महान अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी टॉम ब्रैडी और स्पोर्ट्सकास्टर जिम ग्रे ने हाल में सद्गुरु को अपने साप्ताहिक सिरियस एक्स एम रेडियो शो, ‘लेट्स गो’ पर आमंत्रित किया। खेलों में और जीवन में कामयाबी पाने के टॉम के नुस्ख़े के साथ जानिए खेल से परे उनके मूलभूत लक्ष्य के बारे में भी, और साथ ही यह भी कि सद्गुरु कौन से नए नज़रिए पेश कर रहे हैं।
टॉम ब्रैडी: यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि मेरे एक दोस्त, सद्गुरु, यहाँ आकर मेरे जीवन के बारे में बात करेंगे। आप जानते हैं कि मेरी उम्र थोड़ी ज्यादा हो गई है, लेकिन मैं अब भी एक बहुत ही गहन शारीरिक खेल से जुड़ा हूँ। मैं अपने शरीर से बहुत ज़्यादा जुड़ा हुआ हूँ – मसलन मैं देखता रहता हूँ कि मेरा शरीर कैसा महसूस करता है, अपने कैरियर के लिए उसे हर दिन तैयार रखने के लिए मुझे क्या करना चाहिए। साथ ही मेरी नौकरी के मानसिक पहलू भी हैं, जैसे यह जानना कि मुझे क्या करना है और उन चीज़ों को कैसे पूरा करना है। लेकिन सद्गुरु आपके बारे में मुझे जो चीज़ सबसे अच्छी लगती है – वह है आपके जीवन का भावनात्मक संतुलन। और यह भी कि आपके पास इतने सारे अनोखे नज़रिए हैं। मुझे लगता है कि आप कुछ मुश्किल विषयों पर भी अद्भुत तरीक़े से अपनी बात कह देते हैं।
सद्गुरु: मैं सिर्फ़ एक ही विषय – जीवन – की बात करता हूँ, कुछ और नहीं (हँसते हैं)।
टॉम ब्रैडी: बिल्कुल सही। मेरे ख्याल से निन्यानवे फीसदी लोग एक दिशा में जाते हैं और आप हमेशा दूसरी दिशा में एक अद्भुत दृष्टिकोण रखते हैं। पिछले डेढ़ साल में इस दुनिया में बहुत कुछ हुआ है और शायद आपने उन हालातों से निपटने के लिए सही नज़रिया ढूँढ लिया। मेरे ख्याल से आपके अंदर एक असाधारण मानवता और एक अद्भुत संकल्प है।
सद्गुरु: मुझे बुलाने के लिए धन्यवाद, जिम और टॉम।
जिम ग्रे: सद्गुरु, जीवन और खेल में नतीजों से, और अपने लक्ष्यों को हासिल न कर पाने से बहुत कुछ जुड़ा होता है। तो, जब आपने शारीरिक रूप से खुद को थका लिया हो और मन में निराशा आ जाए, तो आप उससे कैसे निपटते हैं?
सद्गुरु : आप दरअसल यह पूछना चाह रहे हैं कि ‘कब छोड़ देना चाहिए?’ मेरे ख्याल से आम तौर पर स्थितियां खुद ही साफ-साफ आपसे कहती हैं कि कब छोड़ देना चाहिए। आजकल हम लक्ष्य पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है - प्रक्रिया। अभी आप जो भी कर रहे हैं, उस प्रक्रिया के लिए समर्पित होना सबसे महत्वपूर्ण है।
अगर आप प्रक्रिया के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, तो आप उसे अपनी बेहतरीन क्षमता के साथ करेंगे। आप यह तय नहीं कर सकते कि विपक्षी कैसे खेलेंगे, आप यह तय नहीं कर सकते कि कोई हमसे बेहतर होगा या कमतर। आप सिर्फ यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं। इसके लिए आपको प्रक्रिया के प्रति समर्पित होना चाहिए, लक्ष्य के प्रति नहीं।
टॉम ब्रैडी: सद्गुरु, मेरे ख्याल से इस बारे में एक अद्भुत चीज़ यह है, जब मैं 22 सालों के अपने कैरियर को देखता हूँ, तो लगता है कि यात्रा और लक्ष्य को पाने की कोशिश का एक नतीजा है जीत।
प्रक्रिया में सुधार लाना आखिरकार महत्वपूर्ण होता है, और साथ ही न सिर्फ फुटबॉल टीम के लिए बल्कि परिवार या कंपनी या सफल कारोबार के लिए भी, जो चाहिए, उसके लिए एक बढ़िया प्रक्रिया जरूरी है। और मेरे विचार से जिज्ञासा, सीखना, विनम्रता, अनुशासन और एक-दूसरे के प्रति समर्पण तथा दूसरे की परवाह करने जैसे गुण, समूह के बीच आपके विस्तार और तालमेल की गुंजाइश पैदा करते हैं।
मेरे विचार से जो टीमें कुछ अच्छा नहीं कर पातीं, उनमें लोगों को खुद से मतलब होता है। मुझे लगता है कि खेलों में, परिवारों में या कारोबार में, अगर आप लोगों की परवाह करते हैं, और आप अपने मिशन को ध्यान में रखते हैं, तो आप बहुत बढ़िया टीममेट होते हैं। अगर नहीं, तो आप एक घटिया टीममेट हैं क्योंकि आपको बस खुद की परवाह है। मुझे जीवन के ऐसे पहलुओं की जानकारी नहीं है, जहां खुद की परवाह करने पर चीज़ें ठीक हो जाती हैं।
मैंने इस खेल में अपने सपनों को और कैरियर को हासिल किया है। हालाँकि फुटबॉल के अलावा मेरे दूसरे सपने भी हैं। मुझे लगता है कि अगर आप अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आपको अपने शरीर की देखभाल कैसे करनी है। भावनात्मक रूप से भी आपको खुद को बहुत अच्छी जगह रखना चाहिए, और यह ‘बहुत अच्छी जगह’ हर किसी के लिए अलग-अलग होती है। मुझे पता है कि मेरे लिए इसका क्या मतलब है।
सद्गुरु: हमारे पास ज़बरदस्त क्षमता, अद्भुत योग्यता, शायद अनोखी बुद्धि हो सकती है, लेकिन ये सभी चीज़ें हमारे खिलाफ काम करेंगी अगर हमारे पास जरूरी समभाव और संतुलन न हो – सबसे बढ़कर संतुलन। एक बार जब आपके अंदर संतुलन और समभाव होता है, तो आपकी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और बाकी सारी क्षमताएं पूरी तरह अभिव्यक्त होती हैं। संतुलन के बिना, काफी मानवीय रचनात्मकता, क्षमता और योग्यता बेकार हो जाती है, जो हमारे खुद के लिए और हमारे आस-पास हर किसी के लिए समस्या पैदा करती है।
जिम ग्रे: आंतरिक संतुलन से आपका क्या मतलब है, सद्गुरु?
सद्गुरु: आंतरिक संतुलन तभी आता है, जब सिर्फ़ आप यह तय करने लगते हैं कि आपके विचार और भावनाएं कैसी होंगी। कोई आपसे अच्छी बातें कर सकता है या आपको गाली दे सकता है, लेकिन क्या उससे तय होना चाहिए कि आपके अंदर क्या होता है? आप कभी भी सौ फ़ीसदी यह तय नहीं कर सकते कि आपके आस-पास क्या घटित होगा, अपने परिवार के साथ भी नहीं।
टॉम ब्रैडी: मैं नहीं तय करता। ठीक है, क्योंकि जो इक्यावन फीसदी तय कर सके वह भी अच्छा है, तो मैं उसे ही सारे फैसले करने देता हूँ।
सद्गुरु: हमारे आस-पास क्या होता है, वह कभी सौ फीसदी हमारे हिसाब से नहीं हो सकता, लेकिन जो हमारे भीतर है – हमारे विचार, हमारी भावनाएँ, हमारा शरीर और हमारी ऊर्जा – इन्हें हमारी मर्जी मुताबिक़ होना चाहिए। लोग हमेशा सोचते हैं कि बाहरी हालात से अंदर के हालात तैयार होते हैं। नहीं, सभी इंसानी अनुभव हमारे भीतर से ही पैदा होते हैं। शांत, प्रसन्न, प्रेममय और आनंदित होने के अनुभव इंसान के भीतर होते हैं। अगर हम अपने अनुभव के स्रोत को अपने हाथ में ले लें, फिर जो हम चाहें, वह हमारे अंदर होगा।
टॉम ब्रैडी: जब मैं अपने कैरियर को देखता हूँ, तो पाता हूँ कि ऐसा कोई नहीं है जो मेरी उम्र में मेरी पोजीशन पर खेला हो, और मेरे ख्याल से मैं सिर्फ इसीलिए यह कर पाया क्योंकि मैंने चीज़ों को अलग तरीके से किया। जब मैं छोटा था और अपने आदर्श लोगों को देखता था, तो मैंने देखा कि अपने जीवन के बाद के समय में वे कैसे थे, उनके शरीर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी क्योंकि हम जो काम करते हैं, वह बहुत शारीरिक मेहनत वाला होता है।
यह मेरा विश्वास है कि लोग वास्तव में स्वस्थ रहने के लिए मेहनत करना चाहते हैं और अपने शरीर की क्षमता को अधिकतम बनाना चाहते हैं, बस वे सही चीज़ें नहीं करते और जब मैं छोटा था, तो अपने शरीर की देखभाल करने की जो तकनीकें मुझे बताई गई थीं, वे बहुत सी गलत थीं। सभी विशेषज्ञ लोग, डॉक्टर और फिजिशियन गलत सलाह दे रहे थे। अगर मैंने उनकी बात सुनी होती, तो मैं कभी 44 साल की उम्र तक खेलना जारी नहीं रख पाता।
सद्गुरु: जब लोग सलाह देते हैं, तो आपको यह ज़रूर देखना चाहिए कि क्या यह ख़ुद उनके लिए कारगर हुआ है?
टॉम ब्रैडी: मै जानता हूँ और मेरे ख्याल से कई बार हम सिर्फ अपने व्यवहार दोहरा रहे होते हैं। जब मैं आपके जैसे किसी को देखता हूँ, आप व्यवहार नहीं दोहराते – आपके अंदर अपने बारे में चेतना है। चाहे वह पौधे लगाने का सवाल हो या मिट्टी में सुधार के प्रति लोगों को जागरूक बनाने का, आपके पास एक बड़ा लक्ष्य होता है और आप उसे पाने की हर संभव कोशिश करते हैं।
मेरा अपना व्यक्तिगत लक्ष्य है कि मैं लोगों को सिखा और समझा सकूँ कि अपने शरीर का सबसे बेहतर तरीके से ख्याल कैसे रखना है, ताकि वे अपने जीवन में जो भी करना चाहते हैं, उसके लिए सबसे बेहतर क्षमता पा सकें। क्योंकि मुझे लगता है कि अगर मैं यह नहीं करता, तो यह नष्ट हो जाएगा।
और मेरे ख्याल से इसीलिए मैं आपसे इतनी प्रेरणा लेता हूँ। आप संवाद बहुत अच्छा करते हैं, चाहे आप बड़े सम्मेलनों में बोल रहे हों या लोगों से बात कर रहे हों, जो शायद आप रोज़ाना करते हैं। आप सच में एक अद्भुत व्यक्ति हैं।
टॉम ब्रैडी: अच्छा सद्गुरु, मेरे पास एक आखिरी सवाल है, और यह मेरे लिए वाकई महत्वपूर्ण है। एक रहस्यवादी और दूरदर्शी के रूप में, क्या आप इस साल मेरी टीम को सुपर बॉल जीतते हुए देख रहे हैं?
सद्गुरु: (हँसते हैं) इस इंसान को देखो।
टॉम ब्रैडी: मैं मज़ाक कर रहा था।
सद्गुरु: मैं जीवन में कई चीज़ें करता हूँ, लेकिन मैं मैच फिक्सर नहीं हूँ (हँसी)। मैं आपका खेल देखने आऊँगा। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं, लेकिन मैं मैच को फिक्स नहीं करूँगा। यह अच्छा नहीं होगा।
टॉम ब्रैडी: बहुत बहुत धन्यवाद। हमें आपको वहाँ देखकर वाकई खुशी होगी।
सद्गुरु: उस दिन आपको बेहतरीन खेलना होगा क्योंकि मैं वहाँ रहूंगा।
टॉम ब्रैडी: मै जरूर खेलूँगा। मैं आपको निराश नहीं करूंगा।