सद्गुरु बताते हैं कि स्वधर्म, स्व यानी आत्म का मार्ग है, और भौतिकता की सीमाओं से परे के जीवन का अनुभव करने का साधन है। अगर हम भौतिकता के नियमों के हिसाब से चलते हैं, तो हमेशा सीमाएं हमारे जीवन के हालातों को तय करेंगी। और अगर हम भौतिकता से परे की असीम प्रकृति का अनुभव करना चाहते हैं, तो हमें भीतर की ओर मुड़ने और स्वधर्म के मार्ग पर चलने की जरूरत है। #Krishna #Mahabharat
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