ईशा योग केंद्र में आश्रमवासियों एवं स्वयंसेवकों के साथ हुई एक निजी सभा में सद्गुरु ने समझाया कि कैसे इस स्थान का उपयोग करके ख़ुद को कृपा में डुबाकर चरम संभावना तक पहुँचने के लिए तैयार किया जाए। उन्होंने इस मार्ग में आमतौर पर आने वाली बाधाओं और उनसे निपटने के तरीकों की ओर भी संकेत किया।
सद्गुरु: गुरु कोई व्यक्ति नहीं होता है। उसका व्यक्तित्व दरअसल एक बाधा है। अगर आप किसी के व्यक्तित्व को देखें तो पाएंगे कि उसमें कुछ चीज़ें आपको पसंद हैं और कुछ नहीं। कुछ चीज़ों से आप प्रेम करते हैं और कुछ चीजों से नफरत। अपनी इन सीमाओं के ऊपर उठकर विकसित होने के लिए यहाँ जो साधना सिखाई जाती है, और उससे भी बढ़कर यहाँ जो ऊर्जा-स्थान तैयार किया गया है, वही इसकी कुंजी है। अगर आप अपनी साधना ठीक से नहीं करें, न ही इस स्थान और अपने कार्य के प्रति समर्पित रहें तो परेशानी होगी।
जो ऊर्जा-भंडार यहाँ पर है, यदि आप उनके संपर्क में आ सकें तो आपके जीवन की बुनियादी प्रक्रिया, यहाँ तक कि जीवन की शारीरिक प्रक्रिया, रोग और आयु के असर को भी कई तरीक़ों से बदला जा सकता है। रोग, बुढ़ापा और मृत्यु जीवन के विकास का हिस्सा हैं। कोई भी उसे पूरी तरह से टाल नहीं सकता। आपकी मृत्यु निश्चित है, और ये एक अच्छी बात है। जो लोग अपनी ज़िंदगी को पूरी तरह से नहीं जीते, उनके साथ ऐसा हमेशा होता है कि वे अपनी ज़िंदगी में हर पल भय, चिंता, ईर्ष्या या नफरत से मरते रहते हैं। अगर आपके जीवन और मृत्यु में बड़ा अंतर है तो इसका मतलब है कि आपने अपना जीवन भरपूर जिया है।
इस स्थान को अपने भीतर समा लेने, इसका हिस्सा हो जाने में, अगर कुछ बाधक है, तो वह है आपका हमेशा अपनी कमियों को छिपाते रहने की कोशिश करना। आप अगर हैं कुछ और, लेकिन खुद को कुछ और ही दिखाने की कोशिश करते हैं, तो इसमें बहुत सारा जीवन व्यर्थ हो जाता है। ये ठीक नहीं है।
एक आसान चीज़ जो आप कर सकते हैं वो ये कि हर चीज़ को, पेड़, घास का तिनका, बादल, पत्थर, दीवार, स्त्री, पुरुष, बच्चे और हर प्राणी को, आप ऐसे देखें जैसे आप सद्गुरु को देखते हैं। ये सभी अच्छी तरह धड़क रहे हैं। हर चीज को बस उसी भाव से देखें। जब आप पेड़ को देखें, ऐसे देखें मानो सद्गुरु सामने खड़े हैं। जब आप किसी पत्थर को देखें, ऐसे देखें मानो सद्गुरु वहाँ खड़े हैं। तभी आप इस ऊर्जा को अपने भीतर महसूस कर सकते हैं। नहीं तो, आप हर चीज़ से अछूते रहेंगे। अगर आप अपनी कमियों को छिपाने में ही लगे रहे तो, हर संभावना से वंचित रह जाएंगे।
एक बूढ़ा किसान था जिसके पास एक बूढ़ा गधा था। एक दिन वह गधा एक सूखे कुएँ में गिर गया। वह बाहर आने के लिए चीत्कार करने लगा। किसान ने कुएं में झाँककर देखा कि ये गधा कुएँ में गिर गया है और अब उसे बाहर निकालने के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा। उसने सोचा, ‘इस गधे को बाहर निकालने की जरूरत क्या है? वैसे भी, एक दो साल में वो मर जाएगा। ये किसी काम का तो है नहीं।’ ये सोचकर उसने अपने पड़ोसी को बुलाया और कहा, ‘चलो इस कुएँ को भर देते हैं क्योंकि वैसे भी ये सूखा है।’ सब लोग फावड़ा लाकर कुएँ को मिट्टी से भरने लगे। घबराया हुआ गधा बाहर आने के लिए और ज्यादा चीत्कार करने लगा। लेकिन वो लोग कुआँ भरते रहे।
कुछ समय बाद, उस गधे ने अचानक चीत्कार करना बंद कर दिया और एक आश्चर्यजनक और समझदारी भरा काम करने लगा। हर बार जब एक फावड़ा मिट्टी उस पर पड़ती तो वो उसे नीचे झाड़कर उसके उपर चढ़ जाता। आखिरकार वह बाहर आ गया। सब उसकी तारीफ करने लगे। बूढ़े किसान ने अचानक गर्व महसूस किया और बोला, ‘देखो मेरा गधा कितना समझदार है!’ और उसने उसको थपथपाने की कोशिश की। गधा एकाएक पीछे घूमा और उसके मुँह पर दुलत्ती मारी। इस कहानी का सार ये है कि अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश मत कीजिए, क्योंकि ये बाद में पलटकर आपके मुँह पर लगेंगी।
जब भीतर की यात्रा की बात आती है तो कोई आपके साथ नहीं आ सकता। अगर आप बाहर की यात्रा करना चाहते हैं, तो कोई आपके साथ चल सकता है, आपका हाथ थाम सकता है, आपको उठाकर चल सकता है। लेकिन अगर आप अंदर की ओर जाना चाहते हैं, तो वहाँ केवल एक व्यक्ति का ही प्रवेश संभव है- केवल आपका। जब आप भीतर की यात्रा प्रारंभ करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण है कि आप जो भी संभव हो वो करें। कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका आपको पता तक नहीं है- वो मैं करूँगा। आपके अंदर कुछ ऐसे बंधन हैं जिनका आपको आभास भी नहीं है। जिन चीजों के बारे में आप जागरूक ही नहीं है, आप उनको नहीं संभाल सकते। लेकिन जिन चीज़ों के प्रति आप जागरूक हैं, उन्हें आपको ज़रूर संभालना चाहिए - कोई और उसे नहीं संभाल सकता है।
आप बीमारी का बहाना बनाकर अपना काम किसी और को सौंप सकते हैं, लेकिन जो भी साधना आपको करनी है अगर वो आप किसी और को सौंपते हैं तो आप खुद बीमार पड़ जाएंगे। एक व्यक्ति को बिल्कुल नई संभावना में खिलने के लिए जिस भी चीज़ की जरूरत है, वो सब यहाँ मौजूद है। आवश्यक निर्देश, ऊर्जा, प्रोत्साहन और वातावरण, सब कुछ यहाँ हैं – ज़रूरत है केवल आपको यहाँ होने की।