संस्कृति को फिर से गौरव दिलाना
ईशा योग केंद्र में भारत की सांस्कृतिक विरासत को उसका पूरा गौरव वापस दिलाने के लिए बहुत से प्रयास चल रहे हैं।
ईशा योग केंद्र में भारतीय सांस्कृतिक विरासत को इसकी पूरी कीर्ति के साथ सामने लाने के लिए कई प्रकार के प्रयत्न निरंतर जारी हैं।
महाशिवरात्रिईशा का महाशिवरात्रि समारोह पूरे देश में सबसे अधिक भव्य तथा विशालतम कार्यक्रमों में से एक होता है। 2013 में, इस समारोह में लगभग छह लाख आध्यात्मिक जिज्ञासुओं ने भाग लिया - यह एक ऐसा समारोह था, जिसे ‘हार्पर्स बाज़ार (मैगज़ीन), भारत’ ने, ‘महाकुंभमेला के बाद विशालतम एकत्रीकरण’ के नाम से पुकारा। रात को आयोजित किए गए सभी समारोहों का पूरे विश्व में, आस्था चैनल, विजय टीवी तथा ईशा फाउंडेशन के ऑनलाइन र्पोटल पर सीधा प्रसारण किया गया, जिसे पांच करोड़ से अधिक दर्शकों ने देखा।
यक्षयक्ष एक सात दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव है, जिसे प्रतिवर्ष फरवरी व मार्च माह में मनाया जाता है, जो महाशिवरात्रि के उत्सव में जा कर समाप्त होता है। इसमें भारत के महानतम कलाकारों में से कुछ कलाकार, निरंतर सात रातों तक संगीतमयी सभाओं का आयोजन करते हैं। यक्ष में भाग लेने वाले कलाकारों में भारतीय शास्त्रीय संगीत के कुछ महान कलाकार जैसे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, पंडित जसराज तथा उस्ताद अमजद अली खान आदि भी शामिल हैं।
नवरात्रिप्रतिवर्ष ईशा योग केंद्र में, नवरात्रि का त्योहार पूजा व अनुष्ठान, शास्त्रीय संगीत व नृत्य तथा पारंपरिक हस्तकला प्रदर्शनी के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
Hands of Graceप्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान, केंद्र में हैंड्स ऑफ़ ग्रेस नामक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाती है, जिसमें भारत की पारंपरिक हस्तकलाओं का प्रदर्शन होता है। भारत के हस्तकारीगर, प्राकृतिक सामग्री की गहरी जानकारी के साथ विविध प्रकार के बहु-आयामी हस्त-शिल्प प्रस्तुत करते हैं, जो अपनी सुंदरता और नमूनों के साथ बेजोड़ होते हैं। हस्तकला समूहों द्वारा हज़ारों अद्भुत शिल्पों का प्रदर्शन होता है, जिनसे भारत की कला व हस्तशिल्प परंपरा का वैभव झलकता है।