नवंबर 2022

सागर बहुत दूर नहीं

जैसे भागती है नदी 

सागर की ओर,

वैसे ही भागता है इंसान

 अनजाने में 
परम-तत्व की ओर।

हर वो चीज़, 

जो बंधी है किसी शरीर की सीमा में,
बढ़ती चली जा रही है, 

असीम की ओर 
जैसे नहीं रोक सकता,

एक ऊदबिलाव, नदी की धारा को
वैसे ही नहीं रोक सकती,
आपकी अज्ञानता जीवन के प्रवाह को, 
शरीर की सीमाओं से
असीम प्रकृति की ओर 

प्रवाहित होने से।

सवाल ये नहीं है,
कि आप पहुंचेंगे या नहीं,
सवाल बस है ये  
कि कब और कैसे ।
अगर आपमें है झरने सी शीघ्रता
और पहाड़ों सी एकनिष्ठता 

तो सागर कभी बहुत दूर नहीं होता।

- सद्‌गुरु

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