नवरात्रि कब है ?

वर्ष 2021 में नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो कर 15 अक्टूबर को सम्पन्न होगी। देवी की ये नौ शुभ रातें यौगिक संस्कृति में दैवी स्त्रीत्व के समय के रूप में मनायी जाती हैं। लोग तरह तरह की धार्मिक क्रियायें करते हैं और ऐसी बहुत सी ध्यान प्रक्रियायें भी हैं जो खास तौर पर इन्हीं दिनों के लिये बनायी गयी हैं। इनमें भाग ले कर लोग देवी की कृपा पा सकते हैं।

नवरात्रि क्यों मनायी जाती है? 

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सदगुरु: देवियों को पारंपरिक रूप से पूजने वाली संस्कृतियों में यह जानकारी थी कि अस्तित्व में ऐसा बहुत है जिसे कभी समझा नहीं जा सकता। आप इसका आनंद ले सकते हैं, इसकी सुंदरता का उत्सव भी मना सकते हैं पर इसे कभी समझ नहीं सकते। जीवन गूढ़ है, एक रहस्य है और हमेशा ऐसा ही रहेगा। नवरात्रि का उत्सव इसी मूल अंतर्दृष्टि पर आधारित है। 

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नवरात्रि पूजा

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ईशा योग केंद्र में नवरात्रि का उत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है, जिसमें विशेष पूजा, शास्त्रीय संगीत और नृत्य के कार्यक्रम, लोक नृत्य और संगीत/नाटक के कार्यक्रम होते हैं और साथ ही लिंग भैरवी की शानदार शोभायात्रा निकलती है, और नंदी के सामने भव्य महाआरती भी होती है। नवरात्रि के हर दिन नवरात्रि पूजा होती है, जो देवी की कृपा पाने के लिये एक शक्तिशाली अवसर है। नवरात्रि पूजा में 11 तरह के अर्पण करने के लिये विस्तृत अभिषेक होते हैं, और संगीत और नृत्य के जीवंत कार्यक्रम भी होते हैं जिनमें देवी के गौरव की स्तुति होती है, जिससे ऊर्जा विस्फोटित होती है। 

नवरात्रि की कथा -- महिषासुर मर्दिनी

सदगुरु : कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि मनुष्य जाति स्वर्ग से नीचे उतर कर आयी थी, पर वैसा कुछ भी नहीं है। मनुष्य का विकास हुआ है, क्रमिक विकास! अमीबा, जमिनी कीड़े, टिड्डे, भैंस और सभी प्रकार के पशुओं के गुण आज भी हमारी मजबूरियों और आदतों के रूप में हममें मौजूद हैं। आधुनिक न्यूरोलॉजी भी यह बात मानती है कि हमारे मस्तिष्क का एक भाग साँप के मस्तिष्क जैसा है जो आदतों के हिसाब से चलता है। पर उसके ऊपर सेरेब्रल कोर्टेक्स का फूल विकसित हो चुका है।

महिषासुर और उसके भैंसे का प्रतीक यही है कि पुरुषत्व जब अपने ही स्वभाव के हिसाब से जीता है तब वह अपनी ही आदतों के हिसाब से जी पाता है। पर जब स्त्रीत्व का प्रवेश होता है, तभी पुष्प खिलता है। जब ये खुल जाता है, तो पशु के स्वभाव वाला पुरुषत्व देवी के सामने नतमस्तक हो जाता है। 

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नवरात्रि के नौ दिन

नवरात्रि का उत्सव देवी के तीन मुख्य रूपों को जानने के लिये है -- दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती। इसके अनुसार ही नवरात्रि में, हर तीन दिनों के लिये लिंग भैरवी तीन अलग-अलग रंगों और रूपों में होती है। 

सदगुरु: नवरात्रि के नौ दिन तीन मूल गुणों -- तमस, राजस और सत्व -- के अनुसार अलग-अलग वर्गों में बाँटे जाते हैं। पहले तीन दिन तमस के हैं, जब देवी रौद्र रूप में होती है, दुर्गा और काली की तरह। अगले तीन दिन लक्ष्मी से संबंधित हैं जो सौम्य पर सांसारिक झुकाव वाली देवी हैं। आखिरी तीन दिन सरस्वती को समर्पित हैं, जो सत्व गुण प्रधान हैं। वे ज्ञान और आत्मज्ञान से संबंधित हैं। 

नवरात्रि के बाद दसवाँ और आखिरी दिन विजया दशमी है, जिसका मतलब है कि आपने इन तीन गुणों पर विजय पा ली है।

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नवरात्रि साधना

सदगुरु ने एक खास साधना प्रक्रिया तैयार की है जो नवरात्रि में की जा सकती है, और जिससे भक्त को देवी की कृपा पाने में ज्यादा मदद मिलती है। इस बारे में ज्यादा पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें

नवरात्रि गीत

भक्ति जगाने के लिये संगीत एक अद्भुत तरीका है, जो हमें अंदर के एक पूरी तरह से अलग क्षेत्र में पहुँचा देता है। कोई भी उत्सव संगीत के बिना पूरा नहीं होता और नवरात्रि भी इसमें अपवाद नहीं है। आप की नवरात्रि को और भी ज्यादा प्रकाशमान करने के लिये, यहाँ कुछ बहुत ही कलात्मक रूप से प्रस्तुत गीत दिये गये हैं। 

नवरात्रि की शुभकामनायें

अपने प्रियजनों को इन 15 नवरात्रि शुभकामना संदेशोंमें से चुन कर शुभ नवरात्रि का संदेश भेजें।

नवरात्रि कोट्स

यहाँ सदगुरु के 25 कोट्स दिये जा रहे हैं जो देवी की सभी जटिलताओं और दिव्यताओं के मूल को प्रकट करते हैं। हम आशा करते हैं कि सदगुरु के ये शब्द आपको देवी के रंग भरे और जीवंत संसार में ले जायेंगे।   

संपादकीय टिप्पणी: लाइव वेबस्ट्रीम के माध्यम से हमारे साथ आप भी नवरात्रि के उत्सव में शामिल हो सकते हैं। Live Webstream