हमारा शरीर इस धरती का सबसे उत्कृष्ट यंत्र है। यह एक बहुत ही जटिल यंत्र है, जो तकनीक के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ है। चार्ल्स डार्विन ने हमें बताया कि एक बंदर को इंसान बनने में लाखों साल लग गए, पर हमारा शरीर कुछ ही घंटों में एक केले को इंसान में बदल देता है! यह कोई छोटी बात नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि सृष्टि का स्रोत इसके अंदर निरंतर काम कर रहा है। हमारा शरीर इस विशाल ब्रह्मांड का एक सूक्ष्म रूप है, क्योंकि सृष्टि में जो कुछ भी हो रहा है वह किसी न किसी रूप में इस शरीर में भी होता है। पर हम इसकी संभावनाओं और क्षमताओं से जीवनभर अनभिज्ञ रह जाते हैं।

शरीर की संभावनाओं के बारे में जानना होगा

कुछ साल पहले, भारत की कुछ सेलफोन कंपनियों ने एक सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि 97 फीसदी लोग एक आम फोन की क्षमता का सिर्फ सात फीसदी ही उपयोग में लाते हैं। यह सर्वेक्षण स्मार्ट फोन पर नहीं, बल्कि आम फोन पर किया गया। तो उस छोटे से उपकरण का सिर्फ सात फीसदी ही हम उपयोग में ला रहे हैं। जरा आप अपने शरीर के बारे में सोचिए। यह वह उपकरण है, जिसने इस धरती के हर उपकरण को बनाया है। हम इस उपकरण का कितना फीसदी काम में ला रहे हैं? एक फीसदी से भी कम, क्योंकि दुनिया में गुजर-बसर करने के लिए हमें अपने शरीर की क्षमता के एक फीसदी की भी जरूरत नहीं होती। रेडियो हो या टेलीविजऩ या इस तरह का कोई अन्य उपकरण हो, अगर हम उसे सही तरीके से ट्यून कर देते हैं तो हमें कई तरह की जानकारियां मिल जाती है। लेकिन अगर हम अपने शरीर को सही तरीके से ट्यून कर लेते हैं, तो यह ब्रह्मांड में मौजूद सभी जानकारियां हासिल कर सकता है। अगर आप शरीर को पढ़ना जानते हैं, तो यह आपको आपकी तमाम क्षमताओं, आपकी सीमाओं, आपके वर्तमान, भूत और भविष्य का ज्ञान करा देगा।

112 ऊर्जा केन्द्रों के सात आयाम ही हैं सात चक्र

जिस तरह से मेडिकल फिजियोलॉजी होती है, वैसे ही योग की एक पूरी फिजियोलॉजी है। योग में, हम शरीर को पांच परतों या कोषों के रूप में देखते हैं। ये पांच कोष हैं: अन्नमय-कोष, मनोमय-कोष, प्राणमय-कोष, विज्ञानमय-कोष और आनंदमय-कोष। मेडिकल साइंस की पहुंच अन्नमय और मनोमय कोष तक ही सीमित है, पर योग विज्ञान में शरीर को इसकी संपूर्णता में देखा गया है। हमारे प्राणमय-कोष में 112 ऊर्जा केंद्र होते हैं, जिन्हें हम चक्र के नाम से जानते हैं। ये 112 ऊर्जा केंद्र अपने सात आयामों में सात चक्रों के रूप में जाने जाते हैं। अगर आप अपने इन ऊर्जा केंद्रों के बारे में जागरूक हो जाते हैं और इन्हें कुछ हद तक सक्रिय बना लेते हैं, तो आपकी जीवन यात्रा, बिना किसी तनाव या थकान के, पूरी सहजता से आगे बढ़ती है। आप जीवन से जैसे चाहें खेल सकते हैं, लेकिन जीवन आप पर एक खरोंच भी नहीं लगा सकता। आप अपने शरीर का बेहतर इस्तेमाल कर सकें, इसके लिए आवश्यक है कि आप शरीर के ऊर्जा केंद्रों को अधिक गहराई में समझें और अनुभव करें। ऐसा कर आप अपने जीवन की बागडोर अपने हाथ में ले सकें, इसी कामना के साथ चक्रों पर विशेष आलेख समेटे यह अंक आपको समर्पित है।

- डॉ सरस

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