सद्गुरु: इस कहानी में यह बताने की कोशिश की गई है कि स्त्री प्रकृति वाली ऊर्जा कैसे काम करती है। एक बार ऐसा हुआ कि बहुत से राक्षस दुनिया पर राज करने लगे। कई बुरी ताकतों ने दुनिया पर कब्जा करना शुरू कर दिया। यह देखकर काली गुस्से में आ गईं। जब वह उग्र होती थीं, तो बेकाबू हो जाती थीं। उन्होंने जाकर हर चीज़ को मारना-काटना शुरू कर दिया।
उनका गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। उनका गुस्सा - किसी वजह से परे, उस स्थिति के लिए जरूरी कार्रवाई से भी परे – बस बरसता जा रहा था। उनके गुस्से ने ऐसी रफ्तार पकड़ ली थी और वह शांत नहीं हो रहा था और वह अपनी मार-काट जारी रखे हुई थीं, इसलिए किसी में हिम्मत नहीं थी कि जाकर उन्हें रोक सके। तो वे शिव के पास पहुँचे और बोले, ‘वह ऐसा कर रही हैं। वह आपकी पत्नी हैं। कृपया उन्हें काबू में करने के लिए कुछ कीजिए।’
शिव काली के पास उसी अंदाज़ में पहुंचे जिस तरह से वे उनसे मिलते थे। वह बिना किसी आक्रामकता के उनकी तरफ बढ़े, युद्ध के अंदाज़ में नहीं। वह सहज रूप से गए। लेकिन काली की ऊर्जा इस हद तक बढ़ गई थी कि खुद शिव ही नीचे गिर पड़े। जब वह उनके ऊपर खड़ी हो गईं, फिर उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने क्या किया है। फिर वह शांत हुईं और उन्हें फिर से जीवित कर दिया।
तमाम तांत्रिक प्रक्रियाएँ इस घटना पर आधारित हैं। आपने ऐसे तांत्रिकों के चित्र और पेंटिंग देखे होंगे, जो अपना ही सिर काटकर अपने हाथ में सिर को लटकाए चल रहे हैं। या आपने देवी का चित्र देखा होगा, जिसमें उन्हें खुद अपना सिर काटकर अपने हाथ में लेकर चलते दिखाया गया है। कई तांत्रिक प्रक्रियाएँ हैं, जिसमें लोग वास्तव में अपना सिर काट देते हैं और फिर से सिर को वापस लगा देते हैं। कुछ अनुष्ठान हैं, जिनके जरिये इसे किया जाता है।
मैं जानता हूँ कि आजकल अधिकांश लोग तंत्र का मतलब बेलगाम स्वच्छंदता मानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आजकल अधिकांश तांत्रिक किताबें अमेरिकियों द्वारा लिखी जाती हैं और लोग पत्रिकाओं और किताबों में तंत्र के बारे में पढ़ते हैं। तंत्र का मतलब स्वच्छंदता नहीं है। तंत्र का मतलब घोर अनुशासन है। तंत्र का अर्थ जीवन को बिगाड़ने और फिर से बनाने की एक तकनीक, एक विधि, एक काबिलियत है। तंत्र का मतलब शरीर पर ऐसी महारत हासिल करना है कि आप जीवन को पूरी तरह से तोड़ कर वापस जोड़ सकते हैं।
जीवन पर आपका इतना अधिकार हो सकता है कि जीवन और मृत्यु दोनों पूरी तरह आपके हाथ में हों, ताकि आप जीवन को तोड़कर फिर से जोड़ सकें। आप ईश्वर को भी मारकर उसे वापस ला सकते हैं। यह कोई कारनामा नहीं है जिसकी आप किसी के आगे नुमाइश करने की कोशिश कर रहे हैं। यह इसलिए है क्योंकि आप जीवन पर इतनी महारत हासिल करना चाहते हैं।
जब तक आपको जीवन पर थोड़ी-बहुत महारत हासिल न हो, आप कुछ नहीं कर सकते। हर किसी का जीवन पर थोड़ा-बहुत अधिकार होता है। वरना, आप क्या कर सकते थे? आपकी महारत का स्तर यह तय करता है कि आप क्या कुछ कर सकते हैं।
शिव के ऊपर खड़ी काली का चित्र दरअसल जीवन की प्रक्रिया पर पूरी महारत का प्रतीक है। इसका अर्थ है कि आप खुद भगवान को भी मारकर उन्हें फिर जीवन दे सकते हैं। यह दुस्साहस है, है न? तंत्र की तकनीक ही ऐसी है।