गोरखनाथ अपने गुरु से इतना जबरदस्त प्रेम करते थे कि उन्होंने सारी सीमाएं पार कर दी थीं। जब गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने देखा कि अगर उनका शिष्य इस प्रेम को सही दिशा प्रदान करे तो उसमें दुनिया को बदलने की क्षमता है, तो वे लगातार इस प्रेम को नई दिशा देते रहते थे। आइए पढ़ते हैं ऐसी ही एक घटना।
Subscribe