सद्‌गुरुशिवांग साधना स्त्रियों के लिए 21 दिनों की साधना हैयह साधना महिलाओं के लिए लिंग भैरवी देवी की कृपा अनुभव करने का एक अवसर है। यह  31 दिसम्बर  2018 को शुरू होकर  21 जनवरी, 2019 तक चलेगी।

भावना और बुद्धि - भावना ही आसान मार्ग है

बुद्धि हर चीज को काटते और भेदते हुए उसके बारे में जानने की कोशिश करती है। जबकि भावना हर चीज को अपने में शामिल करते हुए उसके बारे में जानती है।

चैतन्य की चीड़-फाड़ करना भक्ति नहीं है, भक्ति चैतन्य के साथ नृत्य करना, उसके साथ एक होना है।
स्त्रियों के लिए शिवांग साधना इस तरह तैयार की गई है कि वह आपकी भावनात्मक बुद्धि को बढ़ाती है। भावनात्मक बुद्धि का इस्तेमाल करना किसी भी कार्य को करने का ज्यादा आसान तरीका है। चैतन्य की चीड़-फाड़ करना भक्ति नहीं है, भक्ति चैतन्य के साथ नृत्य करना, उसके साथ एक होना है। अगर आप चैतन्य की चीड़-फाड़ करते हैं, तो आपको इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा। सबसे अच्छा तरीका समाहित करना है। जब आप किसी को समाहित करते हैं, तो आप समाहित होने के लिए भी तैयार होते हैं। अगर आप इस साधना को एक पवित्र चीज मानकर बस इसमें खुद को समर्पित कर दें, तो यह आपके लिए चमत्कार कर सकती है।

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स्त्री शिवांग साधना - उत्तरायण की शुरुआत का समय

स्त्रियों के लिए शिवांग साधना, भक्ति को भीतर से बाहर लाने का एक मौका है। 21 दिनों की साधना उत्तरायण की शुरुआत के दौरान शुरू होती है, जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर गतिशील होता है।

स्त्रियों के लिए शिवांग साधना इस तरह तैयार की गई है कि वह आपकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ाती है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करना किसी भी कार्य को करने का ज्यादा आसान तरीका है।
यह समय आध्यात्मिक ग्रहणशीलता के लिए अनुकूल है। साधना का समापन थाइपूसम के शुभ दिन पर कोयंबटूर के आश्रम में लिंग भैरवी की मूर्ति के सामने होता है। इसी दिन देवी की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ भी है। विशेष अभ्यासों, अनुशासन और भेंटों के द्वारा साधक देवी की कृपा को प्राप्त करते हैं। लोगों की इच्छाएं चाहे जो भी हों – सेहत, धन-दौलत, जोश, ज्ञान या भौतिकता से परे जाना – देवी इन सब के साथ और भी बहुत चीजों को प्रदान करने वाली हैं।


कुछ भक्तों के अनुभव :

‘देवी साधना के दौरान उनकी कृपा ने न सिर्फ दैनिक कार्यकलापों में, बल्कि मेरे अभ्यासों में भी मेरी मदद की। मेरे आस-पास की ऊर्जा से मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो वह हर समय मेरे साथ मौजूद थीं, किसी दोस्त की तरह चीजें साझा करतीं, मां की तरह सुरक्षा करतीं और हमेशा मार्गदर्शन करतीं।’

– स्फूर्ति, फैशन कंसल्टेंट, मुंबई

‘मैं दो सालों से यह प्रक्रिया कर रही हूं। हर बार इसे करते समय मैं देवी की कृपा से अभिभूत महसूस करती हूं। यह साधना मुझे लोगों के करीब लाई है और साथ ही यह सीमाओं को तोड़ने के लिए मेरे मन में पक्के इरादे की एक गहरी भावना भरती है। मैं इस शानदार अनुभव के लिए सद्गुरु की बहुत आभारी हूं।’

– जयश्री शंकर, निदेशक, सुब्रह्मण्य ग्रुप ऑफ कंपनीज, तूतीकोरिन

पंजीकरण के लिए, कृपया अपने स्थानीय ईशा योग केंद्र से संपर्क करें। भारत : +91 8300083111 या shivanga@lingabhairavi.org