ईशा संस्कृति की स्थापना सद्गुरु द्वारा की गई और इसे बच्चों को समर्पित किया गया है। यह बच्चों के लिए आदर्श परिवेश बनाती है,जहाँ वे अपने और अपने आसपास के संसार के साथ तालमेल में जीना सीखते हैं। अंग्रेज़ी,गणित व अन्य विषयों की कक्षाओं के साथ-साथ,बच्चों को यौगिक अभ्यासों के एक अनूठे मेल की शिक्षा भी दी जाती है, जिनमें भारतीय शास्त्रीय कला जैसे भरतनाट्यम व कनार्टक संगीत तथा कलारीपट्टु जैसे युद्ध कौशल भी शामिल हैं,जो बच्चे के मन और शरीर में संतुलन व स्थिरता लाते हैं।

6 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक जीवन पर केंद्रित शिक्षा प्रदान की जाती है। ईशा संस्कृति उन्हें अपनी भीतरी क्षमताओं को बाहर लाना सिखाती है,इसके अंतर्गत उन पर केवल सूचनापरक शिक्षा को नहीं थोपा जाता। इससे बच्चों के लिए उचित प्रकार का माहौल तैयार होता है ताकि उन्हें जीवन के आधारभूत सत्यों के बारे में गहरे अनुभव व आंतरिक समझ मिल सके। ईशा संस्कृति समर्पण,अनुशासन व ध्यान केन्द्रित करने के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करती है, और उन्हें एक ओजस्वी,सक्षम व समर्पित मनुष्यों के रूप में सामने आने मौका देती है।