‘शिव’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है, ‘जो नहीं है’। अस्तित्व का आधार व इस ब्रह्माण्ड का बुनियादी गुण विशाल शून्यता ही है। तारामंडल बहुत ही छोटे हैं, पर बाकी सब गहरा अंधकार से भरा शून्य ही है। इसे ही शिव कहा जाता है: ऐसा गर्भ जिससे सब कुछ जन्मा है और ऐसी गुमनामी जिसमें सब कुछ विलीन हो जाएगा। इस तरह शिव की व्याख्या किसी जीव की तरह नहीं, अ-जीव की तरह होती हैै।