ध्यान देने का वक्त आ गया है, जो धर्म के नाम पर इस तरह की घिनौनी हिंसा फैलाते हैं। अब वक्त आ गया है कि जनसभाओं में राजनैतिक रूप से सही बात कहने या करने की बजाय इस दौर में मौजूद बुराइयों का समाधान पेश करने की कोशिश की जाए। जिन लोगों की एक खास तरह की विश्वास प्राणाली में श्रद्धा नहीं है या जिन्हें उसमें प्रशिक्षित नहीं किया गया है, उन लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने के कई करण मौजूद हैं। ये सारी विषमताएं उन पवित्र पुस्तकों या ग्रंथों में हैं, जो तथाकथित रूप से ईश्वर के कहे शब्द या बातें मानी जाती हैं।

उकसाने वाली बातों को चाहे जिस भी वजह से पवित्र ग्रंथों में जगह मिली हो, अब समय आ गया है कि जो बातें हमारे दौर या समय के अनुकूल नहीं हैं या स्वीकार्य नहीं हैं, उन्हें ईश्वर की मर्जी समझकर इनसे निकाल दिया जाए। हम ईश्वर से पूछ सकते हैं और अगर ईश्वर कुछ नहीं कहते तो उनकी चुप्पी को ‘हां’ मानना कोई अपराध नहीं होगा। आज किसी को भी ईश्वर के दूत या गण की जरूरत नहीं है, यह सुनिश्चित करना ही वक्त की सबसे बड़ी मांग है। हिंसा की दूसरी तमाम वजहों का हल किसी न किसी बिंदु पर जाकर खोजा जा सकता है, लेकिन उस हिंसा का कोई हल नहीं हैं, जो अपने ईश्वर के लिए युद्ध के नाम पर की जाती है। आप उन्‍हें इससे अचानक अलग नहीं कर सकते, क्‍योंकि यह दुनिया के लिए एक शाश्‍वत मुद्दा है ।

इस समस्या का समाधान केवल तभी संभव है, जब सारे धार्मिक संगठन या समूह खुद को आगे बढ़ाने की संभावनाओं की ओर देखना शुरू करने या अपने पवित्र ग्रंथों से हिंसा फैलाने वाले भड़काऊ शब्दों को हटाने के लिए राजी हो जाएं।  इसके लिए किसी एक को नहीं, बल्कि सभी को कोशिश करनी होगी। हालांकि यह अपने आप में आसान काम नहीं हैं, लेकिन किसी न किसी बिंदु से हमें इसकी शुरुआत तो करनी ही होगी।

इस वीकेंड (सप्ताहांत) पर मैं अटलांटा में था, जहां 1100 लोगों ने तीन दिन के इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रत जबर्दस्त रूप से सफल रहा। तमाम तरह के लोगों के हिस्सा लेने से कार्यक्रम काफी रोचक रहा।

पिछली आधी रात को दो प्रोपेलर इंजन वाला हवाई जहाज गड़गड़ाता और तड़तड़ाता हुआ हमें चंद्रमा की चांदनी से रोशन आसमान में लिए जा रहा था। पंखविहीन प्राणी होने के बाद भी अगर हम आसमान में उड़ पा रहे हैं तो यह अपने आप में एक बहुत बड़ा आशीर्वाद है। हम डेटन के लिलियेंथल बंधुओं व ओहिओ सहित उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने उड़ने की परिकल्पना को साकार करने में अपनी कोशिशों के साथ-साथ अपनी जान की बाजी भी लगा दी। वाकई कितना शानदार तोहफा है यह।

Love & Grace