जब मैंने महसूस किया कि जीवन में इससे ज्यादा कुछ होना चाहिए
कई सालों से येरुशलम में रहते हुए मैंने हर तरह के धर्म और आध्यात्मिकता में लोगों को अतिवादी होते देखा। हमेशा से तार्किक और पेशे से भौतिक विज्ञानी होने की वजह से मुझे यकीन था कि किसी भी तरह की आध्यात्मिकता से हर हाल में परहेज करना चाहिए। मेरा मानना था कि उसमें सिर्फ परंपराएं और कर्मकांड होते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता। हालाँकि, पुराने शहर की पत्थर की दीवारों के चारों ओर के खूबसूरत खामोश पहाड़ यह पक्का कर देते हैं कि आप देर-सबेर अपने भीतर देखना शुरू कर देंगे।
मेरे जीवन में वह समय तब आया जब मुझे पता नहीं चल रहा था कि मैं किधर जा रही हूँ। मैं सालों से फिजिक्स और मैथ्स पढ़ रही थी, रिसर्च कर रही थी और एक पीएच.डी. शुरू करने वाली थी। दुनिया को जानने और समझने के लिए उत्सुक मेरे खोजी मन के लिए दुनिया के भौतिक नियमों का शोध करना एकमात्र रास्ता था। हालांकि मैं एक सफल वैज्ञानिक थी, लेकिन तब तक मेरे अंदर यह भावना उठने लगी थी कि यह काफी नहीं है।
हर हफ्ते मेरे अंदर एक अंतहीन बहस होती थी – एक ओर, मैं जहाँ हूँ, वहाँ तक पहुँचने के लिए मैंने जो मेहनत की थी वह था, और दूसरी तरफ एक अनजान रास्ता। यह न जानते हुए कि कौन सा रास्ता बुरा था और कौन सा अच्छा, मैंने वह किया, जिसकी मेरे परिवार ने उम्मीद नहीं की थी और मैंने अपना एकेडमिक कैरियर छोड़ दिया।