घटना क्रम

सद्‌गुरु के साथ एक सफ़र

पिछले महीने की गतिविधियाँ

सद्‌गुरु और कुनाल नय्यर के बीच बातचीत

22
मई

‘द बिग बैंग थ्‍योरी’ से प्रसिद्ध कुणाल नय्यर लॉस एंजेलेस में सद्‌गुरु से मिले। यह बातचीत सद्‌गुरु की नई किताब – ‘कर्म’ के विषय के इर्द-गिर्द घूमती रही। सद्‌गुरु ने समझाया कि कर्म सबसे बड़ा सशक्तिकरण है, और सचेतन होकर उसे संभालने से व्‍यक्ति बिना किसी उलझाव के पूर्ण भागीदारी का जीवन जी सकता है।

सद्‌गुरु के संग - पूर्णिमा सत्संग

26
मई

एक सुंदर प्राकृतिक स्‍थल चैट्सवर्थ (कैलिफोर्निया), सद्‌गुरु के साथ एक विशेष ऑनलाइन सत्‍संग का साक्षी बना जो बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आयोजित किया गया। सद्‌गुरु ने गौतम बुद्ध के महत्‍व के बारे में बात की और प्रतिभागियों को एक शक्तिशाली ध्‍यान प्रक्रिया करवाई।

विशेन लखियानी के साथ माइंडवैली पॉडकास्ट

10
जून

शिक्षा प्रौद्योगिकी की कंपनी माइंडवैली के संस्‍थापक और सी.ई.ओ., विशेन लखियानी एक लेखक, उद्यमी और मोटिवेशनल वक्‍ता हैं। विचारों के एक स्‍वतंत्र और निर्भीक आदान-प्रदान में, विशेन ने सद्‌गुरु के साथ समाज में रूढिवादिता, वैयक्तिकता का भ्रम और कर्म की पश्चिमी अवधारणा सहित कई विषयों पर बातचीत की।

मानव एक संसाधन नहीं है

11
जून

‘मानव एक संसाधन नहीं है’ सद्‌गुरु द्वारा तैयार किया गया एक अनोखा कार्यक्रम है, जो मानव-संसाधन-प्रबंधन (ह्यूमन रीसॉर्स मैनेजमेंट) के प्रति पारंपरिक दृष्टिकोण को खारिज करता है। इस कार्यक्रम में उद्यमियों ने जोशपूर्वक भाग लिया और इसके विभिन्‍न सत्रों में उद्योगपतियों ने महत्‍वपूर्ण व्‍यावहारिक ज्ञान और विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान किया। सद्‌गुरु ने एक सत्र आयोजित किया, जहाँ उन्‍होंने कारोबारों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव और ग्रामीण भारत की कम उपयोग में लाई गई क्षमता की बात की। दो घंटे के सत्र में एक प्रश्‍नोत्‍तर सत्र भी था, जिसमें प्रतिभागियों ने सद्‌गुरु से मार्गदर्शन हासिल किया।

‘इंडिया@75’ – मानवता के कल्याण के लिए स्वास्थ्य

11
जून

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और जेनेवा में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने संयुक्त रूप से भारत के आगामी 75वें स्वतंत्रता दिवस के लिए समारोहों की एक श्रृंखला के रूप में यह वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया। अपने मुख्य भाषण में, सद्‌गुरु ने इस बात पर जोर दिया कि योग मानव स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रश्नोत्तर सत्र में स्वास्थ्य की संस्कृति विकसित करने, योग और आयुर्वेद के रहस्यों को दूर करने, महामारी को एक चेतावनी समझने और एक आनंदमय जीवन जीने की जरूरत, जैसे विषयों पर बात की गई।

पेरिस हिल्टन ने अपने पॉडकास्ट ‘दिस इज पेरिस’ के लिए सद्‌गुरु का इंटरव्यू किया

14
जून

पेरिस हिल्टन एक सफल बिजनेसवुमेन, मीडिया शख्सियत, समाजसेवी, मॉडल, गायिका, अभिनेत्री और डीजे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उनके 4 करोड़ फॉलोवर हैं। आध्यात्मिक गुरु के साथ उनका संवाद एक नए दर्शक वर्ग से सद्‌गुरु का परिचय कराने का एक अनूठा तरीका था। पेरिस ने सद्‌गुरु से गुरु होने का अर्थ, इस क्षण में जीने और ‘कर्म’ शब्द को लेकर गलतफहमियों पर बात की।

मरुस्थलीकरण और सूखे से लड़ने के लिए यू.एन.सी.सी.डी. वर्ल्ड डे

17
जून

यह ग्लोबल ऑनलाइन कार्यक्रम, मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस के अवसर पर मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन द्वारा आयोजित किया गया था। सद्‌गुरु ने मरुस्थलीकरण की समस्या को एक अनोखे संदर्भ में पेश करते हुए यह समझाया कि हम जिस शरीर को धारण करते हैं, वह वही मिट्टी है, जिस पर हम चलते है और हमारी मिट्टी जितनी अच्छी होगी, हमारे शरीर उतने ही मजबूत होंगे। उन्होंने सभी से भावी पीढ़ियों के लिए मिट्टी को समृद्ध और उपजाऊ बनाने की दिशा में प्रयास करने का आग्रह किया।


आनंद अलै: आनंद की ऑनलाइन लहर पूरे तमिलनाडु में फैली

25-29
जून

‘आनंद अलै’, सद्‌गुरु द्वारा 2011 में आयोजित मेगा कार्यक्रमों की एक श्रृंखला थी, जिसका मक़सद तमिलनाडु में हर किसी को आध्‍यात्मिकता की कम से कम एक बूँद प्रदान करना था। दस साल पहले राज्‍य में फैली आनंद की लहर को हाल में एक ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स से बूस्‍टर खुराक मिली, जिसमें निर्देशित शांभवी महामुद्रा क्रिया, अलग-अलग विषयों पर सद्‌गुरु की प्रभावशाली वार्ताऍं और इनर इंजीनियरिंग टूल्‍स पर एक गहन नज़र शामिल थी। 

इसे जबर्दस्‍त रेस्पांस मिला और पॉंच दिन की कक्षा के लिए लगभग 11,000 लोगों ने पंजीकरण कराया। कई प्रतिभागियों ने साझा किया कि कैसे इस कार्यक्रम ने उनके अंदर आंतरिक रूपांतरण की लौ को फिर से जगा दिया, और यह महामारी के दौरान कितना काम आया।    

निकट भविष्‍य में दूसरी भाषाओं में भी ऐसे ही ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स की योजना बनाई जा रही है।

एक प्रतिभागी ने साझा किया: 

सिर्फ इस जगह होना और फिर से सद्‌गुरु को सुनना किसी ताले को खोलने जैसा है, हर बार लगभग भीतर से सफाई जैसा। मुझे बस इसी की जरूरत थी। मैं हर उस स्‍वयंसेवी को प्रणाम करता हूँ, जिसने इसे संभव बनाया।

हे गुरु

मेरे अंदर जो दीया जलाया था आपने

उसे छोड़ दिया मैंने हवा में 

अंधेरा घिरा और जीवन धुँधलाने लगा

फिर भी लौ नहीं बुझने दी आपने

तेज़ आँधी में भी।

अब फिर से जला है यह दीया 

कितना ढीठ मूर्ख हूँ मैं

कि अपने हाथ में लेना चाहता हूँ इसे

काश यह दीया जलता रहे हमेशा के लिए

  • राजशेखर, चेन्‍नई