पिछले कुछ हफ़्तों की गतिविधियों पर एक नज़र
अपोलो हॉस्पिटल्स की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संगीता रेड्डी के साथ एक बातचीत में सद्गुरु ने स्वास्थ्य कर्मियों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए भविष्य की महामारियों के लिए उचित सावधानी और मुस्तैदी की जरूरत के बारे में बताया। उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेकर अपने शारीरिक, मानसिक, रासायनिक और ऊर्जा-प्रक्रियाओं को व्यवस्थित रखने की बात कही। सद्गुरु ने स्वास्थ्य सेवा में विज्ञान के महत्व को स्वीकारते हुए कहा कि मानव कल्याण केवल विज्ञान में नहीं, बल्कि उस जीवन के स्रोत में है जो हमारे अंदर है।
बरुन और सद्गुरु के बीच इस बात पर चर्चा हुई कि भारत कैसे अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकता है और इसकी सफलता में युवाओं का कैसे मुख्य योगदान है। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि साल 2000 के बाद इंटरनेट, मोबाइल फ़ोन और सोशल मीडिया के आने से विश्व में कैसे परिवर्तन आए हैं।
ईशा योग केंद्र में करीब 1000 प्रतिभागियों ने सम्पूर्ण मौन में 8 दिन बिताए जब सद्गुरु ने जीवन को रूपांतरित कर देने वाली प्रक्रिया – सम्यमा, के साथ उनका मार्गदर्शन किया। सद्गुरु ने समझाया कि सम्यमा की प्रक्रिया इस तरह से तैयार की गई है कि जब आप ख़ुद की बनाई रासायनिक रुकावटों, कर्म के भार, नतीजों और बाधाओं को दूर कर देते हैं तो आपकी ऊर्जा बिना किसी प्रतिरोध के स्पंदित होने लगती है।
एक दिलचस्प चर्चा में सद्गुरु ने इस बात का खुलासा किया कि मानव जाति को अपनी सीमाओं से आगे बढ़ने के लिए किस बात की जरूरत है और इस प्रक्रिया में कैसे भक्ति एक शक्तिशाली साधन का काम कर सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि आध्यात्मिक प्रक्रिया कैसे भारत की संस्कृति में रची बसी है।
कोयंबटूर में आयोजित इस सम्मेलन में प्रतिष्ठित गैस्ट्रोइंटेस्टिनल सर्जन्स को सम्बोधित करते हुए सद्गुरु ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आधुनिक चिकित्सा शरीर के रसायनों को सँभालने पर केंद्रित है, जबकि एक योगी स्वास्थ्य और ख़ुशहाली को ऊर्जा के स्तर पर तालमेल के रूप में देखता है। सद्गुरु ने श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देते हुए विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला जैसे कि तनाव का सामना कैसे करें, वे ख़ुद से गाड़ी चलाने में गर्व क्यों महसूस करते हैं और कैसे कोई अपने अंदर परमानन्द के रसायनों को पैदा कर सकता है।
‘वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट’ एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जो भविष्य में ‘ग्लोबल गवर्नेंस’ और जन-साधारण द्वारा समाधान ढूँढ़ने की (पब्लिक पालिसी सोलूशन्स) संभावनाओं की तलाश करता है। दुबई में होने वाले इस वार्षिक कार्यक्रम में कई राजनेता, विचारशील नेता और दुनियाभर के विशेषज्ञों ने दुनिया के ज्वलंत मुद्दों और भविष्य की सरकारों के गठन के विषयों पर चर्चा की।
सद्गुरु को इस मंच पर अपने विचार प्रकट करने के लिए आमंत्रित किया गया था। एक दिलचस्प ऑनलाइन सत्र में सद्गुरु और वितलिक बुटेरिन, क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम के संस्थापक ने कई विषयों जैसे - क्रिप्टोकरेंसी, जागरूकता और दुनिया को कैसे एक बेहतर स्थान बनाया जाए - पर चर्चा की।