जीवन के प्रश्न

क्यों होता है प्यार

असफल – क्यों टूटते हैं रिश्ते? 

अलेक्जेंद्रे कोरमोंट के साथ संवाद में, सद्‌गुरु प्यार और रिश्तों से जुड़े आम सवालों पर नया नज़रिया पेश करते हैं। अलेक्जेंद्रे एक लोकप्रिय फ्रेंच रिलेशनशिप कोच हैं।

प्यार के बारे में सबसे ज़्यादा पूछा जाने वाला सवाल

अलेक्जेंद्रे : एक लव कोच के रूप में, मुझसे सबसे ज्यादा यह सवाल पूछा जाता है कि किसी ब्रेकअप या तलाक के बाद इससे बाहर कैसे आएं। इस बारे में आपके क्या विचार हैं?

सद्‌गुरु : मैं तो समझता था कि प्यार का मतलब साथ आना है, ना कि ब्रेकअप करना! ये चीज़ें हर जगह हो रही हैं क्योंकि हम जीवन को जीवन की तरह नहीं देख रहे। दरअसल हमारी शिक्षा प्रणाली और विज्ञान व तकनीक से जुड़े हमारे विचार – बस यह सिखाते हैं कि हर चीज़ का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कैसे करें। दुर्भाग्य से, इसमें इंसान भी शामिल हैं। इसके कारण ही, जिसे लोग आज प्यार कहते हैं, वह वास्तव में सिर्फ एक आपसी फायदे की योजना है – ‘तुम मुझे यह दोगी, मैं तुम्हें वह दूँगा। अगर तुम मुझे वह नहीं दोगी, मैं तुम्हें यह नहीं दूँगा।’

प्यार अपनी मनचाही चीज़ को पाना नहीं है। वह खुद को खोने का एक अवसर है।

जीवन की जो मेरी समझ है उसके अनुसार प्यार का मतलब दो जीवन को एक साथ बुनना है। लेकिन आज, जब हम प्यार की बात करते हैं, तो लोगों को लगता है कि उसकी एक एक्सपायरी डेट है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि लोग अपने जीवन को किसी के साथ साझा करने की गहनता को नहीं जानते। जब आप वाकई किसी को अपने जीवन के एक हिस्से के रूप में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको अपना कुछ हिस्सा खाली करना पड़ेगा। आपका कुछ गिरना चाहिए। अंग्रेज़ी में कहते हैं ‘फॉलिंग इन लव’ यानी प्यार में गिरना – जो एक अच्छी चीज़ है। आप प्यार में उठ नहीं सकते, आप प्यार में उड़ नहीं सकते, आप प्यार में चढ़ नहीं सकते – आप प्यार में सिर्फ गिर सकते हैं।

प्यार अपनी मनचाही चीज़ को पाना नहीं है। वह खुद को खोने का एक अवसर है। प्यार कोई फायदे का प्रोजेक्ट नहीं है। जैसे ही आप फायदे के बारे में सोचते हैं, पहले दिन से ही टकराव होगा। लेकिन अगर आप यह देखें कि आपके पास जो सबसे बेहतर है उसे साझा करना है, तो यह कारगर होगा। अगर आप किसी से खुशी निचोड़ना चाहते हैं, फिर ब्रेकअप स्वाभाविक रूप से होगा।

खुद से प्यार एक छलावा है

अलेक्जेंद्रे: कई लोग खुद से प्यार करना नहीं जानते। क्या आपके पास उनके लिए कोई सलाह है?

सद्‌गुरु : चाहे आप प्यार करना चाहते हैं या नफरत, आपको किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत होती है। ‘मैं खुद से प्यार करता हूँ, मैं खुद से नफरत करता हूँ’ ये चीज़ें आधुनिक शब्दकोष का हिस्सा बन गई हैं। इसका अर्थ है कि आपके अंदर एक और इंसान है। अगर आपके अंदर एक और इंसान है, तो इसका अर्थ है कि या तो आप मानसिक रूप से बीमार हैं या भूतग्रस्त। फिर आपको या तो एक  मनोवैज्ञानिक की जरूरत है या किसी ओझा की। प्यार को आत्मविश्वास या किसी दूसरे गुण की जरूरत नहीं है। हर इंसान भावनाओं की मधुरता और त्याग की भावना रखने में सक्षम है। यह गुण हमारे अंदर गहराई से गुंथा होता है। 

जब कोई चीज़ वाकई आपके लिए मायने रखती है, तो आप उसके लिए हर वो चीज़ करना चाहते हैं जो आप कर सकते हैं। यह किसी व्यक्ति से प्रेम संबंध में हो सकता है, देश के लिए हो सकता है या किसी भी दूसरी चीज़ के लिए हो सकता है जिसके लिए आप खड़े होते हैं। लोग अपने देश के लिए या अपने प्यार के लिए मरने को तैयार होते हैं। ऐसा नहीं है कि किसी को किसी चीज़ के लिए मर जाना चाहिए, लेकिन यह बात अहम है कि कोई चीज़ आपसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। जब कोई चीज़ या व्यक्ति आपसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है, तो यही एक प्रेम संबंध है।

डर क्यों व्यर्थ है

अलेक्जेंद्रे : जिन लोगों को मैं कोच करता हूँ, उनमें अच्छा न होने, जीवन में सफल न होने, वह न बन पाने, जो लोग उन्हें बनाना चाहते हैं, का डर होता है। हम डर पर काबू कैसे पा सकते हैं?  

सद्‌गुरु : डर, अपने विचारों को एक ऐसे क्षेत्र में ले जाने का नतीजा है, जिसके बारे में आप कुछ नहीं जानते। लोग उससे दुखी हैं, जो कल हो सकता है। जिससे वे दुखी हैं, वह उनका जीवन नहीं बल्कि उनकी अपनी कल्पना है। लोग हमेशा डरते हैं कि क्या हो सकता है। वे किसी ऐसी चीज़ से दुखी हैं, जिसका अस्तित्व ही नहीं है।

आप अतीत को नहीं बदल सकते। आप सिर्फ वर्तमान पल का अनुभव कर सकते हैं। भविष्य को उस तरह गढ़ा जाना चाहिए, जैसा आप चाहते हैं।

इसका अर्थ है कि आपने मानसिक अनुशासन को पूरी तरह  विकसित नहीं किया है। आपकी याद्दाश्त, वर्तमान अनुभव, और कल्पना सब आपस में घुलमिल गए हैं। इस स्तर के मस्तिष्क तक पहुँचने में लाखों साल का विकास लगा, लेकिन अब आप उससे दुखी हैं। अगर आपके पास एक केंचुए का मस्तिष्क होता, तो आप आराम से प्यार में पड़ जाते, उस रिश्ते को बनाए रखते और एक-दूसरे के साथ मर जाते। लेकिन मस्तिष्क की गतिविधि के कारण आप ऐसी चीज़ों की कल्पना कर रहे हैं, जिनका अस्तित्व नहीं है और ऐसी चीज़ों को याद कर रहे हैं, जिनकी आपको अभी जरूरत नहीं है।

आप अतीत को नहीं बदल सकते। आप सिर्फ वर्तमान पल का अनुभव कर सकते हैं। भविष्य को उस तरह गढ़ा जाना चाहिए, जैसा आप चाहते हैं। यह क्षमता आत्मविश्वास से या किसी को लुभाने का तरीका जानने से नहीं आएगी। यह तब होगा जब आप अपनी बुद्धिमत्ता, अपने दिमाग, अपने शरीर की प्रकृति और उनके काम करने के तरीके पर पर्याप्त ध्यान देंगे। अगर आप अपने निर्माण की प्रक्रिया को समझ लेते हैं, तो ये चीज़ें सहज हो जाती हैं।

प्यार को टिकाऊ कैसे बनाएं?

अलेक्जेंद्रे : क्या अमर प्रेम जैसी कोई चीज़ होती है या हर प्यार को एक दिन असफल होना ही है?

सद्‌गुरु: जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं, समाज आपको ढालता है, हालांकि आम तौर पर बेतरतीब तरीके से। आपकी माँ एक चीज़ कहेगी, आपके पिता दूसरी चीज़ कहेंगे, आपका शिक्षक कुछ और कहेगा, कोई फिल्म या किताब कुछ और कहेगी। यह घालमेल आपकी शख्सियत को बनाता है। 

अगर आपको संयोग से या अनजाने में गढ़ा जा सकता है, तो आप खुद को सचेतन तरीक़े से भी गढ़ सकते हैं। जब आप खुद को सचेतन होकर गढ़ते हैं, तो आप उस तरह होंगे जैसे आप होना चाहते हैं। अभी रिश्तों के साथ समस्या यह है कि आप किसी दूसरे को वैसा बनाना चाहते हैं, जैसा आप चाहते हैं, लेकिन आप खुद वैसे नहीं हैं, जैसे आप होना चाहते हैं। जब आप खुद को वैसा नहीं बना सकते, जैसा आप चाहते हैं, तो यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि दूसरा शख्स वैसा हो जाए, जैसा आप चाहते हैं। फिर इसे असफल तो होना ही है।

प्यार में मूर्खता? फिर से सोचिए

अलेक्जेंद्रे: लेकिन तब क्या करें जब आप किसी ऐसे इंसान के प्यार में पड़ जाएं, जिसके इरादे अच्छे नहीं हों? क्या हमें इसका एहसास होता है?

सद्‌गुरु : क्या प्यार से आपका मतलब मूर्ख बन जाना है? प्यार बहुत समझदारी वाली चीज़ है क्योंकि अगर आप हर उस चीज़ से प्यार करते हैं, जिसे आप देखते हैं, तो आपका जीवन बहुत बढ़िया होगा। इसका किसी दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है। प्यार और नफरत, वास्तव में सारे मानवीय अनुभव आपके अंदर होते हैं। अगर आप हर उस चीज़ के लिए प्यार महसूस करते हैं, जिसे आप देखते हैं, तो आप शानदार महसूस करते हैं।

प्यार एक तरीका है अपनी भावनाओं को हमेशा मधुर और सुखद बनाए रखने का। यह जीने का समझदारी भरा तरीका है।

इस बात के पर्याप्त वैज्ञानिक और मेडिकल प्रमाण हैं कि जब आप वाकई अच्छा महसूस करते हैं, तो आपका शरीर और दिमाग सबसे बेहतर तरीके से काम करते हैं। प्यार एक तरीका है अपनी भावनाओं को हमेशा मधुर और सुखद बनाए रखने का। यह जीने का समझदारी भरा तरीका है। लेकिन अधिकांश लोगों को लगता है कि प्यार में होने का मतलब मूर्खतापूर्ण चीज़ें करना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे आपसी फायदे की योजना बनाते हैं और सोचते हैं कि दूसरा शख्स सिर्फ देगा और उन्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।

एक रिश्ता कई रूपों में हो सकता है। यह हमारे मां-बाप के साथ, भाई-बहन के साथ या दोस्तों के साथ हो सकता है। गुरु और शिष्य के बीच एक रिश्ता होता है। बहुत सारे रिश्ते होते हैं। लेकिन पश्चिम में, जब आप ‘रिश्ता’ कहते हैं, तो उसका आम तौर पर मतलब होता है कि वह शरीर से जुड़ा है। लेकिन शारीरिक संपर्क एक रिश्ता बनाने का एकमात्र तरीका नहीं है। आप बौद्धिक रूप से एक रिश्ता बना सकते हैं, भावनात्मक रूप से रिश्ता बना सकते हैं। भावनात्मक रिश्ते शरीर पर आधारित रिश्तों से ज्यादा नाजुक होते हैं। जब आप अपनी भावनाओं को किसी चीज़ में लगाते हैं, तभी जीवन शक्तिशाली और वाकई सार्थक होता है।