महाशिवरात्रि से कुछ दिन पहले दुनिया भर से 2,800 लोग ईशा योग केंद्र में ‘ग्रेस ऑफ़ योग’ कार्यक्रम के लिए इकट्ठे हुए और लगभग 10,000 से ज़्यादा लोग इस कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े। कार्यक्रम के दौरान सद्गुरु ने प्रतिभागियों को योग के विभिन्न पहलुओं का अनुभव कराने के लिए शक्तिशाली प्रक्रियाएँ और ध्यान क्रियाएँ कराईं। यह अनुभव प्रदान करने वाला कार्यक्रम ख़ास तौर पर प्रतिभागियों को महाशिवरात्रि के लिए तैयार करने के लिए बनाया गया था और जिसने भी इसमें भाग लिया, उनके लिए यह रूपांतरणकारी था।
15 फ़रवरी का कार्यक्रम विचारों को झकझोरने वाले सद्गुरु के प्रवचनों के साथ शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने समझाया कि कृपा का सही मतलब क्या है और यह कैसे किसी को तर्कों से परे जाकर सही मायने में जीवन के चमत्कार का अनुभव करने के लिए सक्षम करती है। इसके बाद उन्होंने सारे समूह को रूपांतरण करने वाली प्रक्रियाएं कराईं जिनसे कई लोगों के आभार और आनंद के आँसू बह निकले।
‘मैं महाशिवरात्रि में पहले भी दो बार आया हूँ, लेकिन इस बार मैंने इस कार्यक्रम में भाग लेकर खुद को तैयार करने का निर्णय लिया। जब सद्गुरु ख़ुद गाइड कर रहे हों तो इससे बढ़कर और क्या हो सकता है? पहले ही सत्र से सद्गुरु ने वातावरण पूरी तरह से तैयार कर दिया और हमें उस साधना में ले गए जिसने मुझे पूरी तरह से आनंद में डुबा दिया,’ एक प्रतिभागी ने साझा किया।
यक्ष संगीत और नृत्य का एक तीन-दिवसीय वार्षिक उत्सव है जो महाशिवरात्रि से पहले आश्रम में मनाया जाता है। यक्ष 2023 का शुभारंभ हुआ हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक जयतीर्थ मेवुण्डी की भक्तिमय प्रस्तुति से। मंच से उतरने के बाद जयतीर्थ मेवुण्डी का कहना था, ‘मैं सद्गुरु को यू ट्यूब पर देखता था। यह मेरा सपना था कि मैं यहाँ आकर सद्गुरु की सेवा करूँ। इसलिए इस अवसर को पाकर मैं बहुत खुश हूँ। यहाँ का वातावरण दैवीय है।’
दूसरा दिन प्रभावशाली पंचभूत शुद्धि प्रक्रिया से शुरू हुआ, जिसके बाद सद्गुरु ने एक सत्र में स्मृति और कर्मों के बारे में बात की और बताया कि आपका स्मार्टफोन कैसे आपमें समभाव लाने में मदद कर सकता है। उन्होंने सत्र का समापन निर्देशित साधना के साथ किया जिसमें सबने भाग लिया।
कर्नाटक बांसुरी वादक शशांक सुब्रमण्यम के शानदार संगीत से शाम संगीतमय हो गई और उनके कुशल प्रस्तुतिकरण ने हर किसी का दिल जीत लिया। प्रस्तुति के बाद उन्होंने कहा, ‘ईशा योग केंद्र में मैं चौथी बार आया हूँ। यहाँ प्रस्तुति देना और इतने शानदार लोगों के बीच रहना जो शांति और अमन के साझे लक्ष्य के लिए काम करते हैं, एक बेहतरीन अनुभव है।’
महाशिवरात्रि से पहले, इस आख़िरी सत्र में सद्गुरु ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम के लिए तैयार किया – यह समझाते हुए कि यह एक धार्मिक त्यौहार नहीं है, बल्कि इसका ग्रहीय और खगोलीय महत्व है, जिसमें मानव शरीर में स्वाभाविक रूप से ऊर्जा ऊपर उठती है। उन्होंने ज़ोर दिया कि कैसे कोई इस संभावना का इस्तेमाल अपनी ख़ुशहाली और आध्यात्मिक विकास के लिए कर सकता है।
यक्ष की आखिरी शाम माधवी मुद्गल के दल ने ओडिसी नृत्य की सुन्दर, काव्यात्मक, पार्वती की शिव-भक्ति को दर्शाती प्रस्तुति के साथ सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति कालिदास की कविता कुमारसंभवम् पर आधारित थी।
ब्रिटेन के एक प्रतिभागी ने कहा, ‘मैं भारत पहली बार आया हूँ। यहाँ की समृद्ध संस्कृति मुझे हैरान करती है। रंग, संगीत, नृत्य - ऐसा लगता है यहाँ हर चीज़ में आध्यात्मिकता का अंश है।’
महाशिवरात्रि के दिन प्रतिभागियों को ध्यानलिंग में सद्गुरु के साथ विशेष पंच भूत क्रिया में भाग लेने का अवसर मिला। यह भूत शुद्धि की एक प्रभावशाली प्रक्रिया है। ‘एक्सप्लोरिंग एलीमेंटल मैजिक’ (पंचतत्वों के जादू की खोज) के विषय पर आधारित यह प्रभावशाली प्रक्रिया कई रूपों में पूरे कार्यक्रम का चरम साबित हुई।
योग प्रणाली में अपने भीतर पाँचों तत्वों की शुद्धि करना सबसे बुनियादी साधना या आध्यात्मिक प्रक्रिया है। पंचभूत क्रिया शरीर और मन को स्थिर करती है, मानसिक अस्थिरता को संतुलित करती है और कमज़ोर गठन को मजबूत करती है।
‘ग्रेस ऑफ़ योग’ (योग की कृपा) कार्यक्रम के एक प्रतिभागी ने कहा, ‘मैंने ईशा में जो भी किया है, पंच भूत क्रिया का अनुभव उन सब से अलग था। पूरी प्रक्रिया में मेरी रीढ़ की हड्डी में कुछ प्रभावशाली हो रहा था। उसके बाद मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं अंदर-बाहर से पूरी तरह शुद्ध हो चुका हूँ।’
इस तरह कार्यक्रम के प्रतिभागी आदियोगी की उपस्थिति में उल्लासपूर्ण रात के उत्सव लिए तैयार थे। उनमें से एक ने बताया, ‘मध्यरात्रि साधना अद्भुत थी। मैंने सही मायने में ऐसा अनुभव किया जैसे मैं योग और सद्गुरु की कृपा में था।’