शिक्षा

ईशा विद्या के छात्र अपने जुनून और भविष्य के नज़रिए को साझा कर रहे हैं

ईशा विद्या के छात्रों ने अपनी पढ़ाई के साथ ही बाकी चीज़ों में ज़बरदस्त लगन और प्रतिभा दिखाई है और अपनी विविध प्रतिभाओं के साथ फल-फूल रहे हैं। कई छात्रों ने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग प्रतियोगिताओं में शानदार नतीजे हासिल किए हैं, और कुछ रोजगार के क्षेत्र में उतरते हुए समाज को अपना कौशल दिखा रहे हैं। ईशा विद्या की ये प्रेरणादायक कहानियाँ आपके दिल को छू लेंगी। 

आरती : मैं समाज की भलाई के लिए नई शैलियों वाली आर्किटेक्ट बनना चाहती हूँ।

ईशा विद्या सेलम में कक्षा 11 की छात्रा आरती, कुछ साल पहले तंजावुर, दारासुरम में ऐरावतेश्वर मंदिर के एक स्कूल फील्ड ट्रिप के दौरान आर्किटेक्चर और इंटीरियर डिजाइन की तरफ आकर्षित हुई। वह कहती है, ‘मैं मंदिर की दीवारों पर बारीक डिजाइनों से प्रभावित हुई और सोचा कि इसे एक कैरियर के तौर पर अपनाना चाहिए।’ फिर उसने इंटरनेट खँगालना शुरू किया और महाबलीपुरम के मंदिरों को देखकर हैरान रह गई। इससे आर्किटेक्चर पढ़ने की उसकी इच्छा और मजबूत हुई।

आरती अपने क्लास की टॉपर रही है और उसने थ्रो बॉल और टेन्नीकोइट (रिंग टेनिस) में जोनल स्तर पर पुरस्कार भी जीते हैं। वह कहती है कि उसके शिक्षकों के प्रोत्साहक शब्दों ने ‘तुम यह कर सकती हो, तुम्हारे अंदर बहुत अच्छा कौशल है,’ उसे पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए हमेशा प्रेरित किया। वह 12वीं कक्षा में अच्छा प्रदर्शन करके अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई में दाखिला लेकर समाज की भलाई के लिए नई शैलियों वाली आर्किटेक्ट बनना चाहती है। वह गरीबों के लिए कम लागत वाले मकान भी बनाना चाहती है।

पुनीतराजकुमार: गेट-सेट बोल्ट

ईशा विद्या धर्मपुरी में कक्षा 10 के छात्र पुनीत राजकुमार पिछले कुछ सालों से स्कूल और जिला स्तर पर ऊँची कूद (हाई जम्प), लंबी कूद (लांग जम्प), जेवलिन थ्रो और डिस्कस थ्रो में टॉप पुरस्कार जीत चुके हैं। उन्होंने 2019 में स्कूल स्तर की स्पोर्ट्स मीट में ओवरऑल चैंपियनशिप का पुरस्कार भी जीता।

दिहाड़ी मजदूर के बेटे पुनीत राजकुमार के लिए जीत आसान नहीं थी। उन्होंने प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए स्कूल के बाद लंबा  समय ट्रेनिंग में बिताया है और अपनी सफलता का श्रेय वह अपने शिक्षकों से लगातार मिले समर्थन और प्रोत्साहन को देते हैं।

पुनीत राजकुमार का कहना है कि वह ईशा विद्या में इसलिए आए क्योंकि यह स्कूल पढ़ाई और खेलों को समान महत्व देता है और खेल के अभ्यास पर जोर देता है। उसैन बोल्ट उनके प्रेरणास्रोत हैं, पुनीत राजकुमार राष्ट्रीय स्तर के एक सफल एथलीट बनने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीतने का सपना देखते हैं।

सूर्या: डिजाइनिंग में मेरी दिलचस्पी स्टीव जॉब्स के कारण है

ईशा विद्या वनवासी में कक्षा 11 के छात्र सूर्या, 12वीं कक्षा के बाद फैशन डिजाइनिंग करना चाहते हैं क्योंकि वह स्टीव जॉब्स द्वारा डिजाइन के बारे में कही गई बात से प्रेरित हुए। स्टीव जॉब्स ने कहा था, ‘डिजाइन केवल वह नहीं है, जो वह दिखता है और जैसा लगता है। डिजाइन का मतलब है कि वह कितना कारगर है।’

सूर्या को पहले अपनी बहन के साथ चित्र बनाने में मज़ा आता था, और जब वह ईशा विद्या आए, तो आर्ट एंड क्राफ्ट की कक्षा में मज़ा आने लगा। उन्हें ड्राइंग करना अच्छा लगता है क्योंकि इससे उन्हें सुकून मिलता है, और उन्हें आर्ट की कक्षा पसंद है क्योंकि वहाँ उनकी रचनात्मकता को पूरी आज़ादी मिल जाती है। सूर्या को ऑयल पेस्टल के साथ काम करना बहुत पसंद है और उन्होंने स्कूल, जिला, प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीते हैं।

जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बाल कला प्रतिभा प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान जीता, जिसमें 1,000 रुपये का नकद पुरस्कार शामिल था, तो पहले तो उन्हें यक़ीन नहीं हुआ। खास तौर पर उनके माता-पिता को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है, क्योंकि परिवार में कोई दूसरा कलाकार नहीं है।

अजय कुमार: मैं एक जेट फाइटर पायलट बनकर अपने देश की रक्षा करना चाहता हूँ

अजय कुमार, जिन्होंने अभी-अभी ईशा विद्या सेलम से 12वीं कक्षा पूरी की है, एनडीए की परीक्षा में शामिल हुए हैं और उन्हें परिणाम का बेसब्री से इंतजार है। वह भारतीय वायु सेना में एक जेट-फाइटर पायलट बनने के लिए विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान से (भारतीय वायु सेना के लड़ाकू पायलट, जिन्हें उनके विमान को मार गिराए जाने के बाद 60 घंटे तक पाकिस्तान में बंदी बनाकर रखा गया था) प्रेरित हुए।

अजय कुमार कहते हैं, ‘अपनी मातृभूमि को आतंकवाद और युद्ध से बचाना मेरा कर्तव्य है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पढ़ना और बॉर्डर और कारगिल जैसी फिल्में मुझे प्रेरित करती हैं।’

स्कॉलरशिप पर पढ़ाई करने वाले अजय कुमार को गणित, फिजिक्स और कंप्यूटर साइंस पसंद है। वह क्लास टॉपर थे और कबड्डी में क्षेत्रीय स्तर पर पुरस्कार भी जीता था। उनके माता-पिता देश की रक्षा के उनके निर्णय से प्रसन्न और गौरवान्वित महसूस करते हैं।

दीभा: कंप्यूटर और प्रकृति चित्रण का मेल

दीभा अपने माता-पिता के प्रोत्साहन से बचपन से ही रंगों, चित्रों और पेंटिंग के साथ खेलती रही हैं, हालांकि उनके परिवार में और किसी को कला में दिलचस्पी नहीं है। स्वाभाविक रूप से, आर्ट एंड क्राफ्ट की कक्षा उनकी पसंदीदा है, और उनके पसंदीदा कलाकार राजा रवि वर्मा हैं।

दीभा ने कला प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय और जिला दोनों स्तरों पर पुरस्कार जीते हैं, और उन्हें स्वच्छ भारत अभियान के लिए चेन्नई हवाई अड्डे पर वॉल पेंटिंग के लिए भी चुना गया था। इस बहु-प्रतिभाशाली छात्रा ने वैज्ञानिक और एथलेटिक प्रतियोगिताओं में भी पुरस्कार जीते हैं। वह कहती हैं कि शिक्षकों के प्रोत्साहन और प्रेरणा के साथ ही स्कूल और दूसरी जगहों पर आयोजित कई कला प्रतियोगिताओं ने उनकी कला को निखारने में मदद की।

ईशा विद्या विल्लुपुरम में कक्षा 11 की छात्रा दीभा कक्षा 10 में औसत से अधिक ग्रेड हासिल करने से मिली मेरिट स्कॉलरशिप पर पढ़ रही हैं। वह पेंटिंग के प्रति अपने प्यार को जारी रखते हुए कंप्यूटर विज्ञान में आगे की पढ़ाई करना चाहती हैं।

शांतन: एक हरी-भरी दुनिया के लिए बीज बो रहे हैं

शांतन, सरकारी कंपनी एनएलसी में, जो फॉसिल फ्यूल इलेक्ट्रिक पावर जेनेरेशन के क्षेत्र में काम करती है, एक वनरोपण सुपरवाइजर के रूप में काम करते हैं। स्वामी अभिदानंद पॉलिटेक्निक कॉलेज, तिरुवन्नामलाई से 96% के उच्च स्कोर के साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा करने के बावजूद, उन्होंने इस नौकरी को चुना क्योंकि वे वनरोपण को बढ़ावा देने का एक ज़रिया बनना चाहते हैं।

उन्हें इस रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिली थी उनके पूर्व स्कूल, ईशा विद्या कुड्डालोर में, जहां शांतन ईशा फाउंडेशन द्वारा स्थापित एक इकोलॉजिकल पहल, प्रोजेक्ट ग्रीनहैंड्स के लिए पौधे उगाने में शामिल हुए थे।

वह कहते हैं, ‘हमारे स्कूल के शिक्षक दोस्तों की तरह थे जिन्हें हमारे विकास की चिंता रहती थी। वही हमारी जीत का जश्न मनाते हैं। वे न सिर्फ यह चाहते थे कि हम अच्छी तरह पढ़ाई करें बल्कि अच्छे इंसान भी बनें और अपने समाज में सकारात्मक योगदान दें।’

पेरुमल और अन्नामलाई: तीरों से साधा निशाना

ईशा विद्या वनवासी के पी.टी. पेरुमल और अन्नामलाई उत्साही तीरंदाज़ हैं। शुरुआत तब हुई जब पेरुमल ने स्कूल परिसर में तीरंदाजी का अभ्यास करने वाले कुछ छात्रों को देखा और मज़े-मज़े में उसे आजमाया। फिर क्या था - यह जल्द ही उनका एक गंभीर शौक बन गया। उन्होंने आगे जाकर जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार भी जीते।

अन्नामलाई ने भी इसलिए तीरंदाजी अपनाई क्योंकि वह उसी स्कूल के एक दूसरे पुरस्कार विजेता तीरंदाज कार्तिकेयन से प्रेरित थे। उन्होंने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते।

हालाँकि उनके माँ-बाप अनपढ़ हैं, लेकिन वे चाहते थे कि उनके बेटे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें, लेकिन वे इसके लिए धन नहीं जुटा पा रहे थे। आखिरकार, उनका सपना सच हो गया, जब उनके बच्चों को ईशा विद्या में शामिल होने के लिए छात्रवृत्ति मिली। उनके लिए पौष्टिक मध्याह्न भोजन भी एक बोनस की तरह था।

दोनों भाइयों में बहुत प्यार है, वे एक साथ स्कूल जाते हैं, दोपहर के भोजन पर मिलते हैं, और लगातार एक-दूसरे की खातिर अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं। पेरुमल ने, जो अब 11 वीं कक्षा में है, चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने पर नज़रें जमाई हैं, अन्नामलाई कक्षा 8 में है और इंजीनियरिंग करना चाहते हैं।