अली वेंटवर्थ एक अमेरिकी अभिनेत्री, कॉमेडियन, लेखिका और निर्माता हैं। उन्होंने अपने पॉडकास्ट ‘गो आस्क अली’ पर सद्गुरु को आमंत्रित किया, जहाँ उन्होंने कर्म, दूसरों से अपनी तुलना और अपने जीवन का मार्ग तय करने के तरीके पर बातचीत की। ‘अगर कोई अपनी कार, मेरी कार से टकरा देता है, तो क्या यह मेरा बुरा कर्म है?’ अली ने कर्म के मूलभूत तत्वों पर सद्गुरु से बात की।
फुल मून फ्लर्टेशन्स की नई श्रृंखला के पहले सत्संग में, सद्गुरु ने उस गहरी पीड़ा और क्षति की बात की, जो कोविड-19 की दूसरी लहर भारत में लेकर आई है। उन्होंने ईशा की कोविड आउटरीच गतिविधियों को तेज़ करने और बढ़ाने की घोषणा की, साथ ही आने वाले सालों में आध्यात्मिकता और रहस्यवाद पर अपने कार्यों को फिर से तेज़ करने की अपनी योजना के बारे में बताया।
एंकर्स रोजन्ना स्कॉटो और लोरी स्टोक्स ने सद्गुरु से उनके लॉकडाउन अनुभव और उनकी नई किताब ‘कर्मा: ए योगीज गाइड टू क्राफ्टिंग योअर डेस्टिनी’ के बारे में पूछा। सद्गुरु ने बताया कि कर्म कोई पुरस्कार और दंड की व्यवस्था नहीं है, जैसा कि आम तौर पर दर्शाया जाता है, बल्कि यह एक कार्य है जो व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षण में करता है। हल्की-फुल्की बातों के दौरान होस्ट ने सद्गुरु के साथ उनकी मोटरसाइकिल की सवारी करने की इच्छा प्रकट की, जिस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘अगर आप रफ्तार को संभाल सकते हों।’
प्लेबुक, वक्ता, लेखक और उद्यमी डेविड मेल्तज़र द्वारा होस्ट किया जाने वाला एक प्रभावशाली उद्यम संबंधी पॉडकास्ट है। डेविड ने सद्गुरु के कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त किया और उनसे सवाल पूछे जैसे कि, योगी होने का क्या अर्थ है, योग को रोजमर्रा के जीवन का अंग कैसे बनाऍं और अपना भाग्य खुद कैसे गढ़ें।
कैट कोल एक सलाहकार, निवेशक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने एक क्लबहाउस ऑनलाइन कार्यक्रम होस्ट किया, जिसमें सद्गुरु ने कई सवालों के जवाब दिए जैसे इस क्षण के कर्म को अपने हाथ में लेना, संतुलन, इस क्षण में मौजूद होना, आज के समाज में भावुक होने को कमज़ोरी क्यों माना जाता है, और आज़ादी का असली अर्थ, जैसे मुद्दे शामिल थे।
एक विशेष ऑनलाइन सत्संग में, सद्गुरु ने भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर की बात की और बताया कि ईशा किन तरीकों से फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं, अस्पतालों, श्मशान घाटों और आम जनता की मदद करेगा। उन्होंने हर किसी को प्रोत्साहित किया कि वे जितना संभव हो सके, उतने लोगों को इम्युनिटी बढ़ाने वाली गतिविधियाँ सिखाएँ और दोहराया कि सचेतन और जिम्मेदारी भरा व्यवहार ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है।
पुरस्कृत लेखक, मीडिया प्रोड्यूसर और उद्यमी जोनाथन फील्ड्स ने अपने पॉडकास्ट द गुड लाइफ प्रोजेक्ट पॉडकास्ट पर कर्म के बारे में अस्तित्वगत सवालों पर गहराई से विचार किया। जोनाथन सच्ची जिज्ञासा के साथ सद्गुरु के शब्दों को आत्मसात और ग्रहण करते हुए एक सचेत श्रोता साबित हुए। सद्गुरु ने अपने शुरुआती जीवन, आत्मज्ञान के क्षण और परमानंद के अपने अनुभव को पूरी दुनिया से बांटने की चाह के बारे में बात की।
डॉ. डेविड वागो, वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के रिसर्च एसोसिएट प्रोफेसर और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में एक रिसर्च एसोसिएट हैं। डॉ. होरासियो दा ला इगलेसिया, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी डिपार्टमेंट में एक प्रोफेसर हैं। अत्याधुनिक विज्ञान और योग दोनों को सामने लाने वाले एक बहुत ही दिलचस्प संवाद में, सद्गुरु और दोनों प्रमुख शोधकर्ताओं ने मानव अनुभव पर चंद्रमा के प्रभाव की चर्चा की।
क्या सत्य कभी संपूर्ण हो सकता है? हम अपनी असली पहचान कैसे पा सकते हैं? एक मनुष्य को वास्तव में क्या चाहिए? क्या स्थायी संतुष्टि जैसी कोई चीज़ है? दक्षिण अफ्रीकी उद्यमी, ग्लोबल स्पीकर और बेस्टसेलिंग लेखक वूसी थंबकवायो ने मनुष्य द्वारा सत्य की अनंत खोज के बारे में सद्गुरु से कुछ गहन सवाल पूछे।
लोकप्रिय ऑस्ट्रेलिाई मार्निंग शो सनराइज के होस्ट, डेविड कोच और नताली बार ने सद्गुरु से अपने कर्म के रूपांतरण और बेहतर जीवन जीने के नुस्खों पर सद्गुरु से सवाल पूछे। पाँच मिनट की यह बातचीत भले छोटी थी, मगर असरदार थी।
ग्लोबल वक्ता, बेस्टसेलिंग लेखक और उद्यमी एल माइलेट ने सद्गुरु के साथ एक ऑनलाइन संवाद में खुशी की खोज, नश्वरता, खुद को ज्यादा गंभीरता से लेने और कर्म आपको कैसे सशक्त बनाता है, इस पर चर्चा की।
कैलिफोर्निया पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के पूर्व सचिव और लियोनार्डो डि कैपरियो फाउंडेशन के पूर्व सीईओ, टेरी टेमिनन पर्यावरण सुरक्षा के लिए दुनिया की सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक हैं। सद्गुरु के साथ उनकी बातचीत ने कर्म और पर्यावरण के बीच के संबंधों की खोज की।
फिलिप गोल्डबर्ग एक प्रसिद्ध लेखक और सार्वजनिक वक्ता हैं। उन्होंने सद्गुरु के साथ अपनी बातचीत कर्म के बारे में एक संशयवादी दृष्टिकोण से शुरू की और पूछा कि क्या कर्म के वास्तविक होने का कोई सुबूत है। इस बातचीत ने आगे दिलचस्प रूप ले लिया, जैसे कर्म के बारे में गलतफहमियाँ, क्या कर्म तनाव के रूप में शरीर में जमा रहता है, और यहाँ तक कि कैसे कर्म गोल्फ की तरह है!