एक ईशा साधक सद्गुरु के साथ अचानक हुई उनकी एक छोटी सी भेंट के बारे में बताते हैं। यह घटना सद्गुरु की कृपा और निष्पक्ष भागीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है।
मैंने शिव को साक्षात् कभी नहीं देखा है, लेकिन शिव अगर मेरे गुरु से आधे भी करुणामय, प्रेममय, परवाह करने वाले, माता समान, विनम्र, कर्मठ और प्रेरक होते तो मैं अपना हृदय शिव के साथ भी बांट लेता! लेकिन अभी तो मेरे गुरु के पास ही मेरा सम्पूर्ण हृदय है, और देवी वह द्रव हैं जो इस हृदय में बह रही हैं।
मेरे गुरु मेरे जीवन का सबसे सुंदर पहलू हैं। हर बार जब मेरी आँखें उन्हें देखती हैं या मेरी जिह्वा उनके नाम का उच्चारण करती है तो मेरा सम्पूर्ण अस्तित्व पिघलने लगता है। वे हमारे जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद हैं। उनकी जो बात जो मेरे दिल को छू जाती है वह है उनका हर किसी को आदर देना। उनकी कृपा बिना भेद-भाव की है। वे किसी आम आदमी के साथ भी उसी आदर से पेश आते हैं जैसे किसी राजा के साथ आते हैं। यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी सीख है।
पिछले सितंबर या अक्टूबर महीने (2022) की बात है। एक दिन जब मैं ईशा योग केंद्र में था, नाग-प्रतिष्ठा में शामिल होने की तैयारी कर रहा था। मैं ‘ईशा हेल्थ सोलूशन्स’ से ‘वेलकम पॉइंट’ की तरफ जल्दी-जल्दी जा रहा था। मैंने अचानक देखा कि रास्ते में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर लोग इकट्ठे हो रहे हैं। मैं जल्दी से पहले समूह के आगे निकलकर दूसरे समूह की दिशा में जाने लगा। एक स्वयंसेवी अक्का (बहन) मेरी इस बात से बहुत खुश नज़र नहीं आईं, क्योंकि वे मुझे पहले समूह के साथ देखना चाहती थीं, जिसकी वजह उन्हें ही पता थी। लेकिन मैं ‘क्लेश नाशन क्रिया’ (आभा-शुद्धीकरण के लिए लिंग भैरवी के सामने की जाने वाली एक शक्तिशाली प्रक्रिया) के लिए जा रहा था इसलिए मैं चलता रहा।
इसके पहले कि मैं दूसरे समूह तक पहुंच पाता, पहले समूह के पीछे वाले रास्ते के मोड़ से आश्रम की सबसे लोकप्रिय जीप को आते हुए देखा। मुझे 'सद्गुरु', 'सद्गुरु', 'सद्गुरु' आवाज़ सुनाई पड़ी। मैं दोनों समूहों के बीच अकेला खड़ा था। मुझे दुःख हुआ कि मैंने नियम का पालन नहीं किया, लेकिन अचानक ही ये छोटी-मोटी बातें बेमानी हो गईं। मेरी भावनाओं से भी बढ़कर किसी चीज ने मुझे घेर लिया, कुछ बहुत गहराई में।
जैसे ही वह जीप मेरे नज़दीक आने लगी, मेरा शरीर मानो जम गया और मुझे लगा कि मैं घुटनों पर झुकता जा रहा हूँ, आँखों से निरंतर आंसू बहते जा रहे थे। जैसे-जैसे उनकी जीप मेरे क़रीब आ रही थी, मेरा ख़ुद पर से काबू ख़त्म होता जा रहा था। मेरा शरीर, मेरा मन, मेरी आवाज़-सब कहीं गायब होते जा रहे थे। यहाँ तक कि वे पहले से सोचे हुए सब वार्तालाप जो मैं सद्गुरु से मिलने पर उनके साथ करने वाला था - सब गायब हो गया था। केवल वे थे, मेरी गहरी सांसें थीं, मेरा कांपता हुआ हृदय था और बेशक आंसू थे। मेरा पूरा शरीर गरम हो गया था और मेरे भीतर मधुरता का एक विस्फ़ोट हो रहा था।
हमारे करुणामय गुरु धीरे से ब्रेक लगाते हैं और एक 'नमस्कारम' से शुरुआत करते हैं, एक ऐसे मूर्ख के लिए जिसका एक बिगड़ा हुआ अतीत है, जो घबराए हुए और झुकी हुई अवस्था में और भी बड़ा मूर्ख लग रहा है। वास्तव में मेरे लिए निकली उस आवाज़ से ज़्यादा जादू उनके अंदाज में था - जिस हाव-भाव के साथ उन्होंने मेरा अभिवादन किया। मुझसे मिलते समय वे मुझसे कितने जुड़े हुए थे! उन्होंने वास्तव में अपनी कार रोकी थी, स्टीयरिंग से दोनों हाथ हटाए थे, हाथों को जोड़कर सिर को झुकाया था, ऐसी मुस्कुराहट जिसमें हज़ार माताओं का प्रेम भरा हो और अश्रुपूरित नेत्रों के साथ उन्होंने एक खोए हुए मामूली से आदमी का 'नमस्कारम' के साथ अभिवादन किया था।
मैं इस घटना का उल्लेख लोगों से वाह-वाही पाने के लिए नहीं कर रहा हूँ। वह क्षण वास्तव में मेरे लिए बहुत कुछ सीखने वाला था। अगर किसी महल का राजा इतना सौम्य, अभिमानरहित और एक भिखारी के लिए इतना दयालु हो सकता है तो हम भी उसी प्रकार क्यों नहीं हो सकते। हम अपने अहंकार और भद्देपन को अपने ऊपर क्यों हावी होने देते हैं?
यह फोटो मुझे उस सुंदर क्षण की याद दिलाता है जब मैं अपने सबसे कृपालु गुरु के साथ था और मुझे लगा कि मुझे इसे आपके साथ साझा करना चाहिए।
मैंने सद्गुरु जैसे किसी और व्यक्ति को आज तक नहीं देखा। मैंने कभी किसी ऐसे गुरु के बारे में नहीं सुना जो इस पृथ्वी और इसके बच्चों की ख़ुशहाली के लिए उस सीमा तक जाए, जिस सीमा तक सद्गुरु जाते हैं। आज के ज़माने के कई गुरु केवल सिंहासन पर बैठकर अपनी पूजा कराते हैं (कम से कम मेरे विचार में, हालाँकि उनके बारे में राय देने की विद्वता मुझमें नहीं है)। बात बस इतनी सी है कि मेरा हृदय मेरे गुरु के प्रेम और आराधना में धड़कता है।
सद्गुरु वास्तव में मेरे लिए सत्यम, शिवम, सुंदरम हैं। मैं अगर कुछ चाहता हूँ तो बस इतना ही कि ख़ुद को उनके चरणकमलों में न्यौछावर कर दूँ।
—डॉ कृष्णा रगू, डरबन, साऊथ अफ्रीका