क्या जलवायु पर मँडराते संकट को सुधारने में हम एक व्यक्ति के तौर पर असहाय हैं? सद्गुरु एक ऐसे अवसर के बारे में बता रहे हैं जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन वह एक प्रभावशाली सुधार साबित हो सकता है।
प्रश्नकर्ता : मुझे लगता है कि जिस तरह से दुनिया की अर्थव्यवस्था बनाई गई है, वह पृथ्वी की इकोलॉजी को इस हद तक प्रभावित कर रही है कि हम अपने जीवन के आधार को ही नष्ट कर रहे हैं। इससे मुझे वाकई चिंता होती है और मैं इस बारे में असहाय महसूस करता हूँ। क्या कोई ऐसी चीज़ है जो हम एक व्यक्ति के तौर पर अपने और पृथ्वी के समस्त जीवन के संपूर्ण विनाश को रोकने के लिए कर सकते हैं?
सद्गुरु : देखिए, अगर मैं अपनी आँखें बंद कर लूँ, तो मैं अपनी मृत्यु तक यहाँ बैठा रह सकता हूँ। मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं है – न तो पर्यावरण के साथ, न लोगों के साथ, न परिवार या किसी और चीज़ के साथ। लेकिन मैं कई सारी चीज़ें कर रहा हूँ, सप्ताह के सातों दिन, दिन के बीस घंटे, क्योंकि यह जरूरी है। मुझे अपनी संतुष्टि के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है – मैं जब कुछ नहीं करता तब अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में होता हूँ, लेकिन इन दिनों मुझे उसके लिए बहुत मुश्किल से समय मिलता है।
मेरे लिए, कार्य का संबंध समाधान से है, संतुष्टि से नहीं। अगर हम कुछ चीज़ें नहीं करते, तो बड़े पैमाने पर लोगों को कष्ट होगा। अभी स्टॉक मार्केट आसमान छू रहा है, जबकि वास्तव में मौजूदा हालात को देखते हुए सब कुछ नीचे जाना चाहिए था। यह सब पागलपन की तरह हो रहा है, लेकिन उसके खिलाफ बात करके आप उसे नहीं रोक सकते। जाने-अनजाने हम सब इसका हिस्सा हैं।
दुनिया की अर्थव्यवस्था 7.8 अरब लोगों की बाजीगरी है। कुछ लोग ढेर के ऊपर बैठे हैं, लेकिन फिर भी वे दिशा नहीं तय कर पा रहे। चाहे आप कोई कंप्यूटर खरीदें या कोई माचिस या अरबों डॉलर का निवेश करें – हम सब आर्थिक इंजिन को धक्का दे रहे हैं। तो सवाल है कि क्या हम उसे धीमा करना चाहते हैं?
अगर आप धरती के सभी 7.8 अरब लोगों को वह देना चाहते हैं, जो एक औसत अमेरिकी नागरिक के पास है, तो हमें साढ़े चार पृथ्वियों की जरूरत होगी। लेकिन हमारे पास सिर्फ आधी पृथ्वी है। हम बाकी 4 कहाँ से लाएंगे? समस्या विशाल है और आर्थिक व्यवस्था भी शक्तिशाली है। आप ऐसी शक्ति को अचानक घुमा नहीं सकते।
अगर आप अचानक एक विशाल जहाज को घुमाने की कोशिश करते हैं, तो वह डूब जाएगा। अगर आप आर्थिक ढांचे को अचानक बदलने के लिए कुछ करते हैं, तो लोग मर जाएंगे। दुनिया की अर्थ-व्यवस्था अगर फ़ेल हो गई तो कोविड से भी कई गुना ज़्यादा लोग मर जाएँगे। भले ही आप जानते हैं कि यह गलत है, लेकिन आपको इसे चलाते रहना होगा। अभी हम दिशा में एक डिग्री बदलाव लाने की मांग कर रहे हैं। अगर आप लंबे समय तक एक डिग्री के सुधार को बनाए रखते हैं, तो धीरे-धीरे यह एक यू टर्न बन जाएगा।
चाहे यह अभी गलत दिशा में जा रहा हो, लेकिन अगर आप उसे अचानक पलटने की कोशिश करेंगे, तो वह गलत दिशा में जाने से ज्यादा बदतर होगा। लोग अक्सर दुनिया के लीडरशिप पर भ्रष्ट होने और बाकी कमियों का आरोप लगाते हैं – हो सकता है कि वे आरोप सही हों, लेकिन अगर आप भी उनकी जगह होंगे, तो आप भी कुछ बेहतर नहीं कर पाएंगे।
अगर आप लोगों को थोड़े कम कपड़े खरीदने, थोड़ा कम खाना खाने, बत्तियों को बंद करने या ऐसा कुछ और करने के लिए कहते हैं, तो क्या वे करेंगे? हर कोई सोचता है कि ऐसी चीज़ों का पालन दूसरों को करना चाहिए, उन्हें नहीं। इसीलिए मैंने कहा, ‘आप मानव आकांक्षाओं को काबू नहीं कर सकते। कम से कम मानव आबादी को तो काबू में कीजिए।’
अगर हम सिर्फ 1.6 अरब लोग होते, जैसा कि 20वीं सदी की शुरुआत में था, तो आप जो चाहते, वह कर सकते थे, जो गाड़ी चाहते वह चला सकते थे और कोई समस्या नहीं होती। धरती के पास भी खुद को फिर से सँवार लेने के लिए समय होता। लेकिन अभी, हम बहुत सारे हैं – यह सबसे बुरा अपराध है। तो, मैं सिर्फ एक छोटे से बदलाव की मांग कर रहा हूँ - मिट्टी में तीन प्रतिशत जैविक तत्व लाने की।
मैं पहले ही कई राजनेताओं से इसके बारे में बात कर चुका हूँ और वे इससे सहमत हैं। क्योंकि यह राजनीतिक सत्ता के लिए खतरा नहीं है, यह किसी भी लॉबी, तेल उद्योग या ऑटोमोबाइल उद्योग को डिस्टर्ब नहीं करता। ऐसा कीजिए और फिर देखिए कि दुनिया में कितने सारे बदलाव होते हैं।
यही इसे करने का तरीका है। 5.26 अरब लोग ऐसे हैं जिनके पास अपनी सरकार चुनने की ताकत है। हम चाहते हैं कि कम से कम 3 अरब लोग ‘जागरूक धरती आंदोलन’ (कांशस प्लैनेट) का समर्थन करें। हमारे पास इस संख्या को जोड़ने का एक तरीका है। अगर सौ दिन के समय में 3 अरब लोग इससे जुड़ जाते हैं, तो कोई राजनेता इसे अनदेखा नहीं कर सकता। एक लोकतांत्रिक देश में किसी चीज़ का समर्थन करने वाले लोगों की संख्या अहम होती है।
हमें अभी आपकी जरूरत है। कृपया इसे संभव बनाने के लिए हमारे साथ जुड़ें।