ईशा लीडरशिप अकादमी द्वारा आयोजित कार्यशाला ‘ब्रांड इनसाइट – डिकोडिंग ब्रांडिंग’ में प्रतिभागियों को अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए ब्रांड-निर्माण सीखने का मौक़ा मिला।
‘ब्रांड इनसाइट’ का सबसे पहला संस्करण 3-5 मार्च 2023 को नालंदा कांफ्रेंस सेंटर, ईशा योग केंद्र कोयम्बटूर में आयोजित किया गया। इसमें ब्रांड मैनेजर, उद्यमी और बड़े-बड़े बी2बी और बी2सी कारोबारों के उच्च कार्यकारी अधिकारियों समेत 46 प्रतिभागियों ने भारत के बेहतरीन व्यावसायिक रणनीतिकारों से अपने ब्रांड को और ऊंचे स्तर तक ले जाने की कला सीखी।
यह देखते हुए कि भारतीय व्यापार अपनी पूरी क्षमताओं से उभरने में इसलिए पीछे रह जाते हैं क्योंकि वे ब्रांडिंग की ताक़त और साधनों के बारे में जागरूक नहीं होते हैं, सद्गुरु ने एक विशेष रूप से कार्यक्रम तैयार किया – ‘ब्रांड इनसाइट’ जो ख़ास तौर पर भारतीय व्यापार को ध्यान में रखकर विकसित किया गया।
तीन दिनों की इंटरैक्टिव कार्यशाला का ये कार्यक्रम ईशा के पारंपरिक तरीके से आयोजित किया गया – आराम वाली सख्ती और सहज तीव्रता के साथ। सावधानी के साथ तैयार किए गए इस वातावरण में भारत के बेहतरीन ब्रांड रणनीतिकार साथ आए और प्रतिभागियों की मदद की ताकि वे एक प्रभावशाली ब्रांड बनाने के विज्ञान को समझ सकें। इस पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा अनिषा मोटवानी की देख-रेख में तैयार की गई, जो ख़ुद एक विशिष्ट व्यवसायी हैं और ब्रांड-निर्माण की अगुआ हैं।
“ब्रांडिंग वो है जिसे आप अपने उत्पादों को बाज़ार में लाने से पहले करते हैं। आप अपने उत्पाद बाज़ार में लाखों तरीकों से ला सकते हैं। ब्रांडिंग एक रणनीति है, मार्केटिंग बहुत कुशलता और चतुराई की चीज है।” - अनिषा मोटवानी - ब्रांड, डिजिटल और नवाचार विशेषज्ञ
ब्रांडिंग को लेकर सद्गुरु के अनोखे दृष्टिकोण को साझा करते हुए उन्होंने शुरुआत की, और ये बताया कि आने वाले 3 दिन ‘करके सीखो’ गतिविधियों से भरे रहने वाले हैं जिनमें केस-स्टडी, वर्किंग सेशंस (कार्य-सत्र), विशेषज्ञों के भाषण और साथी प्रतिभागियों के साथ ज्ञानवर्धक बातचीत शामिल होंगी। अपने दशकों के अनुभव से उन्होंने प्रक्रिया के ठीक किए जाने के महत्व पर जोर दिया और प्रतिभागियों को समझदारी भरी राय दी कि, ‘मार्केटिंग में, इनपुट विज्ञान पर आधारित है , आउटपुट कला है और नतीजे कॉमर्स (व्यापार) है।’
हर सत्र में प्रतिभागियों को भारत के प्रमुख व्यापार रणनीतिकारों से सीखने का मौका मिला जिन्होंने आकर्षक ब्रांड बनाने, अपने ब्रांड को एक बेहतर स्थिति में विकसित करने और फिर उसे एक प्रभावशाली मार्केटिंग मटेरियल में बदलने तक की यात्रा के बारे में सलाह दी।
“ब्रांड को तीन चीज़ें करनी चाहिए : किसी चीज़ के लिए खड़े होना, भीड़ से अलग खड़े होना और मजबूती के साथ खड़े रहना। एक बार आपने उद्देश्य बना लिया तो उसे ब्रांड को अपने कामों में दिखाना होता है।” - एस .सुब्रमणयेश्वर, एडवरटाइजिंग मार्केटिंग कम्युनिकेशन कंपनी मलेन लोव लिंटास ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी; एशिया पैसिफिक के मुख्य रणनीति अधिकारी, मलेन लोव ग्रुप की ग्लोबल प्लानिंग काउंसिल के प्रमुख
“सबसे सफल कंपनियों की खासियत ये है कि वे अपने उद्देश्य को लेकर जीती हैं। क्योंकि वे ख़ास उद्देश्य पर चल रही हैं तो उन्हें अपने कर्मचारियों को ये नहीं बताना पड़ता कि क्या करना है। उन्हें पता होता है।” - अल्पना परिदा, कम्पोजिट फाइबर हेलमेट निर्माता तीव्र वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी
‘रैली फॉर रिवर’ इसका एक बेहतरीन उदाहरण था कि कैसे एक शक्तिशाली विचार, जिसे एक सरल और विश्वसनीय सन्देश का जामा पहनाकर और एक ऐसी युक्ति के गोटे से सजाकर जो लोगों के ह्रदय और मन को गति दे, पेश किया जाए, तो वह न केवल एक ब्रांड बन सकता है बल्कि थोड़े ही समय में एक जन-अभियान बन सकता है।” - युरी जैन, युनिलीवर पूर्व ग्लोबल अध्यक्ष, ईशा आउटरीच प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर
“ब्रांडिंग के दो हिस्से हैं। एक लॉजिक (तर्क) है और दूसरा है इस लॉजिक को मैजिक (जादू) में बदलना। यदि आप इसे रणनीति के तहत करते हैं, तो ये बोरिंग हो जाता है। एक बढ़िया जादूगर का काम है अपने जादू को तार्किकता में लपेटकर उसे दिलचस्प बनाए।”
- सौरभ मिश्रा, अजेनडर कंसल्टिंग के सह संस्थापक और ब्रांडिंग मैनेजिंग पार्टनर
“सबसे पहले लोगों की नज़र में एक अलग जगह बनाइए और फिर ज़रूरी, दिलचस्प और उपयोगी होने के तरीके तलाशिए। स्थिति को यहाँ तक पहुंचाना होता है।” - नारायण देव नाथन, नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (एक स्वतंत्र अनुदान देने वाली संस्था) में मुख्य नीति और सम्प्रेषण अधिकारी
“जब आप अपने व्यवसाय को रात-दिन जीते हैं तब आप ये जान भी नहीं पाते कि आपकी क्षमताएं क्या हैं। तो एक सूची बनाइए और ये सवाल पूछकर त्याग करने के लिए तैयार रहिए कि ‘यह सही लग रहा है, लेकिन क्या यह वास्तव में सही है?’ -अतिका मलिक, दक्षिण पश्चिम एशिया में एडवरटाइजिंग एजेंसी चेइल इंडिया की नीति सलाह पार्टनर और पूर्व COO और CSO.
“हर बार जब कोई कार्य आपके सामने पेश किया जाता है, तो आपके पास एक ठोस संक्षिप्त विवरण और ऐसे प्रश्न होना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है जो आपको खुद से पूछने चाहिए ताकि यह केवल 'मुझे यह पसंद है' या 'मुझे यह पसंद नहीं है' के बजाय एक प्रक्रिया बन जाए।” -सोनल डबराल, दक्षिण पूर्व एशिया की एडवरटाइजिंग कंपनी ओगिलवी में क्रिएटिव निदेशक एवं पूर्व मुख्य क्रिएटिव अधिकारी, अन्तराष्ट्रीय एडवरटाइजिंग एसोसिएशन क्रिएटिव एजेंसी लीडर ऑफ़ द इयर
साथ ही पूरे कार्यक्रम के दौरान सद्गुरु की कीमती व्यावहारिक बातें साझा की गईं। ब्रांडिंग की विभिन्न पेचीदगियों पर सद्गुरु की कई वीडिओ रिकॉर्डिंग समय-समय पर प्रतिभागियों को दिखाई गईं।
जैसे-जैसे 3 दिनों की इस यात्रा की परतें खुलीं, प्रतिभागियों ने ये समझा कि ये कार्यक्रम कितना तल्लीन रखने वाला और संवाद आधारित था। यहाँ न केवल विशेषज्ञों से बातचीत के ढेर सारे अवसर थे बल्कि साथी प्रतिभागियों के साथ अनोखे तरीकों से मिलकर चीज़ें करने से नई संभावनाएं भी खुल रही थीं।
‘एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर है,’ इस कहावत को चरितार्थ करते हुए प्रतिभाशाली कलाकारों ने दिन भर की गतिविधियों को कैनवास पर अपने चित्रों के ज़रिए जीवंत कर दिया।
वर्किंग सेशंस (कार्य-सत्र) कुछ इस तरह से बनाए गए थे कि केस स्टडी के द्वारा वास्तविक ब्रांड के लिए सीखी हुई ख़ास बातों को इस्तेमाल करने का अभ्यास हो सके, इसलिए कमरे में मौजूद लोगों में से आधे लोगों ने ‘जोहो’ पर काम किया और बाकी आधे ने बेंगलुरु स्थित आई डी फ्रेश फ़ूड पर। पर यहाँ एक मज़ेदार मोड़ था - उनके मार्गदर्शक कोई और नहीं बल्कि आई डी फ्रेश फ़ूड प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य मार्केटिंग अधिकारी राहुल गाँधी और टेक्नोलॉजी कंपनी ज़ोहो कॉरपोरेशन में मार्केटिंग वाईस प्रेसिडेंट प्रवाल सिंह थे। ब्रांड के उद्देश्य के महत्व को समझने का इससे अच्छा और क्या तरीका हो सकता था कि इसे उन्हीं लोगों के सामने अमल में लाया जाए जो हर दिन ब्रांड में जीते और उसी में सांस लेते हैं!
ईशा का कोई भी कार्यक्रम बदलाव के योगिक सूत्रों के बिना पूरा नहीं होता, ब्रांड इनसाइट भी इसका अपवाद नहीं था। दिन हमेशा ही योग से शुरू होते थे जिसके बाद नालंदा कांफ्रेंस सेंटर के शांत वातावरण में सात्विक अल्पाहार दिया जाता था। सद्गुरु द्वरा निर्देशित ध्यान भी कराए जाते थे जो प्रतिभागियों को दिन भर की दिमागी कसरत के बाद शांत और तरोताज़ा कर देते थे।
कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागियों को एक अनमोल सरप्राइज दिया गया: सद्गुरु द्वारा एक घंटे का सन्देश जिसे उन्होंने ख़ासकर इस समूह के लिए पिछ्ली रात को ही रिकॉर्ड किया था। अपनी व्यावहारिक बुद्धि और ज्ञान के साथ सद्गुरु ने ब्रांडिंग के बारे में अपनी सलाह दी और बताया कि वर्तमान बाज़ार में सफल होने के लिए किस तरह का ब्रांड बनना चाहिए।
अंत में युरी जैन ने कार्यक्रम को इन मार्मिक शब्दों के साथ विराम दिया, ‘शक्तिशाली ब्रांड बनाने के लिए आपको चाहिए कि नेतृत्व की बागडोर ऐसे व्यक्ति के हाथों में हो जो प्रेरित, समावेशी और पूरी तरह शामिल होने वाला हो। ब्रांड बजट और एडवरटाइजिंग की कला कोई बाधक नहीं है। ब्रांड की पूरी क्षमता को पाने के लिए आपको अपनी क्षमता को पाना होगा।