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It takes a lot of life’s experience to realize that what you thought was great, is not so great actually. When Krishna was asked, ‘What is the nature of truth?’ he said, ‘What seems to be like poison is amritha*, what tastes like amritha is poison.’ It takes a lot of life’s experience to realize this. Very few arrive at this without too much pain. Most people arrive at it with much pain. For most, when they arrive at it, it’s too late; so it makes no difference anyway.

Has this happened to you? What you thought was really great when you were sixteen, was not so great when you were thirty? If you don’t let it happen at thirty, it’ll happen to you at sixty. That’s a loss of life, a terrible waste of life. The more you hasten the experience of life, the better it is.

There’s a saying, ‘Experience is like a comb that you find when you have lost all your hair.’ There is also a vernacular saying, ‘You find nuts to eat when all your teeth are gone.’ So nuggets of wisdom will fall upon you when you’re digging the grave. No, they must fall now. When you are young and healthy, when life is ahead of you. And not nuggets, a torrent of wisdom should fall upon you. If this has to happen, there is no other way than to bring clarity to your perception. If you don’t do enough work to bring clarity of perception, wisdom is an accident. If there is no clarity of perception you will see things in the way they are not. Once you see things in the way they are not, you will live a ridiculous life unknowingly. Maybe ten people have joined your party and ten of you are doing the same stupid things, and you feel it’s the right thing, but you will know one day what the right thing is. I only hope that day is not the last day of your life.

Shankaran Pillai woke up his wife at 2:30 AM and said, ‘Something really spooky is happening in our house. It’s been happening every night. I thought I wouldn’t bother you but this is too much and just now it really scared me.’ She asked, ‘Okay, what’s happening?’ He said, ‘When I go to the bathroom to pee at night, if I open the door, the light comes on by itself.’ She scratched his face and said, ‘You idiot! It’s you who’s been peeing in the refrigerator!’

Please get it right. Get it right as quickly as possible.

* nectar

यह जानने के लिए कि जो आपने महान मान रखा था वह महान नहीं है, जीवन में बहुत से अनुभवों की जरूरत होती है। जब कृष्‍ण से यह पूछा गया कि ‘सत्‍य क्‍या है?’ तो उन्‍होंने कहा, ‘जो विष जैसा दिखता है वह अमृत है, जो अमृत जैसा स्‍वाद देता है वह विष है।’ यह जान पाने के लिए जीवन के बहुत से अनुभवों की जरूरत होती है। बहुत कम हैं जो बिना बहुत पीड़ा के इस बिंदु तक पहुंच सकें। अधिकांश लोग तो बहुत पीड़ा के बाद ही यहां तक पहुंचते हैं। अधिकांश लोगों के लिए, वे जब तक इस बिंदु पर पहुंचते हैं, बहुत देर हो चुकी होती है, तो वैसे भी उनको इससे कोई फायदा नहीं होता।

क्‍या आपके साथ ऐसा हुआ है? जब आप सोलह वर्ष के थे तो जो आपने सोचा सचमुच महान है, वह उतना महान नहीं पाया जब आप तीस साल के हो गए? यदि आप इसे तीस में नहीं होने देंगे, तो यह आपके साथ साठ में होगा। यह जीवन की हानि है, जीवन का बुरी तरह व्‍यर्थ चले जाना है। जीवन के अनुभव को आप जितना शीध्र करें, उतना ही अच्‍छा।

एक कहावत है, ‘अनुभव ऐसी कंधी की तरह है जो आपको तब मिलती है जब आपके सारे बाल जा चुके होते हैं।’ एक देसी कहावत भी है, ‘आपको अखरोट तभी मिलते हैं जब आपके सारे दांत जा चुके होते हैं।’ तो समझ की बूंदें आप पर तभी गिरेंगी जब आप कब्र खोद रहे होंगे। नहीं, वे अभी गिरनी चाहिए। जब आप युवा और स्‍वस्‍थ्य हैं, जब जीवन आपके सामने है। और सिर्फ बूंदें ही नहीं, समझ की धार आप पर गिरनी चाहिए। यदि ऐसा होना है तो अपनी दृष्‍टि में सुस्‍पष्‍टता लाने के सिवाय कोई और उपाय नहीं है। यदि दृष्‍टि साफ नहीं है तो आप चीजों को इस तरह देखेंगे जैसी वे नहीं हैं। जैसे ही आप चीजों को वैसा देखने लगते हैं जैसी वे नहीं हैं आप अनजाने में ही एक बेतुका जीवन जीएंगे। शायद दस लोग आपके साथ जुड़ गए हों और दसों एक जैसी मूढ़ताएं कर रहे हों, और आपको लगता हो कि यही सही है पर एक दिन आपको पता चलेगा कि सही क्‍या है। मैं बस यही आशा करता हूं कि वह दिन अपके जीवन का अंतिम दिन न हो।

शंकरन पिल्‍लै ने सुबह 2.30 बजे अपनी पत्‍नी को जगाया और बोला, ‘हमारे घर में कुछ बड़ा डरावना हो रहा है। यह हर रात हो रहा है। मैंने सोचा कि तुम्‍हें परेशान नहीं करूंगा लेकिन अब बहुत ज्‍यादा हो गया है और अभी-अभी तो इसने मुझे बहुत डरा दिया।’ उसने पूछा, ‘अच्‍छा क्‍या हो रहा है?’ वह बोला, ‘जब रात को मैं पेशाब करने के लिए जाता हूं तो लाइट अपने आप ही जल जाती है।’ अपना मुंह खुजलाते हुए वह बोली, ‘बेवकूफ! तो तुम हो जो रेफ्रिजरेटर में पेशाब कर रहे हो।’
कृपया इसे ठीक कर लें। जितनी जल्‍दी संभव हो आप इसे ठीक कर लें।

Love & Grace