सद्‌गुरु एक्सक्लूसिव

एक शरीर में दो प्राणी – एक कल्पना या संभावना?

इस आलेख में सद्‌गुरु बता रहे हैं एक अद्भुत घटना के बारे में - बहुत विकसित अशरीरी प्राणियों को जीवित लोगों के शरीर में डाउनलोड करने की असाधारण प्रक्रिया के बारे में। आइए जानते हैं कि भविष्य में इस संभावना की खोज करने को लेकर सद्‌गुरु की क्या योजना है और दुनिया को इससे क्या लाभ होगा।

प्रश्नकर्ता: सद्‌गुरु, मैंने आपको यहाँ मौजूद लोगों के शरीरों में उन्नत प्राणियों को डाउनलोड करने के बारे में बोलते सुना है। क्या आप समझा सकते हैं कि इसका क्या मतलब है?

सद्‌गुरु: अभी हम एक योजनाबद्ध तरीके से योग सिखा रहे हैं और कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं लेकिन कुछ और चीज़ें जो हम कर सकते हैं, वे बिल्कुल अलग तरह की हैं। चूंकि हमने कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां ले रखी हैं, इसलिए हमने कुछ समय के लिए उन चीज़ों को स्थगित कर दिया है। मैं अपनी यात्राओं को कम करके कुछ और शुरू करने के बारे में सोच रहा हूँ। शायद मैं अपने समय का कुछ हिस्सा भारत में ईशा योग केंद्र में और कुछ समय अमेरिका के आश्रम में बिताऊँ, लेकिन जहाँ भी रहूँ, ज्यादातर मैं एक ही जगह पर स्थिर रहूँगा।

मैं इन उन्नत प्राणियों के लिए उपयुक्त शरीर खोजना चाहता हूँ ताकि हम कुछ समय के लिए उनकी संगति में रह सकें।

उन्नत प्राणियों को मौजूदा शरीरों में डाउनलोड करने के बारे में, एक समूह जिसने गंभीर कोशिश की, वह थी थियोसोफिकल सोसाइटी। उन्होंने तंत्र के ज़रिए कोशिश की, लेकिन वे कभी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए क्योंकि वह बहुत भव्य योजना थी। वे एक बहुत जटिल प्राणी को उतारने की कोशिश कर रहे थे, जिसे सदियों से मैत्रेय कहा जाता रहा है। सैद्धांतिक तौर पर यह संभव है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर यह बहुत मुश्किल हो गया, इसलिए कभी संभव नहीं हो पाया। हम वैसा कुछ नहीं सोच रहे।

कुछ उन्नत प्राणियों के रहने के लिए शरीर पाना इतना मुश्किल क्यों है

कई उन्नत प्राणी लगातार एक शरीर पाने के लिए मेरे पीछे पड़े रहे हैं, क्योंकि वे काफी हद तक अपनी कर्म-संरचना खो चुके हैं, जिसका अर्थ है कि वे शरीर धारण नहीं कर सकते। शरीर अर्जित करने के लिए आपके पास पर्याप्त कर्म होने चाहिए। ये बहुत उन्नत प्राणी हैं, लेकिन अब भी उनके कुछ छोटे-मोटे बंधन हैं। मैं उन्हें उनके मौजूदा रूप में मुक्त कर सकता हूँ, लेकिन मैं इन उन्नत प्राणियों के लिए उपयुक्त शरीर खोजना चाहता हूँ ताकि हम कुछ समय के लिए उनकी संगति में रह सकें। ऐसे लोगों का होना दुनिया के लिए एक बड़ा वरदान होगा।

जब सद्‌गुरु ने अपने शरीर में कुछ प्राणियों को डाउनलोड किया

कुछ समय के लिए, मैंने अपने शरीर में कुछ उन्नत प्राणियों को रहने की जगह दी भी थी, जो विजी सहित उस समय मेरे आस-पास रहने वाले लोगों के लिए बहुत भ्रामक था। एक समय था जब मैं बस वहाँ बैठा रहता था, और जब वह पलटती थी, तो कोई और होता था। हमने ध्यानलिंग प्राणप्रतिष्ठा की तैयारी में कुछ समय के लिए ये चीज़ें की थीं।

भविष्य में कभी हम आपमें से कुछ लोगों के शरीरों में ऐसे कुछ प्राणियों को डाउनलोड कर सकते हैं। इस तरह की किसी चीज़ के लिए लोगों को ग्रहणशील बनाने के लिए ढेर सारी तैयारी और साधना की जरूरत होगी। उन्हें मजबूत होना चाहिए, लेकिन बहुत ज्यादा मजबूत भी नहीं। उन्हें कमज़ोर होना चाहिए, लेकिन ज्यादा कमज़ोर भी नहीं। हमें उस संतुलन को पाना होगा। इसके लिए साधना का एक अलग स्तर चाहिए।

उस प्राणी के साथ क्या होता है, जो पहले से शरीर में होता है

प्रश्नकर्ता: लेकिन उस प्राणी के साथ क्या होता है, जो पहले से शरीर में है? क्या वे अशरीरी प्राणियों की तरह इधर-उधर तैरते रहेंगे?

सद्‌गुरु: नहीं, ऐसा नहीं होता। अगर हम किसी उन्नत प्राणी को किसी के शरीर में लाते हैं, तो हम मौजूदा प्राणी को बाहर निकालकर उन्हें कहीं बाहर नहीं छोड़ सकते। हमें उन्हें विसर्जित करना होगा। इस मौजूदा प्राणी को विसर्जित करने और उन्नत प्राणी को शरीर में लाने के बीच एक सहज बदलाव होना चाहिए। वरना, प्राणी को विसर्जित करने के बाद शरीर नष्ट हो जाएगा। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए जबरदस्त ऊर्जा और अनुशासन का माहौल चाहिए।

उन्नत प्राणियों को मौजूदा शरीरों में डाउनलोड करने के बारे में, एक समूह जिसने गंभीर कोशिश की, वह थी थियोसोफिकल सोसाइटी।

ऐसी प्रक्रिया करने के लिए, रोड शो जैसी चीज़ों को बंद करना होगा, मुझे कुछ चीज़ें करने के लिए एक जगह स्थिर बैठना होगा, कहीं जम जाना होगा। आप सभी को भी इसके लिए अपने को तैयार करना होगा कि हम क्या चाहते हैं। अगर हम वाकई एक आत्मज्ञान की फैक्टरी स्थापित करना चाहते हैं, फिर हमें ढेर सारे लोग चाहिए जिन्हें अपने कल्याण की परवाह नहीं है। इसके लिए एक अलग किस्म की भागीदारी चाहिए।

यह सिर्फ प्रतिबद्धता का सवाल है

आम तौर पर लोग अपने लिए विकल्प खुले रखते हैं। अगर सुविधाजनक होगा, तो वे वहाँ रहेंगे, अगर असुविधा होने लगे, तो वे हमें बताए बिना गायब हो जाएंगे। लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। एक बार अगर मैंने शुरू कर दिया तो मैं उसके लिए प्रतिबद्ध हूँ, चाहे जो हो जाए। लोगों के एक ऐसे दल की जरूरत होगी, जो अपने लिए कोई विकल्प नहीं रखेंगे। वरना, सिर्फ मैं रह जाऊँगा। इसे संभव बनाने का कोई दूसरा तरीका नहीं है।

अगर आप विकल्प खुले रखना चाहते हैं, तो हम सिर्फ रोड शो करते रहेंगे, जैसा कि हम अभी कर रहे हैं – शहर-शहर जाना, उन्हें पानी न देना लेकिन आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए उन्हें थोड़ा और प्यासा बना देना। लेकिन अगर हम कोई जल स्रोत ही बना देना चाहते हैं, तो उसके लिए कुछ और चाहिए। अगर हर कोई एक अनुकूल माहौल बनाए, तो काफी कुछ हो सकता है, वरना बस थोड़ा बहुत ही हो पाएगा।

कितना कुछ होगा, यह अलग-अलग हालातों पर निर्भर करता है। अगर हमें खुद लोगों को तैयार करना पड़े, तो इसमें बहुत लंबा समय लगेगा, तो हमें ऐसे मकसद के लिए प्राणियों को आयात करना पड़ सकता है। लेकिन मेरे लिए, सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है, लोगों के दल को एक उच्चतर संभावना तक ले जाना।