मार्च 2023

रहूँ या ना रहूँ

सांस, शरीर
दिमाग, रोटी या जीव,
क्या उलझे हैं आप इसके-या-उसके खेल में
जिसके बिना रह सकता हूँ मैं।     


छूट जाती है इनमें से कोई चीज
अगर हाथों से,
तो बिख़र जाते हैं आप 
और जीने लगते हैं  
एक खंडहर की तरह,
बन जाता है जीवन 
एक दर्दनाक प्रक्रिया, 
जो करता है आपको 
सोचने पर मजबूर – रहूँ या ना रहूँ।  


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