घटनाक्रम

महाशिवरात्रि 2023 : पूरी रात बस शिव ही शिव 

महाशिवरात्रि के उत्सव में शामिल होने के लिए जैसे ही प्रतिभागियों ने ईशा योग केंद्र कोयम्बटूर में प्रवेश किया, उनका सामना हुआ चकाचौंध कर देने वाली तेज़ रोशनी से। इस वर्ष सजावट टीम ने अपनी पूरी ताक़त लगा दी थी – सारे आयोजन स्थल में बड़े बड़े नीले कमल खिले हुए थे, ऐसा लग रहा था जैसे आदियोगी के चारों तरफ़ सुगन्धित कमल के सरोवर हैं।

हमारी मुख्य अतिथि माननीया राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का भी शानदार स्वागत किया गया। ऐसा लगता था राष्ट्रपति महोदया व्यक्तिगत तीर्थ यात्रा पर हैं। उन्होंने साझा किया कि वे दक्षिण के कैलाश कहे जाने वाले वेलिंगिरि पहाड़ियों की तराई में बसे ईशा योग केंद्र आने से पहले श्रीसैलम में शिव निवास और काशी होकर आई हैं।

आश्रम के पवित्र स्थानों में - सूर्यकुंड, चंद्रकुंड, ध्यानलिंग, लिंग भैरवी, नंदी - सद्‌गुरु के साथ घूमते हुए राष्ट्रपति महोदया की श्रद्धा और भक्ति दिल को छू लेने वाली थी।

लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे इस धरती पर मौजूद आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति के विविध मार्गों के हृदय में शिव बसे रहे हैं। ‘कभी कभी मुझे आश्चर्य होता है कि कैसे शिव हमारे सारे धर्म, भावनाओं  और धार्मिक विचारों का कुल योग हैं। सभी मतों का अंतिम लक्ष्य सत्य को जानना और मुक्ति है जिसे मोक्ष और निर्वाण भी कहा जाता है। दुनिया में बहुत सारे मार्ग हैं जैसे भक्ति, ज्ञान, योग आदि और एक मात्र भगवान शिव ही हैं जो इन सभी मार्गों पर चलने वालों की राह रोशन करते प्रतीत होते हैं।’ 

रोमांचित कर देने वाले मंत्रोच्चार ‘ॐ नमः शिवाय’ के साथ रात का उत्सव शुरू हुआ।

इसके बाद प्रोजेक्ट संस्कृति के बच्चों द्वारा नृत्य प्रस्तुति हुई जो रंग, ऊर्जा और सुन्दरता की अद्भुत अभिव्यक्ति थी। उन्होंने ‘पंचाक्षरम’ पेश किया जो महामंत्र की पाँच पवित्र ध्वनियों - न–मः–शि-वा-य का उत्सव था।

नीलाद्री कुमार ने ज़िटार की तान से भीड़ में हलचल मचा दी। ज़िटार एक इलेक्ट्रिकल सितार है जो उनका ख़ुद का आविष्कार है।

अगली प्रस्तुति में दर्शकों ने अलग-अलग शैलियों और भाषाओं के गायकों के समूह का आनंद लिया। इन सभी का एक साथ आना एक सुरीला संगम था: मंगली, कुतले खान, अनन्या चक्रबर्ती, निहार शेम्बेकर और मीनल जैन।

जैसे-जैसे रात आगे बढ़ी, सद्‌गुरु ने मंच सँभाला और उन्होंने पहले इस बारे में बात की कि शिवरात्रि एक खोजी के लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों है - ये ऊर्जा की एक स्वाभाविक लहर है जिसका उपयोग कोई भी जीवन-संरक्षण की प्रवृत्ति से आगे बढ़ने के लिए कर सकता है। ये किसी के आध्यात्मिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मानसिक बीमारी की महामारी से बचने के लिए आंतरिक खुशहाली में निवेश करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए सद्‌गुरु ने हर किसी से अपील की कि वे प्रतिदिन एक साधारण योग क्रिया के लिए कम से कम 15 मिनट का समय देने का संकल्प करें।

सद्‌गुरु का सत्र मध्यरात्रि-ध्यान और अग्नि नृत्य के साथ समाप्त हुआ। अधिकांश प्रतिभागियों के लिए उस रात की यही सबसे मुख्य चीज़ थी।

अभिनेत्री जूही चावला सबसे ज़्यादा प्रभावित थीं, भावुक होते हुए उन्होंने कहा, ‘आरती! वाह! अद्भुत दृश्य! ये बहुत शानदार तरीके से की गई। इसे देखकर मुझे अपनी संस्कृति पर बहुत गर्व हुआ।’

प्रश्न और उत्तर के सत्र में सद्‌गुरु ने सनातन धर्म के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दिया। उन्होंने समझाया कि ये हमारे अस्तित्व के आधार को सँभालने वाले सिद्धांतों का एक शाश्वत ढांचा है। उन्होंने यह भी कहा कि हालाँकि सनातन धर्म को आज एक संस्कृति की तरह देखा जा रहा है, लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य अंततः मुक्ति की ओर ले जाना है।

इस संदर्भ में उन्होंने आदियोगी को आज की दुनिया के लिए, जो तार्किक और वैज्ञानिक समाधान ढूंढती है, साधनों का स्रोत बताया।

सुबह के शुरूआती घंटों में, जब प्रतिभागियों पर नींद हावी हो ही रही थी, तभी जॉर्जिया के नर्तकों की प्रस्तुति देखकर सभी लोग स्तब्ध होकर बैठ गए। फुर्तीला और सुन्दर, गुरुत्वाकर्षण को मात देते हुए, हवा में छलांग लगाते हुए उन्होंने अपनी सुन्दर संस्कृति का प्रदर्शन किया जिसके लाखों लोग साक्षी बने। उन्हीं में से एक जॉर्जिया के कलाकार ने बाद में साझा किया, ‘हम इस अनुभव को पाने के लिए बहुत उत्साहित थे, ये जीवन के अंतिम समय तक हमारे साथ रहेगा। सद्‌गुरु से मिलना, उनके सामने खड़े होना, उनके साथ नृत्य करना, सबकुछ अविश्वसनीय था।’

ये विविधता का उत्सव था। इस रात भारत की विभिन्न परम्पराओं की प्रस्तुतियां हुईं –प्रतिष्ठित राजस्थानी लोक गायक मामे खान, प्रतिभाशाली तेलुगु गायक राम मिर्याला, कर्णाटक के लोक कलाकार देवानंद वरप्रसाद, केरल की पवित्र कला-विधा थेयम और तमिल लोक कलाकार वेलुमुरुगन।

इन सब कला के नगीनों के साथ 12 घंटे कब उड़ गए, पता ही नहीं चला। हम केवल प्रतीक्षा और कल्पना कर सकते हैं कि अगली महाशिवरात्रि में क्या खज़ाना छिपा होगा?