सद्गुरु अलग-अलग तरह के कर्मों के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि सम्यमा कैसे कर्मों के बोझ को कम करता है। साथ ही यह बता रहे हैं कि बोध और जागरूकता संसार में किसी भी संग्रह से अधिक कीमती क्यों है?
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