सद्गुरु का सन्देश
इस महामारी ने भले ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह पर थोड़ा असर डाला हो, लेकिन इसने इस बात पर फिर सबका ध्यान खींचा है कि हमारे जीवन में योग की सख्त आवश्यकता है। इस दिन दुनिया भर में ईशा स्वयंसेवकों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग का उपहार देने की कोशिश की।
21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस था, और ईशा स्वयंसेवकों ने सभी के साथ आत्म-रूपांतरण के साधनों को साझा करने की हर संभव कोशिश की। प्रशिक्षित ईशांगों ने सद्गुरु द्वारा विशेष रूप से डिजाइन की गई सिंह क्रिया, मकरासन और साष्टांग की शक्तिशाली योगिक क्रियाओं को सिखाने के लिए वेबिनार आयोजित किए। उन्होंने वेबिनार आयोजित करने के लिए योग-वीरों को भी प्रशिक्षित किया, जिससे यह और ज्यादा लोगों तक पहुँच पाया।
तमिलनाडु में 927 ऑनलाइन सत्रों में 78,894 लोग शामिल हुए। पहली बार सभी ईशा-विद्या छात्रों और शिक्षकों को योग-वीर बनने के लिए ट्रेंड किया गया। जीवन के हर क्षेत्र के लोगों ने योग को अपने जीवन में लाने के लिए आगे कदम बढ़ाया, जिसमें कॉरपोरेट लीडरों, सरकारी अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, शिक्षकों, पत्रकारों, बैंकरों, सशस्त्र बलों, किसानों के साथ ऑटो रिक्शा चालक और टैक्सी चालक भी शामिल थे।
उत्तर भारत में, हरियाणा सरकार ने रेवाड़ी जिले के लोगों के लिए सिंह क्रिया वेबिनार आयोजित करने की पहल की। जिला प्रशासन ने दूर-दराज के गाँवों तक पहुंचने के लिए प्रेस में प्रकाशित लेखों, विज्ञापनों, एफएम रेडियो स्पॉट और यहाँ तक कि लाउडस्पीकर की घोषणाओं के साथ गहन अभियान चलाया। यह कोशिश रंग लाई और 1 लाख लोगों ने इस सत्र के लिए पंजीकरण कराया! इसके अलावा, कुल 498 ऑनलाइन सत्र आयोजित किए गए, जिसमें 50,826 लोगों ने भाग लिया। योग-वीरों ने 395 सत्रों के माध्यम से 9115 लोगों तक पहुंचकर फिर से सुर्खियाँ बटोरीं, जिससे यह वास्तव में जमीनी स्तर का आंदोलन बन गया।
यूरोप और यूके में, ईशा फाउंडेशन ने 48 सोशल मीडिया चैनलों पर अपना पहला योग मैराथन आयोजित किया जिसमें बैक-टू-बैक लगभग 43 घंटे की लाइवस्ट्रीमिंग की गई। यूरोप के 38 प्रभावशाली लोगों और मशहूर हस्तियों ने अपना समर्थन दिया और अपने 63 लाख समर्थकों को ऑनलाइन योग सत्र से जोड़ने में मदद की। यूरोप और यूके में विभिन्न दूतावासों ने भी योग सत्र आयोजित करने के लिए ईशा फाउंडेशन के साथ सहयोग किया, जिसमें उप-योग, निर्देशित ध्यान और योगिक आहार शामिल हैं। 16 देशों के 12 भारतीय राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, 2500 लोगों ने इन सत्रों का लाभ उठाया।
[1] ईशा योग शिक्षक
संकट के इस अभूतपूर्व काल में, योग की इतनी अधिक जरूरत पहले कभी नहीं थी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के महत्व को सद्गुरु इस संदर्भ में समझाते हैं:
सद्गुरु: जिस तरह बाहरी खुशहाली के लिए कई तरह के विज्ञान हैं, वैसे ही योग आंतरिक कल्याण का विज्ञान है। सातवाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, योग को धर्म, आस्था, दर्शन या विचारधारा के रूप में नहीं, बल्कि आंतरिक खुशहाली के विज्ञान के रूप में स्वीकार किए जाने की सातवीं वर्षगांठ है। महामारी के कारण यह अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। एक पीढ़ी के रूप में, हमने महसूस किया है कि कैसे बिना किसी पूर्व चेतावनी के हमारा जीवन एकदम अस्त-व्यस्त हो सकता है। ऐसे समय में, इन बाहरी हमलों से लड़ने के लिए एक जीवंत और लचीला शरीर, एक आनंदित और एकाग्र मन, और आपके भीतर ऊर्जा की एक अथक भावना का निर्माण करना सबसे आवश्यक है। हम पहले ही भारत और दुनिया के कई अलग-अलग देशों में दो लहरें देख चुके हैं। वायरोलॉजी की आधिकारिक घोषणाओं के मुताबिक यह हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा समय तक चल सकता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम एक लचीला शरीर और एक संतुलित व ख़ुशहाल मन बनाएँ ताकि हम अपने जीवन को कम से कम, विकृत किए बिना जीवन की इन मुसीबतों से गुजर सकें।
हम पहले ही भारत और दुनिया के कई अलग-अलग देशों में दो लहरें देख चुके हैं। वायरोलॉजी की आधिकारिक घोषणाओं के मुताबिक यह हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा समय तक चल सकता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम एक लचीला शरीर और एक संतुलित व ख़ुशहाल मन बनाएँ ताकि हम अपने जीवन को कम से कम, विकृत किए बिना जीवन की इन मुसीबतों से गुजर सकें।
योग कोई साधारण कसरत नहीं है। मानव एक जटिल तंत्र है। योग समझता है कि मानव अस्तित्व की प्रक्रिया क्या है और हम इसे उच्चतम संभावना तक कैसे ले जा सकते हैं। योग का शाब्दिक अर्थ है मेल या एकत्व। इसका मतलब है कि हम अपने अस्तित्व की सर्वव्यापी प्रकृति को जानने के लिए अपने व्यक्तित्व की सीमाओं को चेतनापूर्वक मिटा देते हैं। जीवन के एक छोटे से अंश के रूप में हम पूरे ब्रह्मांड का अनुभव करने में सक्षम हैं। हम इस क्षण में रहते हुए इस अस्तित्व की शाश्वत प्रकृति का अनुभव करने में सक्षम हैं।
भारत यह संभावना बाकी दुनिया को प्रदान करता है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह एक बहुत प्रभावशाली साधन हो सकता है। बीमार होने पर डॉक्टर और वैज्ञानिक हमारी मदद कर सकते हैं, लेकिन सेहत कोई ऐसी चीज नहीं है जो कोई डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल हमें दे सकता है। वह हमारे भीतर से आती है। सेहत का अर्थ केवल रोगमुक्त होना नहीं है, सेहत का अर्थ है कि आप जीवन के चरम पर हैं।
सेहत का अर्थ है कि आप शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा के मामले में अपने अस्तित्व की चरम संभावना पर हैं। हमें इससे कम किसी चीज का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए। योग में वह शक्ति, विज्ञान व तकनीक है, जिससे वह आपको चरम लक्ष्य तक ले जा सकता है। खुशहाली की इस तकनीक को हर किसी को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए।
हमने खास तौर पर इस महामारी के लिए एक छोटा पैकेज बनाया है, जो इम्यून सिस्टम को बेहतर करेगा और साथ ही आपके मन में संतुलन और आपके शरीर में जीवंतता लाएगा। यह इच्छुक लोगों के लिए पूरे विस्तार और गहराई में उपलब्ध है और सिर्फ साधारण क्रिया करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए एक साधारण पैकेज में उपलब्ध है।
यह हर जगह मुफ्त में उपलब्ध है और समर्पित स्वयंसेवक हमेशा कॉल पर उपलब्ध रहते हैं ताकि यह पक्का किया जा सके कि आप इससे लाभ उठा पाएँ। यह मेरी कामना और आशीर्वाद है कि इस धरती का प्रत्येक मनुष्य योग के किसी न किसी पहलू को अपने जीवन में लेकर आए और एक संपूर्ण जीवन जिए।
हमें इस महामारी से सफलतापूर्वक बाहर आना है, हालात से बिखरना नहीं है। एक मनुष्य के रूप में हम इसके लिए सक्षम हैं। इस वायरस का एकमात्र वाहक इंसान है। यदि मनुष्य किसी न किसी रूप में योग में हैं, तो इसका मतलब है कि वे ज्यादा जागरूक हो गए हैं और अब एक बाध्यकारी जीवन नहीं हैं। अगर ऐसा होता है तो महामारी की रफ्तार रोकना हमारे हाथ में होगा। आइए, हम इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर यह प्रण करें कि हम योग को अपने जीवन में लाएँगे और वायरस को हराएँगे।