फ्लर्टेशन भक्ति की तरफ कैसे ले जा सकता है? ध्यान और प्यार में एक जैसा क्या है? हम सच्ची और स्थायी संतुष्टि कैसे पा सकते हैं? थाइपूसम (18 जनवरी 2022) पर आखिरी ‘फुल मून फ्लर्टेशन’ सत्संग में, सद्गुरु ने इन सब के साथ और भी कई सवालों के जवाब दिए।
सद्गुरु : योग या अष्टांग योग के आठ अंगों में से, आखिरी तीन अंग हैं धारणा, ध्यान और समाधि - जब आप इन्हें जागरूकता के साथ करते हैं। लेकिन उन्हीं पहलुओं को अगर आप भावनाओं के साथ करते हैं, तो ये बन जाते हैं - फ्लर्टेशन, प्रेम संबंध और भक्ति। धारणा का अर्थ है कि दो चीज़ें हैं और दोनों के बीच एक सक्रिय आदान-प्रदान है। जब आप फ्लर्ट करते हैं तो आपको सावधान रहना पड़ता है कि आप क्या कहते हैं, आपका हाव-भाव कैसा है, और आप कैसे उठते-बैठते हैं। सब कुछ हिसाब से होना चाहिए क्योंकि एक गलत कदम, और सब खत्म। आम तौर पर फ्लर्टेशन छोटे समय का होता है क्योंकि कोई न कोई गलत कदम उठा ही लेता है।
प्रेम संबंध ज्यादा स्थायी होता है और उसमें कम नियम और शर्तें होती हैं। वह ध्यान की तरह होता है। एक, दूसरे में विलीन हो जाता है। जो दो थे, वे एक हो गए हैं। अगर भावना के स्तर पर ऐसा होता है, तो हम इसे प्रेम कहते हैं। ध्यान का मतलब नाज़ुक हो जाना भी है, जो प्रेम संबंध के मामले में भी सच है। इसमें कोई सुरक्षा नहीं होती क्योंकि आप नाज़ुक और पूरी तरह उपलब्ध होते हैं। आप दूसरे की समझदारी पर निर्भर होते हैं। मिलन का आनंद तो होता है, लेकिन किसी के अपने ऊपर हावी हो जाने का दर्द भी होता है। अधिकांश प्रेमी सिर्फ शुरू में ही आनंदित होते हैं। बाद में वह कई मायनों में पीड़ा का सुख होता
समाधि का अर्थ है कि दोनों विलीन हो गए हैं। यही भक्ति के विषय में भी सच है। आपके अनुभव का आधार और आप जो भी हैं, उसका आधार आप खुद हैं, दूसरा नहीं। अगर आप इसे विसर्जित कर देते हैं, तो सब कुछ विसर्जित हो जाता है। दूसरा भी विलीन हो जाता है। सब कुछ एक हो जाता है।
जब लोग प्यार से भक्ति की तरह बढ़ते हैं, तो अचानक वे पागल लगने लगते हैं। आपको यहाँ ईशा योग केंद्र में ढेर सारे ‘पागल’ दिखेंगे। चाहे आप उनसे सप्ताह के सातों दिन, दिन-रात काम करवाएं, वे फिर भी खुश रहते हैं। यह भक्ति की प्रकृति है। अब बाहरी चीज़ों से यह तय नहीं होता कि आप कौन हैं। जीवन का लेन-देन यह तय नहीं करता कि आप क्या हैं। तो, बारह महीने का फ्लर्टेशन काफी है। ऐसा नहीं है कि मैं आपके साथ फ्लर्ट कर रहा था। चाहे मैं आपको जानता हूँ या नहीं, चाहे मैंने आपका चेहरा देखा हो या नहीं, मैं आपके लिए समर्पित हूँ। मेरा पूरा जीवन आपके लिए है। यह तो आप हैं, जो मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे थे।
अब फ्लर्टेशन को छोड़कर जीवन के अगले चरणों की तरफ बढ़ने की जरूरत है, जो हो सकता है ज्यादा जोखिम भरे हों, लेकिन ज्यादा गहन होंगे। जीवन की यह गहनता ऊपरी परत को जोखिम में डाले बिना नहीं आएगी। यही जीवन की प्रकृति है। कुछ गहन घटित होने के लिए, आपको अपने सिर के चारों ओर प्रभामंडल उगाने की जरूरत नहीं है, न ही आपको विशेष होने की जरूरत है। आपको बस इंसान होना चाहिए। आपका जीवन आपके शरीर और मन के ढांचे तक सीमित नहीं है – वह हर जगह है। अगर आप अपना मुंह बंद करके अपनी नाक दो मिनट तक दबा लें तो आपको समझ में आ जाएगा कि जीवन कहीं बड़े तरीके से घटित हो रहा है। अगर आप यहाँ सिर्फ जीवन के रूप में मौजूद हों, तो गहन चीज़ें घटित होंगी।
योग में, उत्तरायण को कैवल्य पद के नाम से जाना जाता है। उत्तरी गोलार्ध में, खासकर मकर संक्रांति या पोंगल के बाद से, जीवन उल्लासमय हो जाता है और अनजाने में मनुष्य भी। अगर वे सचेतन हों, तो यह बहुत शानदार तरीके से होगा। जब पृथ्वी के साथ चीज़ें होती हैं, तो वे आपके साथ और भी ज्यादा होंगी क्योंकि आप धरती का सबसे संवेदनशील हिस्सा हैं। आप वास्तव में एक सुंदर फूल से ज्यादा संवेदनशील हैं। आप इसका अनुभव इसलिए नहीं करते क्योंकि आपको मानसिक दस्त हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी हमारी शिक्षा प्रणाली सिर्फ बुद्धि पर जोर देती है। जबकि हमारे अंदर बुद्धिमत्ता के अलग-अलग आयाम हैं।
जब मैं करीब उन्नीस साल का था और मेरे पिता मुझे डॉक्टर बनाने के लिए लगभग हार मान चुके थे, तो मुझे बंगलौर भेज दिया गया जहां मेरे परिवार के कुछ लोग सिल्क उद्योग से जुड़े थे – बुनना, रंगना, प्रिंट करना और तमाम चीज़ें। उन्हें उम्मीद थी कि मुझे वह पसंद आएगा।
मैं हर चीज़ पर गौर करता हूँ, इसलिए मैं उस जगह गया जहाँ वे हाथ से सिल्क की बुनाई कर रहे थे। वहाँ शायद एक अनपढ़ लड़का हथकरघे पर काम कर रहा था। मेरे अंदर देखने की बहुत गहरी समझ है, लेकिन मैं बस वहाँ बैठकर यह जानने की कोशिश करने लगा कि वह क्या कर रहा है। जब वह काम कर रहा था, तो पहले कपड़े पर एक फूल उभरा, फिर एक मोर और फिर एक तोता। कहीं कोई प्रिंटेड डिजाइन नहीं था, कोई कागज या कंप्यूटर नहीं। बस यूँ ही वह लड़का सटीक ज्यामिति में पैटर्न उभार रहा था।
तो विचार एकमात्र बुद्धिमत्ता नहीं है। विचार एक आदिम बुद्धिमत्ता है क्योंकि वह पूरी तरह उन सीमित आंकड़ों पर निर्भर है, जो आपने इकट्ठा कर रखा है। उन्हीं आँकड़ों को अलग-अलग तरह से तोड़-मरोड़कर आपको लगता है कि आप जीवन के नए आयामों में जा रहे हैं, लेकिन असल में आप उन्हीं चीज़ों को सिर्फ रिसाइकिल कर रहे हैं। किसी भी भौतिक चीज़ के मामले में रिसाइकिलिंग अच्छी चीज़ है क्योंकि जीवन के सभी भौतिक पहलू सीमित हैं। लेकिन मनुष्य होने का अर्थ है कि आप भौतिक से कुछ ज्यादा हैं। उस आयाम को रिसाइकिल करने की जरूरत नहीं है। आपको अपने जीवन के हर क्षण में एक नया क़दम रखना चाहिए।
अगर आप रिसाइकिल करते हैं, तो इसका मतलब है कि आप एक ठहरा हुआ जीवन हो गए हैं। जब आप ठहर जाते हैं, तो आपसे दुर्गंध आने लगती है। एक ही चीज़ को बार-बार करने से आपको कभी पूर्णता नहीं मिलेगी। किसी शिखर पर पहुँच जाने से आपको पूर्णता नहीं मिलेगी, पूर्णता आपको तब मिलेगी जब आप लगातार नए इलाकों में कदम रखेंगे। अंग्रेजी शब्द ‘फुलफिलमेंट’ गलत अर्थ दे सकता है। हिंदी में इसे कहते हैं – धन्य होना। धन्य का यह अर्थ नहीं है कि आपने किसी ऊँचाई को छू लिया है, इसका बस यह अर्थ है कि आप सीमाओं से मुक्त हो गए हैं। आप धन्य हैं अगर आप लगातार विकास कर रहे हैं, इसलिए नहीं क्योंकि आप एक जगह पर पहुँचकर रुक गए हैं।
हर भौतिक चीज़ सीमित होती है। भौतिक की यही प्रकृति है। मैं सिर्फ आपके शरीर की बात नहीं कर रहा। आप जो कुछ भी संभालते हैं, वह भौतिक है। उसे हमेशा कम से कम रखना और रिसाइकिल करना समझदारी है। लेकिन जब बात चेतना की आती है, तो वह रिसाइकिल करने की चीज़ नहीं है – वह एक सतत खोज है। अगर आप हर क्षण नए क्षेत्र में कदम रखते हैं, फिर आप पूर्ण हो जाते हैं।