चर्चा में

प्रोजेक्ट संस्कृति: ईशा संस्कृति की अनूठी दुनिया का एक परिचय

राधे जग्गी, जो खुद एक दक्ष भरतनाट्यम नर्तकी हैं, ईशा संस्कृति के विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाइन चलाए जाने वाले नए रोमांचक प्रोजेक्ट – ‘प्रोजेक्ट संस्कृति’ पर नौ सवालों के जवाब दे रही हैं।

राधे जग्गी

प्रोजेक्ट संस्कृति क्या है?

राधे: प्रोजेक्ट संस्कृति से ईशा संस्कृति को खुद को व्यक्त करने का एक माध्यम मिला है। हमारे पास डांसर, परफॉर्मर, योगाभ्यासी, संगीतकार और कलरी[1] के विद्यार्थी हैं। जब ये बच्चे छह या सात की उम्र से ईशा संस्कृति में आते हैं, उनकी जीवन शैली एकदम अलग हो जाती है। उनका पालन-पोषण और एक्सपोज़र सामान्य स्कूलों के बच्चों से अलग होता है। इसलिए, प्रोजेक्ट संस्कृति उनके लिए उन सारी चीज़ों को व्यक्त करने का एक तरीका है, जो उन्होंने सीखी हैं।  

[1] कलारिपयाट्टू, एक प्राचीन दक्षिण भारतीय युद्ध कला

प्रोजेक्ट संस्कृति की पहली पेशकश क्या है?

राधे: फिलहाल हम ऑनलाइन पेशकश से शुरुआत कर रहे हैं। सबसे पहला मॉड्यूल एक मंत्र मॉड्यूल है, जहाँ संस्कृति के बच्चे मंत्र सिखाएँगे। वे उसे इस तरह सिखाएँगे, जैसे हम कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यह सिर्फ शब्दों को सीखने के बारे में नहीं है। बाहर कई लोग मंत्रों या भजन की कक्षाओं में जाते हैं और वे सिर्फ भजन सीखकर वापस आते हैं। लेकिन हमारी मंत्र कक्षाएँ जिस तरह से तैयार की गई हैं, उसमें हम यह भी शामिल करते हैं कि ध्वनि के प्रभाव के बारे में सद्‌गुरु का क्या कहना है, उस मंत्र की गुणवत्ता और साथ में यह भी बताते हैं कि एक मंत्र अलग-अलग रूपों में आपकी साधना पर कैसे असर डाल सकता है। 

संस्कृति के बच्चे बहुत छोटी उम्र से यह करते आ रहे हैं। वे सिर्फ अपनी कक्षा में मंत्र नहीं पढ़ते, बल्कि कुछ गतिविधियाँ करते समय भी ऐसा करते हैं। इसलिए, यह उनके सिस्टम का एक हिस्सा और उनके लिए एक कुदरती चीज़ बन गई है।

ईशा संस्कृति के विद्यार्थी इसे पढ़ाने में इतने सक्षम क्यों हैं?

राधे: ऐसा कुछ तो उनके अनुभव की वजह से है, और कुछ इस कारण से है क्योंकि वे संस्कृत समझते हैं। वे उच्चारण में अंतर कर सकते हैं, और उसके अर्थ को समझते भी हैं -  अनुभव के आधार पर भी और पढ़ाई के आधार पर भी। इसलिए, अभी हम मंत्र मॉड्यूल से शुरुआत कर रहे हैं। उसके बाद, हम छोटे-छोटे भक्ति गीत सिखाना शुरू करेंगे, कुछ गीत जो आम हैं, शायद कुछ ऐसा जिससे ईशा साधक परिचित हों। और धीरे-धीरे, हम उसमें विस्तार लाना शुरू करेंगे ताकि लोग शास्त्रीय संगीत, नृत्य और शायद शास्त्रीय कलरी भी सीख सकें।

क्या हमें ईशा संस्कृति की कुछ शानदार प्रस्तुतियाँ देखने को भी मिलेंगी?

राधे: प्रोजेक्ट संस्कृति का एक परफार्मेंस विंग भी है। वे जो भी प्रस्तुतियाँ देते हैं, महाशिवरात्रि और यक्ष पर जो शानदार प्रदर्शन करते हैं, वह भी इसका एक हिस्सा होगा। परफार्मेंस कंपनी को कई चीज़ों की जरूरत पड़ती है, जैसे जगह की। वे कई चीज़ें तैयार करेंगे – कलरी, संगीत, नृत्य और कुछ नाट्य प्रस्तुतियों के साथ प्रदर्शन होगा। हम यह पक्का करना चाहते हैं कि वे चाहे जो भी करें, उनके पास खुद को व्यक्त करने के लिए एक मंच हो। 

हम ईशा संस्कृति के विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क रहते हैं क्योंकि उन्हें कुछ अलग तरीके से बड़ा किया गया है और हम इस बारे में सतर्क रहना चाहते हैं कि उन तक किसकी पहुँच है। हमारे पास शानदार संगीतकार और डांसर हैं जो आकर सिखाते हैं, लेकिन आम जनता की उन तक पहुँच नहीं है। यह सही भी है क्योंकि वे बहुत छोटे हैं। तो, यह तरीक़ा है जिससे इन बच्चों के जीवन के कुछ पहलुओं में जनता, हमारे ईशा साधक और जिनकी भी इच्छा हो, उन सबको शामिल किया जा सकता है।

कैसे हम ईशा संस्कृति की एक झलक पा सकते हैं?

राधे: हमारे पुराने विद्यार्थी यह साझा करेंगे कि ईशा संस्कृति में बड़े होने का अनुभव कैसा था। उनके अनुभव काफी अनूठे हैं क्योंकि चाहे वे अठारह साल के हों, वे ऐसे व्यक्ति की तरह अपने अनुभव साझा करते हैं जो लंबे समय से साधना करता रहा है, यह देखना बहुत अद्भुत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी साधना एक दैनिक प्रक्रिया है। यह कुछ ऐसा है, जो वे बचपन से करते आ रहे हैं और यह उनका एक हिस्सा बन चुका है।

ईशा संस्कृति में आपकी भागीदारी क्या है?

राधे: मैं हमेशा से संस्कृति के बच्चों के साथ काम करना चाहती थी लेकिन हाल तक कई कारणों से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था। अपने कैरियर की वजह से मैं यात्राओं और डांस में व्यस्त रहती हूँ और कुछ समय पहले मैं कावेरी कॉलिंग से भी जुड़ गई। तो, मुझे कभी संस्कृति में पर्याप्त समय देने का मौका नहीं मिला। पिछले साल, लॉकडाउन के कारण, मैंने कुछ महीने संस्कृति के एक बैच को पढ़ाया। वहाँ से मैं धीरे-धीरे ज्यादा जुड़ने लगी, जैसा कि आश्रम में लोग करते हैं।

विद्यार्थियों के लिए इस विश्वस्तरीय मंच पर आने का क्या अर्थ होगा?

राधे: मैं आशा करती हूँ कि जब बच्चे ये प्रोग्राम करेंगे, तो लोग यह देख पाएँगे कि ये बच्चे क्या कुछ करने में सक्षम हैं। वे बहुत कुछ करने में सक्षम हैं। यह लोगों के लिए उनसे और अधिक जुड़ने का एक तरीका है। क्योंकि अब, जबकि इन विद्यार्थियों का ईशा संस्कृति में समय पूरा होने वाला है, उन्हें अपना बाकी का जीवन बनाने के लिए कुछ सहयोग की जरूरत पड़ेगी। 

मान लीजिए, उनमें से कुछ एकल कलाकार बनना चाहते हैं। हमें उन्हें एक मंच उपलब्ध कराना होगा, जहाँ उन्हें पर्याप्त एक्सपोज़र मिले। और वे कुछ जिम्मेदारी भी ले पाएँगे। अगर वे कुछ खास लोगों के अधीन सीखना चाहते हैं, तो ईशा संस्कृति उनके लिए गुरु ढूँढ़ने में मदद करेगी। अगर वे शिक्षक बनना चाहते हैं, तो प्रोजेक्ट संस्कृति में वे शिक्षक बन सकते हैं। अगर वे हमारे साथ कलाकार बनना चाहते हैं, तो वे प्रोजेक्ट संस्कृति के एक हिस्से के रूप में बनने वाली परफार्मेंस कंपनी में प्रदर्शन कर सकते हैं।

तो प्रोजेक्ट संस्कृति, ईशा संस्कृति के विद्यार्थियों के लिए एक गैप को भरने का एक तरीका है। क्योंकि जब तक वे बाहर जाकर अपने दम पर कुछ करने लायक न हो जाएँ, तब तक इससे उन्हें समर्थन मिलेगा।

ये कार्यक्रम लोगों के जीवन को समृद्ध कैसे बना सकते हैं?

राधे: मेरे ख्याल से शास्त्रीय संगीत, नृत्य और यहाँ तक कि मंत्रों को भी पहले कभी इस प्रकार से नहीं सिखाया गया है। अगर आप शास्त्रीय संगीतकार बनना चाहते हैं, तो सिर्फ बुनियादी बातों पर भी महारत हासिल करने में कई, कई साल लग जाते हैं। चाहे आप महान संगीतकार बनने न जा रहे हों, लेकिन अगर आप कुछ भक्ति गीत भी सीखना चाहते हैं या कोई धुन गुनगुनाना चाहते हैं, तो यह प्रोजेक्ट संस्कृति कुछ शुरुआती कदम उठाने का एक मौका देगी।

फिलहाल, यह सिर्फ लोगों को बताने के लिए है कि यह एक खूबसूरत चीज़ है जो उनके रोजमर्रा के जीवन का एक हिस्सा बन सकती है। कला को एक संस्कृति के रूप में हर किसी के रोजमर्रा के जीवन में शामिल होना चाहिए। आजकल बहुत कम लोग इन शास्त्रीय कलाओं में दिलचस्पी रखते हैं, बहुत कम लोग ऐसे हैं जो सुनना चाहते हैं और जो ध्यान दे सकते हैं। और शास्त्रीय कलाओं की प्रकृति ऐसी है कि आपको ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।

ये बच्चे ध्यान दे सकते हैं। वे जिस तरह बैठते और उठते हैं, वह भी दूसरों से बहुत अलग होता है। क्योंकि उन्हें बहुत छोटी उम्र से सिखाया गया है, इसलिए उनके अंदर इसे दूसरों से जोड़ने की क्षमता भी है। इसलिए, प्रोजेक्ट संस्कृति इन सभी सांस्कृतिक पहलुओं को, जो उनके बड़े होने के दौरान उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा रहा है, हर किसी के दैनिक जीवन का एक छोटा सा हिस्सा बनाने का एक तरीका है।

हम किस चीज़ की आशा कर सकते हैं?

राधे: इन बच्चों में असाधारण क़ाबिलियत है। मेरे ख्याल से उनकी क्षमता से मेल खाने वाला एक मंच प्रदान करना अब हमारी जिम्मेदारी है और हम खुद को, सपोर्ट टीम को उसी मानक पर रखते हैं, जो ये बच्चे दे सकते हैं। वे शानदार डांसर हैं, वे अद्भुत संगीतकार हैं, वे असाधारण कलरी अभ्यासी हैं। अब यह पक्का करना हमारी जिम्मेदारी है कि जब हम उनकी क्षमताएँ दुनिया के आगे पेश करें, तो हम उसे इस तरह करें जिसमें आप वाकई उन्हें चमकता हुआ देख सकें।