मिट्टी बचाओ

#‘मिट्टी बचाओ’– सोशल मीडिया किसी अभियान को पूरे विश्व तक पहुँचाने में कैसे मदद करता है

‘जागरूक धरती’ (‘कांशस प्लैनेट’) की सोशल मीडिया टीम को शुरू से ही पता था कि उनके हाथों में एक बड़ी जिम्मेदारी है – ‘मिट्टी बचाओ’ का संदेश 3.5 अरब लोगों तक फैलाने में मदद करना! वे यह भी जानते थे कि अगर दुनिया भर में इतने सारे लोगों तक पहुंचने का कोई तरीका है, तो वह है सोशल मीडिया।

जब मिट्टी से बीज फूटा

अक्टूबर 2021 के अंत में, सोशल मीडिया टीम में कुछ फुसफुसाहट थी कि मिट्टी के अंदर कुछ पक रहा है। एक महीने बाद 25 नवंबर तक यह बात आधिकारिक हो गई - अगले कुछ दिनों में ‘मिट्टी बचाओ’ अभियान के लिए एक वीडियो लॉन्च होने वाला था। पिछले दो सालों से, सद्‌गुरु और स्वयंसेवकों की एक छोटी टीम इस वैश्विक अभियान को अलग-अलग स्तरों पर साथ लाने के लिए चुपचाप काम कर रही थी। तब से मिट्टी बचाओ अभियान दिन-ब-दिन एक बड़ा रूप लेता जा रहा है।

फैलती जड़ें

विश्व मृदा दिवस 2021 को सद्‌गुरु के एक वीडियो के लॉन्च के साथ यह अभियान शुरू हुआ। ‘शुरू में हमारे पास सिर्फ यह वीडियो था क्योंकि हमारे लिए सब कुछ बहुत नया था,’ ‘कांशस प्लैनेट’ सोशल मीडिया आउटरीच की जिम्मेदारी उठाने वाली स्वयंसेवी रसिका कहती हैं। ‘मेरे ख्याल से इसने हमें आगे बढ़ने के लिए जरूरी रफ्तार पाने में मदद की क्योंकि सद्‌गुरु ने उसमें बहुत प्रभावशाली तरीके से बोला है। वह सरल ढंग से और हर किसी को समझ में आने वाले तरीके से बोलते हैं, लेकिन साथ ही वह बहुत जबरदस्त असरदार  होता है।’

इस अभियान की शुरुआत जितनी अप्रत्याशित थी, रसिका और उनकी टीम उतनी ही जल्दी तैयार हो गई। ‘वह पहला महीना हर किसी के लिए सीखने का अनुभव था, लेकिन हमने जल्द ही एक प्रक्रिया विकसित कर ली। आखिरकार सोशल मीडिया लोगों तक पहुँचने का सबसे तेज और आसान तरीका है। और हम 3.5 अरब लोगों तक पहुँचना चाहते हैं!’

‘जागरूक धरती’ की अब 43 भाषाओं में डिजिटल उपस्थिति है। एक समर्पित टीम लगातार इन पृष्ठों के लिए सामग्री तैयार करती रहती है, जिनमें रचनात्मक विचारों और दिलचस्प पोस्ट से लेकर हमारी मिट्टी की हालत के बारे में कठोर तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है।

मिट्टी क्या नहीं है?

रणनीति और सामग्री के पीछे के विचार के बारे में पूछे जाने पर, रसिका बताती हैं, ‘हमने एक मूड बोर्ड बनाया और कुछ मिनी सीरीज़ बनाईं, ताकि अपने दर्शकों को जोड़े रख सकें और लोगों द्वारा बनाये गए कंटेंट को प्रोत्साहित कर सकें।’

इन मिनी सीरीज़ में #WhatsNotSoil (#मिट्टी क्या नहीं है), सबसे सफल सीरीज़ रही है। इसका मकसद लोगों को इस सच्चाई के प्रति जागरूक करना था कि उनके आस-पास की हर चीज़ मिट्टी से आती है, किताबें, संगीत यंत्र, से लेकर उनके पसंदीदा कपड़ों और कलाकृतियों तक।

कुछ आइडिया सफल रहे, जबकि कुछ योजना के अनुसार नहीं चले। ‘टाइमिंग की भी बात थी,’ ‘सॉयल बॉडी आर्ट’ या ‘सॉयल हैंड्स’ पोस्ट्स की बात करते हुए रसिका कहती हैं। ‘लोग कंटेंट बनाने को लेकर इतने उत्साहित थे कि इस सीरीज़ के साथ, आधिकारिक पोस्ट से ज्यादा लोगों द्वारा बनाये गए पोस्ट थे।’

फिर भी सोशल मीडिया अभियान शुरू होने के बाद से पिछले 3 महीनों के भीतर, फ़ालोअर्स की संख्या और व्यक्तिगत पोस्ट एंगेजमेंट तेजी से बढ़े हैं। ‘सोशल मीडिया की दुनिया में, 1 फीसदी एंगेजमेंट दर भी बहुत अच्छी है। लेकिन फरवरी के बाद से, शायद सद्‌गुरु के साथ पहली ‘अर्थ-बडी’ (धरती-मित्र) मुलाकात के बाद, हमारे पोस्ट्स पर लगातार 10 फीसदी से ज्यादा एंगेजमेंट है – यह आसमान छू रहा है!’ मंत्रमुग्ध रसिका बताती हैं।

लोगों तक पहुँचना

टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रही है, ऐसे पोस्ट तैयार करना जो मज़ेदार होने के साथ ही मिट्टी के प्रति एक भावनात्मक जुड़ाव बनाने में मदद करने वाले हों, ताकि स्थिति की गंभीरता को भी लोगों तक पहुँचाया जा सके।

‘रचनात्मक सामग्री की बात करें तो, हमने शुरुआत के बाद से अब तक एक लंबा सफर तय किया है। सद्‌गुरु सचमुच इस पर अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं,’ सद्‌गुरु की आगामी 30,000 किलोमीटर की मोटरसाइकिल यात्रा के बारे में बात करते हुए रसिका कहती हैं। ‘इसलिए हम यह भी महसूस करते हैं कि सोशल मीडिया सामग्री को ज्यादा समझदारी से पेश करना हमारी ज़िम्मेदारी है। इसका मतलब ये नहीं है कि हमें सामग्री को रचनात्मक और मजेदार नहीं बनाना है। लेकिन समस्या पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इसके बारे में ज्यादा बोलना चाहिए। और मुझे लगता है कि लोग सुनने के लिए तैयार हैं।’

सद्‌गुरु की आगामी यूरोप यात्रा के दौरान, टीम ने योजना बनाई है कि हमारी सामग्री यात्रा के अनुसार होगी, यानी देशों को ध्यान में रखते हुए सामग्री तैयार की जाएगी जो स्थानीय समस्याओं की गहराई से जुड़ी हो, साथ ही जो उन समस्याओं पर दुनिया का ध्यान आकर्षित कर सकें। सामग्री के लिए उस तरह से तैयारी शुरू हो चुकी है।

‘मिट्टी गीत’ पर नृत्य

3.5 अरब लोगों तक सिर्फ तथ्यों के जरिये नहीं पहुँचा जा सकता था – यह बात टीम शुरू से ही जानती रही है।

‘संगीत और नृत्य हर कहीं लोकप्रिय होते हैं, लोग इससे तुरंत जुड़ते हैं।’ रसिका ‘सॉयल सॉन्ग’ का हवाला देते हुए कहती हैं, जिसे महाशिवरात्रि पर आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया।

वह रात सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर समर्थकों की एक नई लहर लेकर आई, और एंगेजमेंट को बनाए रखने के लिए एक ‘डांस रील’ चुनौती दी गई है।

सोशल मीडिया पर प्रभाव डालने वाले लोगों तक पहुँचने की जिम्मेदारी उठाने वाले स्वयंसेवी पवन कुमार बताते हैं, ‘सोशल मीडिया पर, नृत्य और संगीत सबसे पहले आगे पहुँचता है। यह एक अच्छा एंट्री प्वाइंट है और जब कोई सुनता है कि कोई चीज़ क्यों वायरल हो रही है, तो वे स्वाभाविक रूप से उसके स्रोत तक आते हैं। इससे हम यही करना चाहते हैं।’

मिट्टी की आवाज़

दुनिया भर के स्वयंसेवी हवाईजहाजों में, ट्रेनों में, हवाई अड्डों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर सॉयल सॉन्ग गाते हुए इस अभियान की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। यह सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स तक पहुँचने में भी मदद कर रहा है, जिनमें से कई मिट्टी बचाओ  डांस चैलेंज स्वीकार कर चुके हैं।

‘हम लगभग पाँच हज़ार इंफ्लुएंसर्स तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में सद्‌गुरु से जुड़े हुए हैं। डांस रील निश्चित रूप से उन्हें मिट्टी बचाओ  अभियान में शामिल करने का एक तरीका है,’ पवन कहते हैं।

‘मिट्टी बचाओ’ के संदेश से प्रेरित होकर और स्थिति की गंभीरता को पहचानते हुए, कई प्रभावशाली लोग संगठित रूप से अभियान में शामिल हो रहे हैं। लेकिन पवन के अनुभव में यह कोई नई बात नहीं है। ‘जब सद्‌गुरु सड़क पर उतरेंगे, तो यह सैंकड़ों गुना बड़ा हो जाएगा। नदी अभियान में हमने यही देखा,’ वह याद करते हुए कहते हैं। ‘उस समय पूरा भारत एक साथ आ गया था, और इस बार मुझे कोई संदेह नहीं है कि पूरी दुनिया मिट्टी को बचाने के लिए एक साथ आएगी।’

आइये इसे संभव बनाएं!

पवन कुमार, रसिका और पूरी टीम उन पर सौंपी गई जिम्मेदारी के प्रति पूरी गंभीरता से जागरूक है। जैसा कि पवन कहते हैं, ‘सद्‌गुरु की समावेश की भावना यही है – हर किसी के बारे में सोचना, उन लोगों सहित जो अभी पैदा भी नहीं हुए हैं। यह बहुत सौभाग्य की बात और एक बड़ी जिम्मेदारी है।’

इस स्वयंसेवा ने पूरी टीम को एक होकर साथ आने में मदद की है, ताकि इसे संभव किया जा सके – मिट्टी बचाओ अभियान वास्तव में यही है।

पवन कहते हैं, ‘इस अभियान में अभी चिंगारी भड़कनी शुरू हुई है। जल्दी ही यह पूरी दुनिया में आग की तरह फैल जाएगा।’

savesoil.org/join