मिला मुझे ‘कूल’ रहने का मंत्रः राम सिंह चौहान
दुनिया की सबसे लंबी मूंछों के मालिक हैं जयपुर के श्री राम सिंह चौहान जिनकी मूंछों की लंबाई 'गिनिज बुक' तक पहुंच गई है। नौकरी से रिटायरमेंट के बाद राम सिंह को मौका मिला ईशा योग से जुड़ने का। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुल कर बताया कि...

दुनिया की सबसे लंबी मूंछों के मालिक हैं जयपुर के श्री राम सिंह चौहान जिनकी मूंछों की लंबाई 'गिनिज बुक' तक पहुंच गई है। नौकरी से रिटायरमेंट के बाद राम सिंह को मौका मिला ईशा योग से जुड़ने का। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुल कर बताया कि इससे जुड़ कर न केवल उनके जीवन में बल्कि उनके स्वभाव में भी बदलाव आया है। आइए जानें कि कैसा और कैसे आया बदलाव।
प्रश्नः नमस्कार, राम सिंह जी। दुनिया में सबसे लंबी मूंछ के लिए आपका नाम 'गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड' में दर्ज है। अभी आपकी मूंछों की लंबाई कितनी है?
राम सिंहः सन् 2008 में 'गिनिज वल्र्ड रिकार्ड' वाले मेरा इंटरव्यू ले कर गए थे। उसके बाद मैंने उसे चैलेंज किया, उन्होंने फिर 2010 में मुझे इटली बुलाया। 4 मार्च 2010 को इनकी लंबाई 14 फुट थी, जो अब 18 फुट हो गई है। 'गिनिज' के अलावा मेरा रिकार्ड लिम्का-इंडिया में भी है। कई किताबों के 'कवर-पेज' पर मेरा फोटो है और उनमें इसकी चर्चा है। इसके अलावा इंडिया में मूछों पर एक किताब निकली है, उसमें भी मेरे बारे में लिखा है।
प्रश्नः क्या मूछों पर किताब है?
राम सिंहः जी हां। अहमदाबाद में एक लड़की इंडियन सिनेमा के ऊपर पीएचडी कर रही थी। उसमें एक विषय था- 'इंडियन मुस्टैच’ (भारतीय मूंछ)। वह मेरा इंटरव्यू ले कर गई है और अभी पीएचडी थीसिस जमा की है। लंदन में एक यूनिवर्सिटी है फिल्म्स डिवीजन की। वे लोग भी मेरा इंटरव्यू ले कर गए थे। उन्होंने बताया कि इसके बारे में वहां के स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाएगा। मेरा 'रफ-गाइड’ चैनेल पर भी एक प्रोग्राम टेलिकास्ट किया गया था। डिस्कवरी चैनेल पर मेरा इंटरव्यू कई बार दिखाया जा चुका है। हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल साहब ने तो मेरी मूछों को नापा भी था। उस समय (1997 में) राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भैरों सिंह शेखावत थे, तब गुजराल साहब आए थे। उस मौके पर गुजराल साहब ने बड़ी इत्मीनान से मेरी मूंछों को नापा था। भारत के राष्ट्रपति श्री के आर नारायनन भी वहां उपस्थित थे। सुब्रतो राय जी, जो सहारा इंडिया के मालिक हैं, उनकी ऐम्बिवैली में मैंने काफी प्रोग्राम किए हैं। मैं राजस्थान टूरिज्म में था, जिसकी वजह से ‘कल्चरल एक्टिविटी’ से बहुत जुड़ा रहा हूं। बचपन से मुझे नाटक का शौक रहा है। राजस्थान यूनिवर्सिटी से 'ड्रैमेटिक्स’ का कोर्स भी किया है। कई फिल्मों में, सीरियल्स के ऐपिसोड्स में भी काम किया है, और कई में सहयोग दिया है। अंग्रजी फिल्मों में भी काम किया है, किर्क डगलस और दूसरे कलाकारों के साथ।

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प्रश्नः आपको मूंछें बढ़ाने की प्रेरणा कहां से मिली?
राम सिंहः जब से मैंने होश सम्हाला है, 1970 से ही, मेरी मूछें हैं, और 1982 से मैंने बढ़ाना शुरू किया। प्रेरणा मुझे मिली है, जैसलमेर, राजस्थान के रहने वाले करणभिल से। उनका नाम भी 'गिनिस वल्र्ड रिकार्ड' में था और हम उनको राजस्थान टूरिज्म के कार्यक्रमों में बुलाया करते थे। उनसे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी। मेरी मूछों से प्रभावित होकर वे बोले कि राम सिंह, आप भी मूंछें बढ़ाएं तो बड़ा अच्छा रहेगा।
प्रश्नः उनकी मूंछें कितनी लंबी थीं?
राम सिंह: उनकी लगभग सात फुट लंबी थीं।
प्रश्नः आप उनको पीछे छोड़ आए, अब आपकी उनसे लगभग तीन गुनी लंबी मूंछें हैं।
राम सिंहः ऐसा है कि कोई रिकार्ड स्थिर नहीं रहता है। आज इंसान आया है, कल चला जाएगा। इसी तरह से रिकार्ड है। वह आज है, कल दूसरे के नाम हो जाएगा। मेरी कोशिश यही रहेगी, और मुझे खुशी इसी बात से होगी कि यह रिकार्ड किसी हिंदुस्तानी के ही नाम रहे। एक भारतवासी अगर इस रिकार्ड को कायम रखेगा तो बहुत बढ़िया लगेगा।
प्रश्नः आपको ईशा-योग के बारे में कैसे पता चला?
राम सिंहः पहले मेरे दामाद ने सन् 2008 में ईशा योग प्रोग्राम में भाग लिया था, उसके बाद मेरी बेटी ने लिया। उन लोगों ने ही मुझे इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने को कहा। उस वक्त मैं ‘राजस्थान टूरिज्म डिपार्टमेंट’ में मार्केटिंग का काम देखता था और तब काम का बोझ बहुत ज्यादा था। मैं इस साल फरवरी में रिटायर हुआ। इसके बाद यहां जो पहला योग प्रोग्राम (17 से 23 अपैल) हुआ उसी में मैंने भाग ले लिया।
प्रश्नः इस प्रोग्राम में सिखाई गई क्रिया के अभ्यास से आपको क्या अपने अंदर कुछ परिवर्तन महसूस हो रहा है? क्रिया करके आपको कैसा लगता है?
राम सिंहः देखिये, क्रिया एक ऐसी चीज है जो रुटीन में आ गई है। जिस तरह से इंसान भोजन करता है या नाश्ता करता है या उसे चाय पीने की इच्छा होती है, उसी तरह से क्रिया की भी इच्छा होती है। जब तक आप क्रिया नहीं करते हैं, तब तक कुछ अटपटा सा लगता है। और क्रिया करने के बाद एक तरह की शांति मिलती है। यह करने के बाद ही हम अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं। मैं आपको साफ-साफ बता दूं कि मुझमें ‘टेंपर’ बहुत ज्यादा है। गुस्सा बहुत आता था, मेरे घर में सभी को मालूम है। यह क्रिया करने से, मैं इसे थोड़ा कंट्रोल कर पा रहा हूं। मेरी यह आदत बहुत पुरानी है, तो इसे पूरी तरह कंट्रोल करने में थोड़ा समय और लगेगा। मेरी कोशिश है कि अपने को मैं हमेशा 'कूल’ रखूं।

प्रश्नः राम सिंह जी, जब आपने ईशा-योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया, उन सात दिनों में आपको कैसा लगा? कार्यक्रम के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
राम सिंहः हमें वहां हर चीज बहुत विस्तार में और बारीकी से बताई गई। यह कार्यक्रम हमें बहुत अच्छा लगा, और मैं तो यह कहूंगा कि यह कार्यक्रम हर आदमी को करना चाहिए, इसके लिए किसी भी तरह से समय निकालना चाहिए। आज के युग में आदमी काफी बिज़ी रहता है, कई तरह के टेंशन में रहता है। इसको करने में जो हम थोड़ा सा वक्त देते हैं, उससे एक शांति मिलती है। सोच-विचार में भी परिवर्तन आता है। किसी दूसरे व्यक्ति से बात करते समय अंदर में 'कूलनेस’ बनी रहती है।
प्रश्नः इन मूंछों की देखभाल करने में काफी समय लगता होगा, फिर आप योग के लिए कैसे समय निकालते हैं?
राम सिंहः अब रिटायर होने के बाद इसके लिए मेरे पास बहुत समय है। मूंछों को मैं दस दिन में एक बार धोता हूं, और तेल और कुछ दूसरी चीजें लगाता हूं। अब समय की कोई कमी नहीं है, समय काफी है। जो क्रिया मैं कर रहा हूं, उससे मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है। इससे भावी जीवन जीने के लिए एक दिशा भी मिली है। सद्गुरु के मार्गदर्शन में, मैं जीवन को अधिक गहराई में जीना चाहता हूं- इसको लेकर मेरे अंदर एक कौतूहल है।
प्रश्नः क्या आप ईशा योग केंद्र जाकर वहां एडवांस्ड प्रोग्राम में भाग लेना चाहेंगे? ऐसी कोई इच्छा है?
राम सिंहः देखिए, इंसान की इच्छाएं तो बहुत होती हैं, बाकी सब ईश्वर के हाथ में होता है। व्यक्ति कोशिश जरूर करता है। वहां जाने का विचार तो बहुत है। मार्च में, महाशिवरात्रि के अवसर पर वहां जाने के लिए मेरा रिजर्वेशन भी हो गया था, लेकिन वह मेरे भाग्य में नहीं था। तब मेरी तबियत बहुत खराब हो गई थी। अभी मैं भविष्य के बारे में कुछ नहीं बोल सकता। जाने की बहुत इच्छा है। कोशिश कर रहा हूं कि वहां सितम्बर में जा सकूं।
प्रश्नः आपके आने वाले जीवन में योग क्या भूमिका निभा सकता है?
राम सिंहः देखिए, योग आदमी के व्यक्तिगत जीवन में बहुत काम आता है। इससे आदमी नर्वस नहीं होता। रिटायरमेंट के बाद लोगों में अकेलापन आ जाता है। जब आदमी योग से जुड़ता है, तो उसे अकेलापन नहीं महसूस होता। योग एक बहुत बढ़िया चीज है। हर व्यक्ति को इसे करना चाहिए, चाहे वह किसी भी समाज का हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी धर्म का हो। योग खुद के लिए है, दूसरों के लिए नहीं। आप अपने जीवन को कैसे बीताना चाहते हैं, आप जीवन को किस तरह का बनाना चाहते हैं, योग इसके लिए है।