आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण थाइपूसम के दिन, सद्गुरु ने एक अनूठा सत्संग आयोजित किया, जो ‘फुल मून फ्लर्टेशंस’ सीरीज़ की अंतिम कड़ी था। उन्होंने एक बड़ी घोषणा की, कि जनवरी में बेंगलुरु में एक नए ईशा योग केंद्र की आधारशिला रखी जाएगी। साथ ही सद्गुरु ने पौष महीने की अहमियत और मानव शरीर तथा मन पर उसके प्रभाव के बारे में भी समझाया। इन पूर्णिमा सत्संगों की थीम पर खरा उतरते हुए, उन्होंने व्यान प्राण के बारे में विस्तार से बात करते हुए बताया कि कैसे अपनी जीवन ऊर्जा के इस पहलू को जाग्रत करना किसी आध्यात्मिक साधक के लिए बहुत मददगार हो सकता है। अंत में, उन्होंने प्रतिभागियों को मानव शरीर के भीतर पृथ्वी तत्व को जाग्रत करते हुए व्यान प्राण को जाग्रत करने की एक शक्तिशाली प्रक्रिया करवाई।
सद्गुरु ने ईशा इंस्टीट्यूट ऑफ इनर साइंसेज में सालाना ‘इन द लैप ऑफ द मास्टर’ कार्यक्रम का आयोजन किया, जहाँ उन्होंने कई मुद्दों पर बात की, जिनमें अपनी नश्वरता को महसूस करने की शक्ति, इकोलॉजी को सचेतन होकर संभालने की अहमियत शामिल थे, और यह भी बताया कि कैसे वे वर्ष 2022 को मिट्टी को बचाने के लिए समर्पित करेंगे। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठित स्थान पर रहने के महत्व पर भी प्रकाश डाला और खुलासा किया कि 2023 तक, वे प्राण प्रतिष्ठाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करेंगे।
सद्गुरु ने याद दिलाया कि पिछले दो सालों में कोविड-19 महामारी और संक्रमण की दूसरी लहर के कारण दुनिया किन उतार-चढ़ावों से गुज़री, जिसमें कीमती जानें चली गईं और उसने कैसे लोगों की मानसिक सेहत पर कहर बरपाया। फिर उन्होंने समझाया कि अब तक हमने चाहे जितनी भी मुश्किलें झेली हैं, उसके बावजूद हमें आशाऔर उम्मीद के साथ वर्ष 2022 में प्रवेश करना चाहिए।
सद्गुरु ने सत्संग की शुरुआत यह समझाने के साथ की कि कैसे पृथ्वी एक जीवित प्राणी है और मनुष्य अपने पैरों के नीचे की मिट्टी से बहुत कुछ सीख सकता है कि वह कैसे लाखों जीवन रूपों के साथ इतनी व्यवस्थित है। उन्होंने आगे यह समझाया कि मनुष्य की सबसे बड़ी बीमारी यह है कि वे स्थिर होना नहीं जानते।
एरिक सोल्हम, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यू आर आई) के वरिष्ठ सलाहकार और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के पूर्व कार्यकारी निदेशक हैं। सद्गुरु ने मिट्टी को बचाने की जबरदस्त अहमियत पर बल देने के लिए पर्यावरण के बारे में दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत की बात की। उन्होंने कहा कि हमें अपना नज़रिया बदलने की जरूरत है और मिट्टी को किसी पदार्थ की तरह नहीं बल्कि एक जीव की तरह देखना चाहिए। एरिक ने आने वाले कांशस प्लैनेट मूवमेंट के लिए बहुत उत्साह दिखाया और अपने सहयोग की पेशकश की।
सद्गुरु से एक शक्तिशाली दीक्षा लेने से बेहतर नए साल की शुरुआत क्या हो सकती है? पिछले साल लाखों लोगों ने नि:शुल्क रुद्राक्ष प्राप्त किया, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा सद्गुरु ने महाशिवरात्रि पर की थी। अब, एक ऑनलाइन कार्यक्रम में, सद्गुरु ने लोगों को रुद्राक्ष के साथ दीक्षा दी और बताया कि हम उसका इस्तेमाल और उसकी देखरेख कैसे कर सकते हैं। उन्होंने रुद्राक्ष पहनने के महत्व पर भी ज़ोर देते हुए यह उजागर किया कि वह किस तरह संकेत देता है कि व्यक्ति मुक्ति के मार्ग पर है।