सद्गुरु "निश्चलतत्वे जीवनमुक्तिः" का अर्थ बताते हैं - जो अपने ध्यान में अटूट है, उसे मुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। ज्यादातर लोगों को एक दिशा में अपना ध्यान रखना नहीं आता, इसलिए इंसान की ज़्यादातर ऊर्जा व्यर्थ हो रही है।
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Jul 3, 2018