सद्गुरु बताते हैं कि दुर्भाग्य से आज विश्व में जिसे हम ‘धर्म’ के रूप में जानते हैं, वो बस किसी की विश्वास प्रणालियाँ हैं। अगर आप किसी ऐसी चीज़ में विश्वास करने लगते हैं जो अभी आपके लिए हकीकत नहीं है, तो किसी और से आपका टकराव तय है, क्योंकि किसी और को किसी दूसरी चीज़ पर ही विश्वास होगा।
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