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Wisdom
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अगर आप हर प्राणी में दिव्यता देख पाएं, तो यह धरती ही स्वर्ग है। आपको यह जानने की आवश्यकता नहीं कि ध्यान कैसे किया जाए। पूर्ण तल्लीनता के साथ किया गया हर कार्य, ध्यान है।
एक सच्चे साधक को निश्चित ही उसका गुरु मिल जाएगा।
ध्यान कोई काम नहीं है जिसे किया जाए – यह तो एक फूल के खिलने जैसा है, जो अपनी सुगंध बिखेर रहा है।
योग का मतलब है अपने व्यक्तित्व की सीमाओं को मिटाकर ब्रह्मांड के साथ एकत्व का अनुभव करना।
सैद्धांतिक ज्ञान विद्वानों का तरीका है। एक योगी का तरीका है - प्रत्यक्ष बोध।
अगर आप भावनाओं में टकराव पैदा करते हैं तो आप नफरत बन जाते हैं। अगर आप भावनाओं में कृपा पैदा करते हैं तो आप प्रेम बन जाते हैं।
अगर आप अपने विचारों और भावनाओं को जागरूकता के साथ चलाने लगें, तब आप एक अद्भुत जीवन का निर्माण कर सकते हैं।
किसी भी व्यक्ति या वस्तु के प्रति आपका कोई दायित्व नहीं है। यदि आपके भीतर प्रेम और परवाह की भावना है, तो आप वही करेंगे जो जरूरी है।
यदि आप जीवन के प्रति पूरी तरह से 'हां' बन जाते हैं, तो आप तीव्र हो जाते हैं। उस तीव्रता में आप अपनी पूर्ण क्षमता पर होते हैं।
बुद्धि से आप आजीविका कमाना सीखते हैं। भक्ति से, आप खुद को एक जीवन बनाना सीखते हैं।
दुःख और आनंद, दोनों ही आपके मन में निर्मित होते हैं।
जो काम आप अचेतन होकर करते हैं, वही काम आप सचेतन भी कर सकते हैं। अज्ञानता और आत्मज्ञान के बीच बस यही फर्क है।