एक जिज्ञासु ने सद्गुरु से पूछा कि क्या आंखें खुली रखते हुए ध्यान किया जा सकता है, तो सद्गुरु ने जवाब दिया, नहीं, मगर खुली आंखों से ‘ध्यानमय’ हुआ जा सकता है।