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Wisdom
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अगर आपकी मानवता पूरे प्रवाह में है, तो जाहिर है आप अपने आसपास के जीवन की परवाह करेंगे। यह कोई नैतिकता नहीं है, यह तो मानव का स्वभाव है।
कर्म का मतलब है कि अपने जीवन को बनाने वाले आप खुद हैं।
इंसान खुद को बहुत महत्वपूर्ण समझने लगे हैं। यहां जो भी हो रहा है, हम उसका बस एक छोटा सा अंश हैं।
दुनिया आप पर जो फेंकती है, उस पर आपका कोई वश नहीं हो सकता है। लेकिन आप उसका कैसे इस्तेमाल करते हैं, वो सौ प्रतिशत आपके ऊपर है। श्री राम इसी के प्रतीक हैं।
आपके सिर्फ भौतिक शरीर को ही एक सीमा की जरूरत होती है। आपका बाकी सब कुछ सर्वव्यापी हो सकता है।
धरती का हर दूसरा प्राणी धरती माता की भलाई के लिए काम कर रहा है। सिर्फ हम इंसानों को बदलने की जरूरत है।
आपके जीवन का अनुभव इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आपके आसपास कौन है या क्या है, बल्कि यह इस पर निर्भर करता है कि आप कैसे हैं।
आप इस दुनिया के लिए जो सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं, वह है खुद को एक प्रसन्न और आनंदित इंसान बनाना।
अगर सभी मशीनों को देखा जाय, तो ना आपका कंप्यूटर, ना कार, ना ही आपका अंतरिक्ष यान, बल्कि मानव दिमाग सबसे अद्भुत यंत्र है, बशर्ते कि आप अपने दिमाग का इस्तेमाल होशपूर्वक करें।
किसी भी मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए आपको सिर्फ इस बात की चिंता करनी चाहिए कि आप कहां जा रहे हैं, इस बात की नहीं कि आप कहां से आए हैं।
अगर आप सफलता चाहते हैं, तो सबसे अहम चीज यह सुनिश्चित करना है कि आप खुद उसमें अड़चन नहीं हैं।
जिस चीज के बारे में आप नहीं जानते उसके बारे में धारणाएं पालने से आप अज्ञानी ही रह जाएंगे, यह पक्की बात है।