ये कार्यक्रम लोगों के जीवन को समृद्ध कैसे बना सकते हैं?
राधे: मेरे ख्याल से शास्त्रीय संगीत, नृत्य और यहाँ तक कि मंत्रों को भी पहले कभी इस प्रकार से नहीं सिखाया गया है। अगर आप शास्त्रीय संगीतकार बनना चाहते हैं, तो सिर्फ बुनियादी बातों पर भी महारत हासिल करने में कई, कई साल लग जाते हैं। चाहे आप महान संगीतकार बनने न जा रहे हों, लेकिन अगर आप कुछ भक्ति गीत भी सीखना चाहते हैं या कोई धुन गुनगुनाना चाहते हैं, तो यह प्रोजेक्ट संस्कृति कुछ शुरुआती कदम उठाने का एक मौका देगी।
फिलहाल, यह सिर्फ लोगों को बताने के लिए है कि यह एक खूबसूरत चीज़ है जो उनके रोजमर्रा के जीवन का एक हिस्सा बन सकती है। कला को एक संस्कृति के रूप में हर किसी के रोजमर्रा के जीवन में शामिल होना चाहिए। आजकल बहुत कम लोग इन शास्त्रीय कलाओं में दिलचस्पी रखते हैं, बहुत कम लोग ऐसे हैं जो सुनना चाहते हैं और जो ध्यान दे सकते हैं। और शास्त्रीय कलाओं की प्रकृति ऐसी है कि आपको ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।
ये बच्चे ध्यान दे सकते हैं। वे जिस तरह बैठते और उठते हैं, वह भी दूसरों से बहुत अलग होता है। क्योंकि उन्हें बहुत छोटी उम्र से सिखाया गया है, इसलिए उनके अंदर इसे दूसरों से जोड़ने की क्षमता भी है। इसलिए, प्रोजेक्ट संस्कृति इन सभी सांस्कृतिक पहलुओं को, जो उनके बड़े होने के दौरान उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा रहा है, हर किसी के दैनिक जीवन का एक छोटा सा हिस्सा बनाने का एक तरीका है।